Himachal Pradesh Election 2022 : हिमाचल प्रदेश में चुनाव की घोषणा के बाद सभी पार्टियां अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहीं हैं और वोटरों को लुभाने का प्रयास कर रहीं हैं. इस बीच कांग्रेस की स्थिति कुछ मजबूत नजर आ रही है. यहीं नहीं प्रदेश की जनता हर बार अलग-अलग पार्टी को मौका देती है. प्रदेश में वर्तमान में भाजपा सत्ता पर काबिज है. सत्ता विरोधी लहर का लाभ लेकर और महंगाई तथा बेरोजगारी जैसे मुद्दों को उठाकर कांग्रेस पहाड़ी राज्य में सत्ता में वापसी करने की कोशिश कर रही है.
हिमाचल प्रदेश में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को उसके पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की विरासत का लाभ भी मिलने की उम्मीद है. हालांकि, कांग्रेस का प्रदर्शन आंतरिक कलह और हाल के समय में कुछ पुराने नेताओं के पार्टी छोड़ने की वजह से प्रभावित हो सकता है. हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य और पूर्व मंत्री बी डी बाली के बेटे रघुबीर बाली सहित कुछ युवा नेताओं को चुनावी मैदान में उतारा है. लेकिन, 12 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव में युवा कांग्रेस के कुछ नेताओं को टिकट नहीं दिया गया है.
इसके अलावा, वीरभद्र सिंह जैसे बड़े नेता की कमी कांग्रेस को इस बार खलेगी. भले ही पार्टी उनकी विरासत पर भरोसा कर रही है, क्योंकि वीरभद्र सिंह की पत्नी एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह चुनाव प्रचार में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं. राज्य में सत्ता के लिए कांग्रेस और सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच पारंपरिक रूप से सीधी लड़ाई में आम आदमी पार्टी (आप) के प्रवेश से भी कांग्रेस के लिए यह चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने की संभावना है.
गौरतलब है कि 2013 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी के दिल्ली की राजनीति में प्रवेश करने के बाद कांग्रेस को भारी नुकसान हुआ था. कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग का कहना है कि हिमाचल में विपक्षी दल के रूप में आम आदमी पार्टी के उभरने से भाजपा शासन से तंग आ चुके मतदाताओं को एक विकल्प मिल गया है. कांग्रेस ने राज्य में मतदाताओं को लुभाने के लिए कई वादे भी किए हैं. इनमें सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना की बहाली, 300 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को 1,500 रुपये प्रति माह देने के अलावा सरकारी नौकरियों का वादा भी शामिल है.
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उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में बीते कई दशकों से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस को बारी-बारी से पांच-पांच साल के लिए सत्ता में रहने का मौका मिलता रहा है. वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी जबकि कांग्रेस को केवल 21 सीटें ही मिली थीं. इस चुनाव में भाजपा को 48.8 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के पक्ष में 41.7 प्रतिशत मतदान हुआ था. वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 36 सीटें जीतकर चुनाव जीता था और भाजपा को केवल 26 सीटें मिली थीं. इस बार चुनाव प्रचार में कांग्रेस ने बेहद आक्रामक रुख अपनाया है और उसका आरोप है कि पिछले पांच वर्षों में भाजपा के शासनकाल में राज्य विकास के मामले में काफी पिछड़ गया है.