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तमिलनाडु में दही पर विवाद के बाद अब कर्नाटक में Amul Vs Nandini पर गरमाई सियासत, जानिए आखिर क्या है विवाद?

Amul Vs Nandini: कर्नाटक में अमूल के एंट्री करते ही कांग्रेस पार्टी ने विरोध करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने इस मुद्दे को चुनाव में भुनाने का पूरी तरह से मन बना लिया है.

Amul Vs Nandini: तमिलनाडु में दही विवाद के बाद अब कर्नाटक में होने जा रहे विधानसभा चुनाव से पहले यहां अमूल दूध को लेकर सियासत गरमा गई है. दरअसल, कर्नाटक में अमूल के एंट्री करते ही कांग्रेस पार्टी ने विरोध करना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने इस मुद्दे को चुनाव में भुनाने का पूरी तरह से मन बना लिया है. कांग्रेस का कहना है कि नंदिनी ब्रांड को खत्म करने के लिए बीजेपी ने यह साजिश रची है. वहीं, बीजेपी का कहना है कि अमूल से नंदिनी को कोई खतरा नहीं है. सरकार नंदिनी को देश का नंबर-वन ब्रांड बनाएगी.

जानिए कांग्रेस ने क्या कुछ कहा…

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार ने कहा कि अकेले कांग्रेस ही नहीं अन्य पार्टियां भी इस फैसले का विरोध कर रही हैं. सरकार ने यह कदम उठाकर किसानों की मदद करने की कोशिश नहीं की है. उन्होंने कहा कि नंदिनी अमूल से एक बेहतर ब्रांड है. हम चाहते हैं कि हमारे अधिकार, हमारी जमीन, हमारी मिट्टी, हमारा पानी और हमारा दूध सुरक्षित रहे. डीके शिवकुमार ने कहा कि मेरे किसानों को अच्छी कीमत मिलनी चाहिए. उन्होंने कहा कि नंदिनी हमारी शान है. हमारे लोग वे नंदिनी से प्यार करते हैं. कांग्रेस नेता ने कहा, हमें गुजरात मॉडल नहीं चाहिए, हमारे पास कर्नाटक मॉडल है. हर राज्य की अपनी अलग संस्कृति और परंपरा होती है. हमें अपने किसानों की रक्षा करने की जरूरत है.

सोशल मीडिया पर भी शुरू हुआ अमूल का बहिष्कार

वहीं, कांग्रेस नेता एवं कर्नाटक के पूर्व सीएम सिद्धारमैया ने आरोप लगाते हुए कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह नंदिनी ब्रांड को बंद कराना चाहते हैं, जो कर्नाटक के किसानों की जीवन रेखा है. उन्होंने कहा कि राज्य पर अमूल ब्रांड थोपा जा रहा है. पूर्व सीएम ने लोगों से अमूल उत्पादों का बहिष्कार करने का भी आग्रह किया था. अमूल का यह बहिष्कार सोशल मीडिया पर भी शुरू हो गया है. ट्विटर पर शनिवार को #GoBackAmul और #SaveNandini ट्रेंड करने लगा. इधर, कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, कर्नाटक मिल्क फेडरेशन को गुजरात की अमूल को बेचने की बीजेपी की साजिश अब साफ हो गई है.

जानिए क्या है सरकार का रुख

इन सबके बीच, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने इस मामले में कहा कि अमूल ब्रांड को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं है. हम नंदिनी ब्रांड को देश में नंबर-वन बनाने के लिए उसे और भी ज्यादा प्रतिस्पर्धी बनाएंगे. उन्होंने कहा कि विपक्ष इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहा है. वहीं, स्वास्थ्य मंत्री के सुधाकर ने कहा कि राज्य में नंदिनी के अलावा करीब 18 ब्रांड लंबे समय से बेचे जा रहे हैं. क्या अमूल बीजेपी का ब्रांड है और नंदिनी कांग्रेस का ब्रांड है? कांग्रेस ने अमूल दूध और अन्य उत्पादों की बिक्री के खिलाफ राज्य में एक अभियान शुरू किया है.

आखिर क्याें हो रहा विवाद?

केंद्रीय मंत्री अमित शाह 30 दिसंबर को कर्नाटक के मांड्या जिले में 260 करोड़ की लागत से बनी एक डेयरी का उद्घाटन किया था. बताया गया कि यह डेयरी हर दिन 10 लाख लीटर दूध प्रोसेस करेगी और बाद में इसकी क्षमता बढ़ाकर 14 लाख लीटर प्रतिदिन कर दी जाएगी. उन्होंने साथ ही कहा था कि अमूल और नंदिनी मिलकर कर्नाटक के हर गांव में प्राइमरी डेयरी स्थापित करने की दिशा में काम करेंगे और तीन साल में कर्नाटक में एक भी ऐसा गांव नहीं होगा, जहां प्राइमरी डेयरी नहीं होगी. इसके के बाद से कर्नाटक में यह मुद्दा गरमा गया था. बीजेपी पर नंदिनी ब्रैंड को खत्म करने के आरोप लगने लगे.

तमिलनाडु में दही को लेकर क्या था विवाद?

तमिलनाडु में कन्नड भाषा में दही को मोसारू और तमिल में तयैर कहा जाता है. दही के कप पर यही नाम लिखे जाते थे, लेकिन FSSAI ने मार्च में दक्षिण भारत में दही बनाने वाली सहकारी संस्थाओं को आदेश दिया कि वे अब दही के पैकेट पर दही ही लिखेंगे. इसके बाद प्रदेश में राजनीति शुरू हो गई. तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने केंद्र पर हिंदी थोपने का आरोप लगा दिया और कहा, हिंदी थोपने की बेशर्म जिद हमें हिंदी में दही के एक पैकेट पर भी लेबल लगाने के लिए निर्देशित करने की हद तक आ गई है. हमारे अपने राज्यों में तमिल और कन्नड़ को कमतर कर दिया गया है. हमारी मातृभाषाओं की इस तरह की निर्लज्ज अवहेलना यह सुनिश्चित करेगी कि जिम्मेदार लोगों को दक्षिण से हमेशा के लिए भगा दिया जाए. FSSAI यह सब हमें अपनी मातृभाषा को दूर रखने के लिए कर रहा है. हालांकि, विवाद बढ़ने पर FSSAI ने अपना आदेश वापस ले लिया और नई अधिसूचना जारी कर दही के पैकेट पर क्षेत्रीय भाषा का इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है.

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