US Apples Controversy: जी 20 शिखर सम्मेलन से पहले भारत सरकार की ओर से अमेरिकी सेब के आयात पर लगने वाले एडिशनल ड्यूटी को हटाने के फैसले का कांग्रेस ने जोरदार विरोध किया है. सरकार के फैसले की हो रही आलोचना पर वाणिज्य मंत्रालय ने अपनी सफाई पेश की है. मंत्रालय ने अपनी सफाई में कहा है कि इस फैसले का स्थानीय व्यापारियों के ट्रेड पर कोई असर नहीं पड़ेगा. सरकार ने अपनी सफाई में यह कहा है कि सिर्फ एडिशन ड्यूटी को खत्म किया गया है, जबकि कम अमेरिकी सेब के आयात के बावजूद 50 फीसदी के बेसिस ड्यूटी को बरकरार रखा गया है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिकी सेब और अखरोट पर 50 फीसदी और 100 फीसदी का एमएफएन शुल्क लागू रहेगा क्योंकि केवल अतिरिक्त 20 फीसदी शुल्क हटा दिया गया है. अमेरिकी बादामों पर एमएफएन दर 100 रुपये प्रति किलोग्राम लागू रहेगी, केवल 20 रुपये प्रति किलोग्राम की अतिरिक्त एमएफएन दर हटाई गई है.
MFN duty of 50% and 100% continues to be applicable on US apples and walnuts as only an additional 20% duty is removed. MFN rate Rs 100/kg continues to be applicable on US almonds as only additional MFN rate Rs 20/kg is removed: Ministry of Commerce & Industry pic.twitter.com/eTRpCTCEhK
— ANI (@ANI) September 12, 2023
पीयूष गोयल ने कही यह बात
अमेरिका से आयातित सेब पर 20 फीसदी सीमा शुल्क में छूट के केंद्र के फैसले पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा है कि देश में सेब के उत्पादन को समर्थन देने के लिए मोदी सरकार ने सेब पर भारी आयात शुल्क लगाया है. कुछ महीने पहले हमने सेब के लिए न्यूनतम आयात मूल्य भी निर्धारित किया था.अमेरिका की ओर से भारत पर लगाए गए प्रतिबंधों के जवाब में, जिसके कारण हमारा निर्यात कम हो गया था, हमने सेब पर जवाबी शुल्क लगाया था.
#WATCH | Delhi: On Centre's decision to relax 20% customs duty on apples imported from the US, Union Minister Piyush Goyal says, "…To support the production of apples in the country the Modi government imposed a heavy import duty on the apples that are imported…A few months… pic.twitter.com/phJp4R83GR
— ANI (@ANI) September 12, 2023
इधर, वाणिज्य मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पीयूष कुमार ने कहा है कि सिर्फ अमेरिकी अतिरिक्त दरें हटा दी गई हैं. सेब पर लागू मूल सीमा शुल्क दर 50 फीसदी जारी रहेगी. हमारे पास सात देश हैं जो सेब लाते हैं. जब हमने अमेरिका के खिलाफ यह अतिरिक्त शुल्क बढ़ाया है, तो अमेरिका ने एक नुकसान यह हुआ कि उन्होंने कुछ बाजार खो दिया जिसे अन्य देशों ने ले लिया. मंत्रालय ने कहा है कि सरकार के इस फैसले से प्रीमियम सेगमेंट वाले सेब, अखरोट और बादाम में कंपटीशन देखने को मिलेगा जिससे घरेलू उपभोक्ताओं को बेहतर कीमत पर अच्छी क्वालिटी वाले प्रोडक्ट्स उपलब्ध होंगे.
