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कोयला संकट पर गृह मंत्री अमित शाह ने बुलायी हाई लेवल मीटिंग, दिल्ली के मंत्री ने लगाया गंभीर आरोप

कोयला संकट: दिल्ली, पंजाब, राजस्थान समेत कई राज्य कह रहे हैं कि कोयला का संकट है, लेकिन नरेंद्र मोदी की सरकार इसे झुठला रही है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 11, 2021 3:32 PM
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Coal Crisis|Power Crisis|कोयला संकट पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) हाई लेवल मीटिंग कर रहे हैं. बैठक में ऊर्जा मंत्री आरके सिंह, कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी के अलावा ऊर्जा एवं कोयला मंत्रालय के अधिकारी भी शामिल हैं. बैठक में नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (NTPC) के अधिकारियों को भी बुलाया गया है. नयी दिल्ली समेत कई राज्यों ने कहा है कि उनके पावर प्लांट (Power Plants) के लिए कोयला नहीं (Coal Crisis) है. पावर प्लांट जल्दी ही बंद हो जायेंगे और बिजली की आपूर्ति ठप हो जायेगी.

हालांकि, केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा था कि ऊर्जा संयंत्रों में कोयले की कोई कमी (Coal Shortage) नहीं है. इस पर दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) ने रविवार को कहा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार किसी समस्या का समाधान नहीं कर पा रही है. दिल्ली, पंजाब, राजस्थान समेत कई राज्य कह रहे हैं कि कोयला का संकट है, लेकिन नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार इसे झुठला रही है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार ने आंखें बंद कर रखीं हैं और उसे कोई समस्या दिखती ही नहीं.

आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने कहा कि कोयला की आपूर्ति नहीं होने की वजह से ऊर्जा संयंत्र बंद हो जायेंगे. ऊर्जा संयंत्र बंद हुए, तो उद्योगों को बिजली की आपूर्ति नहीं हो पायेगी. इसका नतीजा यह होगा कि सब कुछ ठप हो जायेगा. कहा कि मोदी सरकार ने ऑक्सीजन सप्लाई में भी लापरवाही बरती थी. काफी संख्या में लोगों की मौत हो गयी थी. अब कोयला संकट को भी स्वीकार करने से सरकार इंकार कर रही है.


एनटीपीसी ने बिजली आपूर्ति आधी कर दी : सत्येंद्र जैन

दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain) ने सोमवार को कहा कि एनटीपीसी ने शहर को दी जाने वाली चार हजार मेगावाट बिजली की आपूर्ति को आधा कर दिया है, जिसके बाद दिल्ली सरकार महंगी गैस आधारित बिजली के साथ-साथ उच्च बाजार दर पर इसे खरीदने पर निर्भर है. ऊर्जा मंत्री ने दावा किया कि एनटीपीसी के अधिकतर संयंत्र 55 प्रतिशत क्षमता के साथ काम कर रहे हैं, क्योंकि उनके पास केवल एक-दो दिन का कोयला भंडार शेष है.

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उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि दिल्ली अधिकतर बिजली एनटीपीसी से खरीदती है, लेकिन इसकी आपूर्ति आधी कर दी गयी है. सत्येंद्र जैन ने कहा, ‘एनटीपीसी हमें 4000 मेगावाट बिजली देती है, लेकिन इसने वर्तमान में यह मात्रा आधी कर दी है. इसके कारण हमें गैस के जरिए बिजली उत्पादन करना पड़ रहा है, जिसकी कीमत 17.25 रुपये प्रति यूनिट है.’ दिल्ली में गैस आधारित तीन संयंत्र हैं, जिनकी कुल क्षमता 1900 मेगावाट है.

ऊर्जा मंत्री ने कहा, ‘केंद्र ने सस्ती गैस का कोटा समाप्त कर दिया है. हमें इसे खरीदना पड़ रहा है और इसके उत्पादन की लागत 17.50 रुपये है. इसके अलावा संकट के कारण हमें बिजली उच्च दरों पर 20 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से खरीदनी पड़ रही है.’ श्री जैन ने कहा कि केंद्र को खारिज करने की जगह कोयला संकट की बात स्वीकार करनी चाहिए. इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई राज्यों के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुके हैं. उन्होंने कहा कि पंजाब भी बिजली कटौती का सामना कर रहा है.

Posted By: Mithilesh Jha

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