मालेगांव ब्लास्ट केस में एक और गवाह मुकरा, सुधाकर धर द्विवेदी के खिलाफ देने वाला था गवाही
इस मामले में मध्यप्रदेश के भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर प्रमुख आरोपी हैं. केवल यहीं नहीं इस गवाह ने महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते को दिए अपने एक बयान में यह भी कहा था कि- यह फरार आरोपी कई मौकों पर प्रज्ञा ठाकुर से मिल चुका है.
Malegaon 2008 Blast: महाराष्ट्र के मालेगांव में साल 2008 ब्लास्ट मामले में आज एक और गवाह मुकर गया. यह गवाह आरोपी सुधाकर धर द्विवेदी उर्फ दयानंद पांडेय उर्फ शंकराचार्य के बारे में गवाही देने वाला था. गवाह ने स्वेच्छा से पुलिस/एटीएस को कोई बयान देने से इनकार किया. वह अब तक के मुकदमे में 33वां शत्रुतापूर्ण गवाह है. जानकारी के लिए बता दें इससे पहले भी कई गवाह मामले में गवाही देने से मुकर चुके हैं. इससे पहले भी बुधवार के दिन इस मामले से जुड़े एक गवाह अपने बयान से मुकर गया था. जानकारी के लिए बता दें वह इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रतिकूल घोषित होने वाला 31वां गवाह बन गया था.
Another witness turns hostile in Malegaon 2008 blasts case. This witness was supposed to testify about accused Sudhakar Dhar Dwivedi alias Dayanand Pandey alias Shankaracharya. The witness denied having given any statement to Police/ATS voluntarily. He is the 33rd hostile witness…
— ANI (@ANI) April 3, 2023
प्रज्ञा सिंह ठाकुर मुख्य आरोपी
इस मामले में मध्यप्रदेश के भोपाल से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर प्रमुख आरोपी हैं. केवल यहीं नहीं गवाह ने महाराष्ट्र पुलिस के आतंकवाद रोधी दस्ते को दिए अपने एक बयान में यह भी कहा था कि- यह फरार आरोपी कई मौकों पर प्रज्ञा ठाकुर से मिल चुका है. गवाह ने आगे बताते हुए जांच एजेंसी को बताया था कि- उसने फरार आरोपी को एक बाइक पर सवार होते देखा था जो कि कथित तौर पर प्रज्ञा ठाकुर की थी. जांच एजेंसी ने इस बारे में बताते हुए कहा था कि बाइक को ब्लास्ट वाले साइट पर से बरामद किया गया था.
जमानत पर बाहर आरोपी
इस मामले में भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पुरोहित सहित छह अन्य लोगों को मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है. ये सभीओ आरोपी फिलहाल जमानत पर बाहर निकले हुए हैं. बता दें जज ऋषिकेश रॉय और मनोज मिश्रा की बेंच ने हाई कोर्ट के आदेश में दखलअंदाजी करने से मना कर दिया था. जज ऋषिकेश रॉय और मनोज मिश्रा की पीठ ने बताया था कि उसके समक्ष चुनौती हाई कोर्ट के उस आदेश को है जिसमें यह पाया गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए CRPC की धारा 197 (2) के तहत मंजूरी की आवश्यकता नहीं है क्योंकि उसका आक्षेपित आचरण उसके किसी भी ऑफिशियल कर्तव्यों से जुड़ा हुआ नहीं है.