Ankita Murder Case: ‘रिसॉर्ट को ढाहने से महत्वपूर्ण सबूत नष्ट कर दिए गए होंगे’, पूर्व डीजीपी का दावा
Ankita Murder Case: उन्होंने कहा कि देर रात की कार्रवाई के पीछे मुख्य उद्देश्य खुद को प्रभावी रूप से पेश करने के लिए प्रशासन के अति उत्साह के रूप में देखा जा सकता है. ऐसा लगता है कि कार्रवाई का उद्देश्य आरोपियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के लिए ब्राउनी पॉइंट हासिल करना है.
Ankita Murder Case: उत्तराखंड के ऋषिकेश में अंकिता भंडारी मर्डर केस की गुत्थी पूरी तरह से अभी नहीं सुलझी है. पूरी ने तीन आरोपियों को हिरासत में लेकर जांच कर रही है. साथ ही इस घटना के विरोध में कुछ स्थानीय लोगों ने रिज़ॉर्ट को आग के हवाले कर दिया था. बता दें कि घटना में रिज़ॉर्ट के मालिक की संलिप्तता देखते हुए रिज़ॉर्ट को ढाह दिया गया. अब उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी आलोक बी लाल ने बीते मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान यह कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड में रिजॉर्ट को गिराने से अवश्य ही महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो गए होंगे.
बिना पूर्व सूचना के रिसॉर्ट को तोड़ दिया
बता दें कि पौड़ी जिले के भोगपुर में रिसॉर्ट के कुछ हिस्सों को तोड़कर हत्या के मामले में सबूत नष्ट करने का आरोप विभिन्न हलकों द्वारा लगते रहे हैं. पूर्व डीजीपी आलोक बी लाल ने एक विशेष साक्षात्कार में मीडिया से कहा कि मुझे लगता है कि इस मामले में तथाकथित अवैध रिसॉर्ट को गिराने की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. उन्होंने कहा, “हालांकि, इस मामले में, बुलडोजर ने बिना किसी पूर्व सूचना के रात में रिसॉर्ट के कुछ हिस्सों को तोड़ दिया. अचानक कार्रवाई ने मामले में महत्वपूर्ण सबूत नष्ट कर दिए होंगे.”
खुद को प्रभावी रूप से पेश करना मुख्य उद्देश्य
उन्होंने कहा कि देर रात की कार्रवाई के पीछे मुख्य उद्देश्य खुद को प्रभावी रूप से पेश करने के लिए प्रशासन के अति उत्साह के रूप में देखा जा सकता है. ऐसा लगता है कि कार्रवाई का उद्देश्य आरोपियों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई के लिए ब्राउनी पॉइंट हासिल करना है. उन्होंने इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि क्या तोड़फोड़ आरोपियों ने खुद की थी. उन्होंने कहा कि जांच से पता चलेगा कि वास्तव में विध्वंस किसने और किसके आदेश पर किया?
जिला प्रशासन के दावे को पूर्व डीजीपी ने नकारा
जिला प्रशासन के इस दावे पर कि रिसॉर्ट की वीडियोग्राफी 22 सितंबर को ही की गई थी, दो दिन पहले एक बुलडोजर ने इसके कुछ हिस्सों को तोड़ा था और वीडियो फुटेज में सभी सबूत बरकरार थे, पूर्व डीजीपी ने कहा कि वीडियोग्राफी इस तरह के फोरेंसिक साक्ष्य को रिकॉर्ड नहीं कर सकती है. बाल, पसीना, लार प्रासंगिक तथ्यों को स्थापित करने के लिए महत्वपूर्ण होती है.