अमित शाह कम बोलते हैं, लेकिन जितनी बात बोलते हैं, वे सार्थक बातें होती है. वे आध्यात्मिक होने के साथ ही प्रैक्टिकल भी हैं. भले ही वे बाहर से सख्त दिखें, लेकिन बात करने पर पता चलता है कि वे कितने सॉफ्ट हैं. अमित शाह का जीवन एक प्रयोगशाला है. उन्होंने हर चुनौती का डटकर सामना किया और मजबूत बनकर उभरे. यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमित शाह के चुनिंदा भाषणों पर संकलित किताब ‘शब्दांश’ के विमोचन के मौके पर कही.
उन्होंने कहा कि अमित शाह गृह मंत्री हैं. गृह मंत्री के बोले गये हर शब्द महत्वपूर्ण होते हैं. ऐसे में इन शब्दों में कुछ चुनिंदा शब्दों का चयन करना संपादक के लिए काफी चुनौतीपूर्ण होता है. ऐसे में अमित शाह के बोले गये शब्दों में से कुछ चुनिंदा शब्दों को चुनकर उसका संपादन कर संपादक ने पुस्तक को खास बना दिया है. अर्थ और भाव को राजनीति में फिर से स्थापित करने के लिए अमित शाह प्रत्यनशील हैं. इस किताब में उनके जीवन का एक नया रंग दिखेगा. क्योंकि इस पुस्तक में एक भाषण शंकराचार्य के ऊपर भी है. आचार्य शंकर पर एक भाषण में इतनी जानकारी किसी किताब में नहीं है.
उन्होंने आचार्य शंकर की कई किताबें पढ़ी है. अमित शाह ने अपने एक भाषण में कहा था कि आज जो लोग पर्यावरण की बात करते हैं, वे सिर्फ शंकराचार्य के दशनामी परंपरा के 10 नामों का अध्ययन कर लें तो हमें पता चल जायेगा कि हमने यह चिंता कई हजार साल पहले की है. पर्यावरण प्रदूषण को लेकर हमारे ऋषियों, मुनियों ने पहले ही इस बारे में बात कही है. पर्यावरण संतुलन कैसे रहे इस बारे में विस्तार से बताया है. पर्यावरण को लेकर चिंता का इससे सार्थक उदाहरण और कोई नहीं है. इस पुस्तक को पढ़कर उनके जीवन को करीब से समझने का मौका मिलेगा.
इस मौके पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि इंदिरा गांधी कला केंद्र के अध्यक्ष राम बहादुर राय ने कहा कि यह पुस्तक भाजपा पर किताब लिखने वालों को प्रेरित करेगी. इस पुस्तक को पढ़ने से अमित शाह के व्यक्तित्व को समझने और जानने का मौका मिलेगा. भाजपा अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी को लेकर उनके अनूठे प्रयोग का भी जिक्र किया गया है, जिसमें पार्टी कार्यालय में पुस्तकालय और ईपुस्तकालय शुरू करने की पहल भी शामिल है. पहले भी अशोक रोड स्थित भाजपा मुख्यालय में पुस्तकालय था, लेकिन वह व्यवस्थित नहीं था. उन्होंने इसे व्यवस्थित बनाने का काम किया. इस पुस्तक के हर खंड में उनके जीवन के कई पहलुओं को जानने का मौका मिलेगा. इसलिए इस किताब को कल्याण मित्र कह सकते हैं. इस किताब को शिवानंद द्विवेदी ने संपादित किया है.