11.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

High Court: पत्नी के नाम खरीदी गई संपत्ति का मालिक कौन? जानिए हाई कोर्ट फैसला

High Court: आइए जानते हैं पत्नी के नाम खरीदी गई संपत्ति का मालिक कौन होगा.

High Court: कई लोग जब भी संपत्ति खरीदते हैं, तो अक्सर इसे अपनी पत्नी के नाम पर रजिस्ट्री करवाते हैं. इसका एक मुख्य कारण यह है कि महिलाओं के नाम पर प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टांप ड्यूटी में छूट मिलती है, साथ ही अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं. हालांकि, ऐसे लोग यह नहीं जानते कि कानून के अनुसार उस संपत्ति पर कौन-कौन से लोग मालिकाना हक जता सकते हैं. हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में विचाराधीन एक मामले में एक ऐतिहासिक निर्णय आया है, जिसके अनुसार पत्नी के नाम से खरीदी गई संपत्ति को पारिवारिक संपत्ति माना जाएगा.

पत्नी के पास आय का स्वतंत्र सोर्स नहीं (Wife does not independent source of income)

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपत्ति विवाद से संबंधित इस मामले में यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि हाउस वाइफ के नाम पर खरीदी गई प्रॉपर्टी पारिवारिक संपत्ति मानी जाएगी, क्योंकि पत्नी के पास कोई स्वतंत्र आय का स्रोत नहीं होता. इन परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, अदालत ने कहा कि हिंदू धर्म में पति अक्सर अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदते हैं.

इसे भी पढ़ें: इजरायल-ईरान की दोस्ती जानी दुश्मनी में कैसे बदली? आइए जानते हैं रिश्तों में आए ऐतिहासिक बदलाव की कहानी

इलाहबाद हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में दिवंगत पिता की संपत्ति में सह स्वामित्व (Co-ownership in late father’s property) के दावे को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई की. इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 (Section 114 of the Indian Evidence Act) के अनुसार, पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति को पारिवारिक संपत्ति माना जा सकता है. यह इसलिए, क्योंकि पति आमतौर पर पारिवारिक हितों को ध्यान में रखते हुए अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदता है, और पत्नी के पास आमतौर पर कोई स्वतंत्र आय का स्रोत (independent source of income) नहीं होता.

पत्नी की आय का सोर्स स्वतंत्र प्रमाणित करना बहुत जरूरी

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि जब तक यह साबित नहीं हो जाता कि खरीदी गई संपत्ति पत्नी की आय से खरीदी गई है, तब तक उसे पति की आय से खरीदी गई माना जाएगा. यह मामला अपीलकर्ता सौरभ गुप्ता की ओर से दायर किया गया था, जिसमें उसने मांग की थी कि उसे उसके पिता द्वारा खरीदी गई संपत्ति के एक चौथाई हिस्से का सह स्वामी का दर्जा दिया जाए. उसने यह तर्क दिया कि यह संपत्ति उसके दिवंगत पिता द्वारा खरीदी गई थी, और वह अपनी मां के साथ सह हिस्सेदार है.

इसे भी पढ़ें: ईरान को अपने उंगली पर नचाता, कौन है 85 साल के अयातुल्ला अली खामेनेई?

सौरभ गुप्ता ने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील दायर की. हाई कोर्ट ने इस मामले में सौरभ की मां को प्रतिवादी माना. सौरभ ने प्रॉपर्टी को किसी तीसरे व्यक्ति को ट्रांसफर करने पर रोक लगाने की मांग के लिए याचिका पेश की थी. इस मामले में सौरभ की मां ने एक लिखित बयान भी दिया, जिसमें कहा गया कि यह संपत्ति उसके पति ने उसे उपहार के रूप में दी थी, क्योंकि उसके पास कोई आय का स्रोत नहीं था.

निचली अदालत ने इस मामले में अंतरिम रोक लगाने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद सौरभ ने हाई कोर्ट में अपील दायर की. हाई कोर्ट ने सौरभ की अपील की सुनवाई करते हुए कहा कि पति द्वारा पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति को पति की व्यक्तिगत आय से खरीदा गया माना जाएगा, क्योंकि पत्नी के पास आमतौर पर कमाई का कोई साधन नहीं होता. इसलिए, इस प्रकार की संपत्ति को संयुक्त हिंदू परिवार की संपत्ति माना जाएगा. इन परिस्थितियों में यह आवश्यक है कि उक्त संपत्ति को किसी तीसरे पक्ष को सौंपने या बेचने से रोका जाए.

इसे भी पढ़ें: Indian Railway: ट्रेन में शराब पीना गलत या सही, जानिए क्या कहता है भारतीय रेलवे का नियम? 

पति के जीवित रहते संपत्ति पर पत्नी का हक नही 

भारतीय कानून के अनुसार, जब तक पति जीवित है, उसकी स्वयं अर्जित संपत्ति पर पत्नी का कोई अधिकार नहीं होता. पत्नी को अधिकार केवल पति की मृत्यु के बाद मिलते हैं. 1956 के हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के तहत, पत्नी को पैतृक संपत्ति में बेटे के बराबर हिस्सा मिलता है. लेकिन यह अधिकार केवल पैतृक संपत्तियों पर लागू होता है, न कि उन संपत्तियों पर जो पति ने स्वयं अर्जित की हैं. यदि पति की मृत्यु हो जाती है और पत्नी एकमात्र वारिस है और संतान नहीं है, तो उसे उसकी संपत्ति का एक-चौथाई हिस्सा मिलेगा; यदि बच्चे हैं, तो उसे एक-आठवां हिस्सा प्राप्त होगा. यदि पति ने कोई वसीयत बनाई है, तो संपत्ति के अधिकार उसी के आधार पर तय होंगे. यदि वसीयत में पत्नी का नाम नहीं है, तो उसे पति की स्वयं अर्जित संपत्ति से कुछ भी नहीं मिलेगा. एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि यदि संपत्ति पत्नी के नाम पर खरीदी गई है, तो उस पर किसका कितना अधिकार होगा. इसी संबंध में हाईकोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं.

इसे भी पढ़ें: पिता की संपत्ति में बेटियों का कितना मालिकाना हक? प्रॉपर्टी पर कब नहीं कर सकती दावा 

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें