खालिस्तानी समर्थक अमृतपाल सिंह आखिरकार 36 दिन बाद पुलिस की गिरफ्त में आ ही गया. उसे रविवार को सुबह 6.45 बजे मोगा जिले के रोडे गांव से गिरफ्तार किया गया. वह रोडेवाला गुरुद्वारे में शरण ले रखी थी. इंटेलिजेंस की सूचना पर पंजाब पुलिस ने रोडे गांव को घेरने के बाद अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार किया. इधर खालिस्तानी समर्थक की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी ने पंजाब की भगवंत मान सरकार की जमकर तारीफ की है.
आप की मान सरकार ने साबित किया : संजय सिंह
आप सांसद संजय सिंह ने एक वीडियो संदेश अपने ट्विटर अकाउंट से शेयर किया. जिसमें उन्होंने कहा, पंजाब की आप सरकार किसी भी हालत में पंजाब की शांति भंग नहीं होने देगी. लोगों की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है. हमने दिखा दिया कि जरूरत पड़ने पर लोगों के लिए हम सख्त से सख्त कदम लेने की भी हिम्मत रखते हैं. सब लोग शांति बनाये रखें. उन्होंने कहा, पिछले एक महीने में अमृतपाल सिंह के परिवार के खिलाफ लगातार कार्रवाई की गयी. अमृतपाल के पास कोई विकल्प नहीं बचा था और उसे मजबूर होकर अपनी गिरफ्तारी देनी पड़ी. भगवंत मान सरकार पंजाब में शानदार काम कर रही है.
NSA के तहत हुई अमृतपाल की गिरफ्तारी
पंजाब पुलिस के महानिरीक्षक सुखचैन सिंह गिल ने कहा, हमें विशेष सूचना मिली थी कि अमृतपाल सिंह रोडे गांव में है, उसे घेर लिया गया था और उसके फरार होने की कोई गुंजाइश नहीं थी. उन्होंने बताया कि अमृतपाल सिंह के खिलाफ रासुका के तहत वारंट जारी किए गए और उन्हें आज सुबह तामील किया गया. उन्होंने बताया कि पंजाब पुलिस ने मोगा जिले के रोडे गांव से सुबह छह बजकर 45 मिनट पर अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार किया.
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पंजाब की “आप” सरकार किसी भी हालत में पंजाब की शांति भंग नहीं होने देगी। लोगों की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरि है। हमने दिखा दिया कि ज़रूरत पड़ने पर लोगों के लिए हम सख़्त से सख़्त कदम लेने की भी हिम्मत रखते हैं। सब लोग शांति बनाये रखें। pic.twitter.com/GpbpY5em4N
— Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) April 23, 2023
डिब्रूगढ़ जेल में रहेगा भगोड़ा अमृतपाल सिंह
36 दिनों से फरार अमृतपाल सिंह को गिरफ्तारी के बाद बठिंडा से असम के डिब्रूगढ़ ले जाया गया. जहां उसे डिब्रूगढ़ जेल में बंद कर दिया जाएगा. इसी जेल में उसके कई समर्थक बंद हैं.
18 मार्च से फरार था अमृतपाल सिंह
पुलिस ने अजनाला थाने पर हमला करने के बाद 18 मार्च को अमृतपाल सिंह तथा उसके संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के सदस्यों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई शुरू की थी जिसके बाद से वह फरार था.