#WATCH | Delhi: "…Only the United States additional rates have been removed. The basic customs duty rate that is applicable of 50% on apples will continue. We have seven countries that bring in apples. When we have raised this additional duty against America, the US had a… pic.twitter.com/ugSgTfrfYT
— ANI (@ANI) September 12, 2023
गौरतलब है कि साल 2019 में भारत सरकार ने 20 फीसदी का एडिशनल ड्यूटी अमेरिकी सेब, अखरोट बादाम पर लगाने का फैसला लिया था. भारत सरकार ने यह कदम अमेरिका की ओर से भारतीय स्टील और एल्युमिनियम प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाने के बाद लिया था. इसी कड़ी में बताया जा रहा है कि सरकार ने फिलहाल भारतीय स्टील एल्यूमीनियम प्रोडक्ट्स अमेरिकी मार्केट तक एक्सेस देने के भरोसे के बाद वापस लिया है. हालांकि, मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि इससे भारतीय उत्पादकों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
फैसले पर पुनर्विचार करे सरकार- कांग्रेस
इधर, कांग्रेस ने मंगलवार को दावा किया कि सरकार ने अमेरिका को उपहार देते हुए अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क को 70 फीसदी से घटाकर 15 फीसदी करने का फैसला किया है, कांग्रेस ने कहा कि इस फैसले से जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के बागवानों और किसानों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा. यह बागवानों और किसानों पर चाबुक चलाने वाला कदम है. पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने यह भी कहा कि सरकार को भारतीय किसानों एवं बागवानों के हित में इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. मीडिया से बात करते हुए श्रीनेत ने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उस वक्त कहा करते थे कि विदेशी सेब पर 100 फीसदी आयात ड्यूटी लगा देंगे. लेकिन अब खबरें हैं कि मोदी जी ने अमेरिका के सेब पर आयात शुल्क को 15 फीसदी करने का फैसला किया है जो पहले 70 फीसदी हुआ करता था.
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि पीएम मोदी वॉशिंगटन सेब पर आयात शुल्क कम करके हिमाचल प्रदेश के 5 लाख से अधिक सेब किसानों के साथ अन्याय किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि जब पीएम मोदी प्रधानमंत्री नहीं थे तो वह कहा करते थे कि हिमाचल उनका दूसरा घर है और वाशिंगटन सेब पर 100 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाएगा. लेकिन जब वह पीएम बने तो रिपोर्टों के अनुसार जी 20 के दौरान केंद्र सरकार ने निर्णय लिया कि वाशिंगटन सेब पर केवल 15 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाएगा, जो कभी 70 फीसदी था.
#WATCH Congress leader Supriya Shrinate says, "…When PM Modi was not the Prime Minister he used to say that Himachal is his second home & 100% import duty will be imposed on the Washington apples. But when he became the PM, according to the reports during the G 20 the central… pic.twitter.com/bVBjCbGqou
— ANI (@ANI) September 12, 2023
प्रियंका ने केन्द्र सरकार से पूछा सवाल
इधर, अमेरिका से आयातित सेब पर 20 फीसदी सीमा शुल्क में छूट के केंद्र सरकार के फैसले पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी सवाल खड़ा किया है. प्रियंका ने कहा कि इससे अमेरिकी सेब का आयात आसान हो जाएगा और वे आसानी से बेचे जाएंगे. खरीद की कीमत शिमला में सेब का उत्पादन बड़े उद्योगपतियों की ओर से कम कर दिया गया है. प्रियंका ने कहा कि जब सेब उत्पादक यहां पीड़ित हैं, तो किसकी मदद की जानी चाहिए? उनकी, या अमेरिका के किसानों की.
On Central Govt's decision to relax 20% customs duty on apples imported from the US, Congress General Secretary Priyanka Gandhi Vadra says, "…This will make the import (of American apples) easy and they will be sold easily. Prices of procurement of apples in Shimla have been… https://t.co/tTjfHdVgIi
— ANI (@ANI) September 12, 2023
उमर अब्दुल्ला ने की फिर से विचार करने की अपील
इधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को केंद्र से अमेरिका से आयातित सेब, अखरोट और बादाम पर अतिरिक्त शुल्क हटाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए कहा कि सरकार को विदेशियों को खुश करने के बजाय अपने लोगों को खुश करने की कोशिश करनी चाहिए. इसी कड़ी में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि इस मामले को लेकर जल्द विरोध प्रदर्शन करेंगे. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने यह नहीं सोचा कि इसका देश के किसानों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.