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पुण्यतिथि विशेष : जब डॉक्टर कलाम ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बजाय बच्चों को दी थी तरजीह, जानिए उनसे जुड़े कुछ रोचक किस्से

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें और उनका मार्ग दर्शन और उनकी सादगी आज भी सभी के प्रेरणा का स्त्रोत हैं.

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी यादें, उनका मार्ग दर्शन और उनकी सादगी आज भी सभी के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं. देश के 11 वें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने आज ही के दिन 2015 में हम सब को अलविदा कह गए.

बतौर विज्ञानिक कह दें या फिर बतौर राष्ट्रपति उनका भारत को एक उन्नत भारत बनाने में उनका बड़ा योगदान था, आज भी भारत का हर बच्चा उनसे प्रेरणा लेकर उनके जैसा बनाना चाहता है.

यूं तो उनसे जुड़े सादगी के कई किस्से मशहूर हैं लेकिन कुछ ऐसी किस्से हैं जिन्हें बहुत कम लोगों को पता है. आज हम आपको उनके कुछ ऐसे किस्से बताएंगे जो आपको न सिर्फ आगे बढ़ने में प्रेरित करेगा बल्कि आपको एक बेहतर इंसान बनाने में मदद करेगा.

1. कलाम के राष्ट्रपति पद पर रहने के दौरान उनके कुछ रिश्तेदार उनसे मिलने पहुंचे थे. उनके रिश्तेदार वहां पर जितने दिन भी रहे उनका सारा खर्च उन्होंने अपनी जेब से दिया. अधिकारियों को साफ आदेश था कि मेहमानों के लिए राष्ट्रपति भवन की कार का इस्तेमाल न किया जाए. उस दौरान उनके

रिश्तेदारों पर खर्च 3 लाख रुपये आया था और उन्होंने वो पैसे अपने निजी खाते से दिया था.

2. बात 15 अक्टूबर 2005 की है, उस वक्त डॉक्टर कलम हैदराबाद में थे, इसी दिन तन्जानिया के कुछ बच्चों के अलावा तत्कालीन राज्यपाल सुशील कुमार शिंदे, मुख्यमंत्री डॉ वाई एस राजशेखर रेड्डी और तेदेपा प्रमुख चंद्रबाबू से मुलाकात करनी थी. इन सबके बीच तत्कालीन राष्ट्रपति ने सबसे पहले बच्चों से मिलने का फैसला किया. दरअसल हृदय रोग से पीड़ित बच्चों का हैदराबाद के केयर अस्पताल में इलाज हुआ था. राष्ट्रपति ने टॉफी के पैकेट्स देकर उनका स्वागत किया और ढेर सारी बातें की. इस बीच राज्यपाल और मुख्यमंत्री जैसी हस्तियो को भी इंतजार करना पड़ा. बाहर बैठे आंध्र प्रदेश के राज्यपाल सुशील कुमार शिंदे, मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी ने भी राष्ट्रपति के इस फैसले की प्रशंसा की थी.

3. आम तौर अन्य नेता छुट्टी पर घूमने जाने के लिए बेकरार रहते हैं लेकिन राष्ट्रपति कलाम वो शख्स थे जिन्होंने अपने पूरे राजनीतिक करियर में सिर्फ 2 छुट्टियां ली. एक बार तब जब उनके पिता की मौत हुई थी और दूसरी बार तब जब उनके माता जी का देहांत हुआ था.

4. कभी नहीं रखा उपहार

देश के 11 वें राष्ट्रपति अपने पूरे जीवन में कोई भी उपहार नहीं लिया. एक शख्स ने उन्हें 2 पेन उपहार में दिए थे जिसे उन्होंने स्वीकार नहीं किया और उन्हें राष्ट्रपति पद से विदा लेते वक्त लौटा दिया. उनका कहना था कि ‘उनके पिता ने सिखाया है कि कोई उपहार कबूल मत करो.

मुशर्रफ ने भी के थी तारीफ

बात तब की है जब साल 2005 जनरल परवेज मुशर्रफ भारत आए थे उस दौरान वो उस वक्त के पीएम मनमोहन सिंह के साथ साथ राष्ट्रपति कलाम से भी मिले लेकिन डॉक्टर कलाम के सचिव ने उनसे पहले कहा कि वो आपसे कश्मीर का मुद्दा जरूर उठायेंगे. आप तैयार रहना तब कलाम साहब उनसे एक ही बात कही, चिंता मत करो मैं सब संभाल लूंगा. लेकिन 30 मिनट के इस मुलाकात में मुशर्रफ ने सिर्फ डॉक्टर कलाम की बात सुनी. कलाम उनको ‘संक्षेप’ में ‘पूरा’ (प्रवाइडिंग अर्बन फैसिलिटीज टु रूरल एरियाज) कॉन्सेप्ट का मतलब समझाते रहे और बताते रहे कि आने वाले 20 सालों में दोनों देश इसे कैसे हासिल कर सकते हैं इस मुलाकात के बाद मुशरफ ने उनसे कहा कि धन्यवाद राष्ट्रपति महोदय भारत भाग्यशाली की उनके पास आप जैसा एक विज्ञानिक राष्ट्रपति है.

posted by : sameer oraon

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