नई दिल्ली : आम आदमी पार्टी (आप) ने शुक्रवार को कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए केंद्र की ओर से लाए गए अध्यादेश पर राज्य में कांग्रेस भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का समर्थन करेगी. आप के प्रवक्ता जैस्मीन शाह ने कहा कि उनकी पार्टी के सूत्रों के अनुसार कांग्रेस राज्यसभा में केंद्र के अध्यादेश पर भाजपा का समर्थन करेगी. उन्होंने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि कांग्रेस को छोड़कर अन्य सभी 11 विपक्षी पार्टियों ने दिल्ली सरकार पर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ स्पष्ट तौर पर अपना समर्थन देने की इच्छा जाहिर की है.
राज्यसभा में अध्यादेश पास होने पर किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं
आप के प्रवक्ता जैस्मीन शाह ने कहा कि विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि यह हमारी जानकारी में आया है कि कांग्रेस इस अध्यादेश पर भाजपा का समर्थन करेगी. उन्होंने कहा कि अगर आने वाले दिनों में ऐसा हुआ, तो आम आदमी पार्टी के लिए ऐसे किसी भी गठबंधन का हिस्सा बनना मुश्किल हो जाएगा, जिसमें कांग्रेस शामिल हो.
काले अध्यादेश की निंदा करे कांग्रेस : आप
पार्टी ने अपने बयान में कहा कि जब तक कांग्रेस सार्वजनिक तौर पर ‘काले अध्यादेश’ की निंदा नहीं करती और यह घोषणा नहीं करती कि उसके सभी 31 राज्यसभा सांसद उच्च सदन में केंद्र के अध्यादेश का विरोध करेंगे, तब तक आप के लिए समान विचारधारा वाली पार्टियों की भविष्य में होने वाली बैठक में हिस्सा लेना मुश्किल होगा.
अध्यादेश को पास कराने के लिए पर्याप्त समर्थन : भाजपा का दावा
बताते चलें कि भाजपा ने पिछले 12 जून को ही दावा कर दिया था कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए केंद्र की ओर से लोकसभा में पारित अध्यादेश को उच्च सदन से पास कराने के लायक राज्यसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों का पर्याप्त समर्थन प्राप्त है. भाजपा का यह दावा मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में रैली आयोजित करने के एक दिन बाद आया है.
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राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं
मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली की प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए केंद्र का अध्यादेश केजरीवाल सरकार के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट के फैसले खिलाफ है. इसलिए आम आदमी पार्टी संसद में अध्यादेश के खिलाफ गैर-भाजपा दलों से समर्थन प्राप्त करने का प्रयास कर रही है. लोकसभा में भाजपा के पास प्रचंड बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में भाजपा के पास बहुमत नहीं है. फिर भी यह अब तक अपने विधायी एजेंडे को पारित कराने के लिए उच्च सदन में क्षेत्रीय दलों से पर्याप्त समर्थन प्राप्त करने में कामयाब बताई जा रही है.