भारत कभी विश्व गुरु था. भारत ने दुनिया को रास्ता दिखाई है लेकिन हम पिछली कई सदियों से पिछड़ गए हैं. केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने बुधवार को सॉफ्ट पावर पर लिखी कनेक्टिंग थ्रू कल्चर पुस्तक के विमोचन के अवसर पर यह बात कही. उन्होंने काह कि विश्व गुरु कोई पद या दर्जा नहीं है. यह एक भूमिका है और हमें लगता है कि यह भूमिका भारत ने अतीत में निभाई है. भारत ने इस भूमिका को महसूस किया है और अब हम फिर से चाहते है कि भारत विश्व गुरु बने. भारत अब चाहता है कि उस तरह की स्थिति को पुनर्जीवित करने में सक्षम हों.
Soft power is a term of recent coinage but the concept is not new to India. It is deeply rooted in Indian cultural ethos. India's power depends on two factors which are sanskrit language and Sanskriti: Kerala Governor Arif Mohammed Khan in Delhi pic.twitter.com/UDz20rdXV7
— ANI (@ANI) July 13, 2022
आरिफ मोहम्मद खान ने आगे कहा कि सॉफ्ट पावर हाल के दिनों में उछाला गया एक शब्द है लेकिन यह अवधारणा भारत के लिए कोई नई नहीं है. यह भारतीय सांस्कृतिक लोकाचार में गहराई से निहित है. उन्होंने कहा कि भारत की शक्ती दो कारकों पर निर्भर करती है जो संस्कृत भाषा और संस्कृति है. विमोचन के मौके पर आरिफ मोहम्मद खान के अलावा केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद थे.
Delhi | What countries do with soft power depends on the power of the country. It could be a smooth osmosis process or you could have an aggressive push. Soft power is about creating narratives, making images and setting standards: External Affairs Minister Dr S Jaishankar pic.twitter.com/OaRTB6b0wB
— ANI (@ANI) July 13, 2022
इस दौरान एस जयशंकर ने कहा कि सॉफ्ट पावर के साथ देश क्या करते हैं यह देश की ताकत पर निर्भर करता है. यह एक सहज प्रक्रिया है जो कभी धीरे और निरंतर हो सकती है या कभी आक्रमक. लेकिन सॉफ्ट पावर हमेशा छवि का निर्माण और मानक स्थापित करने का काम करती है.
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जयशंकर ने आगे कहा, विदेश मंत्री के रूप में मुझे लगता है कि दुनिया को संतुलित करना बेहद जरूरी है. हमने इतिहास में देखा है कि सॉफ्ट पावर में विफल शक्तिशाली देशों ने राजनीतिक उलटफेर किया है. वहीं, किसी देश को संतुलित बनाए रखने के लिए संस्कृति सबसे अहम है जो भारत के लिए फायदे वाली है.