अगरतला : हिंडनबर्ग-अदाणी मामले को लेकर भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधने वाले विपक्ष के आरोप पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में संज्ञान लिया है, इसलिए इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा. फिर भी इस मामले में भाजपा के पास छिपाने या डरने के लायक कुछ भी नहीं है. समाचार एजेंसी एएनआई को दिए साक्षात्कार में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हिंडनबर्ग-अदाणी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है. एक मंत्री के तौर पर अगर सुप्रीम कोर्ट को मामले की जानकारी है, तो मेरे लिए टिप्पणी करना सही नहीं है, लेकिन इसमें भाजपा के पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है और डरने की कोई बात नहीं है.
हिंडनबर्ग-अदाणी विवाद कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा सरकार के खिलाफ पक्षपात और क्रोनी कैपिटलिज्म के आरोप लगाने के साथ एक बड़े राजनीतिक विवाद में बदल गया है. उन्होंने संसद के बजट सत्र के दौरान संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की जांच करते हुए इस मुद्दे को उठाया. यहां तक कि इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री मोदी पर भी निशाना साधा है. विपक्षी दलों ने अदाणी ग्रुप में भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) और कुछ सार्वजनिक बैंकों के निवेश पर भी सवाल उठाए हैं. सरकार ने सार्वजनिक उपक्रमों और नियामक निकायों के आरोपों को खारिज कर दिया है, जो मानदंडों का पालन करने और अपने जनादेश के अनुसार कार्य करने के बारे में बयान जारी कर रहे हैं.
उधर, हिंडनबर्ग-अदाणी मामले में केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के सूचित किया है कि अदाणी ग्रुप पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सेबी एक समिति गठित करने पर सहमत हो गयश है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ को सूचित किया कि सेबी हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट के कारण पैदा हुई स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है. मेहता ने पीठ के सामने यह भी कहा कि भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए, यह सुझाव देने के लिए समिति नियुक्त करने में सरकार को कोई आपत्त नहीं है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि समिति का रेमिट महत्वपूर्ण हे, क्योंकि इसका अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव है और सरकार सीलबंद लिफाफे में नाम प्रस्तुत करेगी.
इससे पहले, संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा में राहुल गांधी के हालिया भाषण के बारे में पूछे जाने पर (जो करीब-करीब पूरी तरह से अदाणी ग्रुप से संबंधित था.) अमित शाह ने कहा कि यह कांग्रेस नेता या उनके पटकथा लेखकों को तय करना है कि वह क्या भाषण देना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी क्या भाषण देना चाहते हैं, यह उन्हें या उनके भाषण लेखकों को सोचना है.
अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी भाजपा के खिलाफ क्रोनी कैपिटलिज्म के आरोप पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोई सवाल ही नहीं है. कोई भी आज तक भाजपा के खिलाफ इस तरह के आरोप नहीं लगा सकता है. कांग्रेस के काल में एजेंसियेां चाहे वह सीएजी हों या सीबीआई सबने भ्रष्टाचार पर संज्ञान लेते हुए मामले दर्ज किए थे. उन्होंने कहा कि उस दौरान 12 लाख करोड़ रुपये के घोटाले हुए थे.
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कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा भाजपा के संस्थानों पर कब्जा करने के आरोपों के बारे में पूछे जाने पर अमित शाह ने कहा कि उन्हें यह देखते हुए अदालत जाना चाहिए कि अदालतें भाजपा के प्रभाव में तो नहीं हैं. उन्होंने कहा कि अदालत हमारे कब्जे में नहीं है. अदालत जाने के लिए स्वच्छंद हैं. वे अदालत क्यों नहीं जाते? उस समय भी जब पेगासस का मुद्दा उठाया गया था, तब मैंने कहा था कि अदालत में सबूतों के साथ जाओ, लेकिन वे केवल शोर मचाना जानते हैं. जो लोग अदालत गए थे, अदालत ने पेगासस मामले पर संज्ञान लिया और अपना निर्णय भी दिया. इस मामले में जांच भी की गई थी.