Loading election data...

अमेरिकी विशेषज्ञ ने की कनाडा के प्रधानमंत्री की निंदा, कहा- भारत पर आरोप लगाना ‘शर्मनाक’

अमेरिका के एक विशेषज्ञ ने सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट का हाथ होने के कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को ‘शर्मनाक और निंदनीय’ करार देते हुए अमेरिका से इसका हिस्सा न बनने का आग्रह किया है.

By Aditya kumar | September 20, 2023 10:01 AM

अमेरिका के एक विशेषज्ञ ने सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट का हाथ होने के कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के आरोपों को ‘शर्मनाक और निंदनीय’ करार देते हुए अमेरिका से इसका हिस्सा न बनने का आग्रह किया है. हडसन इंस्टीट्यूट थिंक-टैंक में आयोजित एक पैनल चर्चा में अमेरिकन इंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के वरिष्ठ फेलो माइकल रुबिन ने दावा किया कि ट्रूडो उन लोगों के हाथों की कठपुतली बन रहे हैं, जो खालिस्तानी आंदोलन को अहं और लाभ के आंदोलन के रूप में देखते हैं.

भारत ने अपने देश से वरिष्ठ राजनयिक को निष्कासित किया

कनाडाई नागरिक निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंट का हाथ होने के ट्रूडो के आरोपों के बाद कनाडा और भारत ने अपने-अपने देश में एक-दूसरे के वरिष्ठ राजनयिक को मंगलवार को निष्कासित कर दिया था. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘बेबुनियाद’ बताते हुए उन्हें सिरे से खारिज किया था. प्रतिबंधित खालिस्तान टाइगर फोर्स (केटीएफ) के प्रमुख और भारत के सर्वाधिक वांछित आतंकवादियों में शामिल निज्जर (45) की दो अज्ञात बंदूकधारियों ने गत 18 जून को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया प्रांत के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी थी.

‘ट्रूडो का आरोप शर्मनाक और निंदनीय कदम’

रुबिन ने कहा कि ट्रूडो के ‘शर्मनाक और निंदनीय कदम’ को लेकर चौंकाने वाली बात यह है कि वह निज्जर की हत्या मामले में तो बयान दे रहे हैं, लेकिन देश की पुलिस पाकिस्तान की कथित मदद से हुई करीमा बलूच की हत्या की जांच कर रही है और प्रधानमंत्री कार्यालय ने अब तक इस मामले का संज्ञान नहीं लिया है. अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, “तो सवाल यह उठता है कि अगर लोकलुभावन राजनीति नहीं की जा रही है, तो यह विरोधाभास क्यों है? इससे जस्टिन ट्रूडो को लंबी अवधि में मदद मिल सकती है, लेकिन यह अच्छा नेतृत्व नहीं है. हमें यहां (अमेरिका में) और कनाडा में हमारे नेताओं के अधिक जिम्मेदाराना रुख अपनाने की जरूरत है, क्योंकि वे आग से खेल रहे हैं.”

”खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे”

रुबिन ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ बाहरी तत्व खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “मुझे नहीं लगता कि यह कोशिश रंग लाएगी. मैं नहीं चाहता कि अमेरिका ‘बाहरी तत्वों की इस तरह की निंदक चालों’ को स्वीकृति दे. अचानक किसी अलगाववादी आंदोलन को फिर से उभरते देखना और तर्क देना कि यह वैध है, एक बहुत बड़ी गलती होगी.” खालिस्तानी नेता की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के राजनयिक संबंधों में आयी खटास की पृष्ठभूमि में एसजीपीसी ने मंगलवार को कहा कि मामला ‘बहुत गंभीर’ है और इससे पूरी दुनिया में रहने वाले सिख प्रभावित होंगे.

भारत ने ट्रुडो के इस दावे को ‘बेतुका’ बताया

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो द्वारा जून में सिख अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में ‘भारत सरकार के एजेंटों’ की संलिप्तता का आरोप लगाए जाने के बाद कनाडा और भारत ने अपने यहां से एक-दूसरे के एक-एक वरिष्ठ राजनयिक को निष्कासित कर दिया है. वहीं भारत ने ट्रुडो के इस दावे को ‘बेतुका’ और निजी हित से ‘प्रेरित’ बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया है. सिखों की शीर्ष धार्मिक संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने कहा कि हालांकि भारत सरकार ने कनाडाई सरकार के आरोपों को खारिज कर दिया और एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित भी कर दिया है, लेकिन यह मामला ‘बहुत गंभीर’ है और वैश्विक स्तर पर सिखों को प्रभावित करेगा.

Also Read: महिला आरक्षण बिल पर आज सात घंटे होगी बहस, सदन में बोलेंगी सोनिया गांधी-निर्मला सीतारमण

एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने मंगलवार को केंद्र से भारत में सिखों के मुद्दों को सुलझाने और विदेशों में रहने वाले सिख समुदाय की समस्याओं और भावनाओं को समझकर उचित और सार्थक समाधान की ओर बढ़ने की अपील की. धामी ने कहा, ‘‘कनाडा में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में आरोप लगने के बाद कनाडा सरकार द्वारा भारत के एक राजनयिक को निष्कासित किया जाना कई सवाल खड़े करता है.’’

उन्होंने कहा, ‘‘इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप, भले ही भारत ने आरोपों को खारिज कर दिया और एक कनाडाई राजनयिक को निष्कासित कर दिया, लेकिन यह मामला बहुत गंभीर है और सीधे तौर पर सिखों से संबंधित है और यह वैश्विक स्तर पर समुदाय के सदस्यों को प्रभावित करेगा.’’ एसजीपीसी प्रमुख ने आगे कहा कि दोनों देशों की सरकारों को आरोप-प्रत्यारोप के बजाय मामले पर गंभीरता से विचार करने को अपना एजेंडा बनाना चाहिए. धामी ने कहा, ‘‘आज पूरी दुनिया में सिखों के अस्तित्व को देखते हुए कनाडा और भारत दोनों को हाथ मिलाने की जरूरत है, ताकि आरोप लगने पर सच्चाई सामने आ सके और दोनों देशों के बीच रिश्ते भी अच्छे बने रहें.’’

Next Article

Exit mobile version