Amritsar: गोल्डन टेंपल में लहराए गए भिंडरावाला के पोस्टर, खालिस्तान के समर्थन में लगे नारे, देखें वीडियो
ऑपरेशन ब्लूस्टार की आज 39वीं बरसी है. इसी को देखते हुए पंजाब के अमृतसर में सुरक्षा को काफी बढ़ा दिया गया है. बता दें मृतसर के गोल्डन टेंपल के बाहर जरनैल भिंडरावाले के पोस्टर के साथ एक समूह के लोगों ने खालिस्तान समर्थक नारे लगाए.
Operation Bluestar: आज से ठीक 39 साल पहले पंजाब के अमृतसर के गोल्डन टेंपल में ऑपरेशन ब्लूस्टार किया गया था. ऑपरेशन ब्लूस्टार में ही खालिस्तानी समर्थक भिंडरावाला को मार गिराया गया था. इस ऑपरेशन को भारतीय सेना ने अंजाम दिया था. ऑपरेशन ब्लूस्टार के पूरे होने के इतने साल बाद आज भी पंजाब में कई जगहों पर इसे लेकर बरसी मनाई जाती है. इसी क्रम में श्री हरमंदिर साहिब में मौजूद श्री अकाल तख्त साहिब पर बरसी समागम का आयोजन किया जा रहा है. गोल्डन टेंपल में आज लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली और इसी दौरान खालिस्तान के नारे लगाने के साथ ही लोगों ने पोस्टर भी लहराए.
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया कि ऑपरेशन ब्लूस्टार की आज 39वीं बरसी है. इसी को देखते हुए पंजाब के अमृतसर में सुरक्षा को काफी बढ़ा दिया गया है. बता दें मृतसर के गोल्डन टेंपल के बाहर जरनैल भिंडरावाले के पोस्टर के साथ एक समूह के लोगों ने खालिस्तान समर्थक नारे लगाए. न्यूज एजेंसी एएनआई की एक रएपॉपर्ट के मुताबिक खालिस्तानी अलगाववादी नेता जरनैल भिंडरावाले के पोस्टर और तलवारें लहराते हुए समूह के मेंबर्स ने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाने शुरू कर दिए.
#WATCH | On the 39th anniversary of Operation Blue Star, Bhindranwale posters and pro-Khalistan slogans raised at the Golden Temple in Punjab's Amritsar pic.twitter.com/VapwQgyCWe
— ANI (@ANI) June 6, 2023
आज ही के दिन हुआ ऑपरेशन ब्लूस्टार
इतिहास का हर दिन किसी न किसी अहम घटना से जुड़ा होता है. 6 जून भी एक ऐसी ही तारीख है, जिस दिन कई बड़ी घटनाओं ने देश और दुनिया पर अपनी छाप छोड़ी. इतिहास में 6 जून का दिन सिखों को एक गहरा जख्म देकर गया. इस दिन गोल्डन टेंपल में सेना का ऑपरेशन ब्लूस्टार खत्म हुआ. अकाल तख्त हरमंदिर साहिब की तरफ बढ़ती सेना का जरनैल सिंह भिंडरावाले और खालिस्तान समर्थक चरमपंथियों ने जमकर विरोध किया और इस दौरान दोनों तरफ से भीषण गोलीबारी हुई. भारी खूनखराबे के बीच अकाल तख़्त को भारी नुकसान पहुंचा और सदियों में पहली बार ऐसा हुआ कि हरमंदिर साहिब में गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ नहीं हो पाया. (भाषा इनपुट के साथ)