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14 अप्रैल बांद्रा मस्जिद टिप्पणी मामला : मुंबई में दर्ज नये FIR के रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे अर्णब गोस्‍वामी

एक टीवी चैनल के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी एक समाचार कार्यक्रम के दौरान धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में मुंबई पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गयी नयी प्राथमिकी निरस्त कराने के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

नयी दिल्ली : एक टीवी चैनल के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी एक समाचार कार्यक्रम के दौरान धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में मुंबई पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गयी नयी प्राथमिकी निरस्त कराने के लिए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस मामले से जुड़े एक वकील ने बताया कि अर्णब गोस्वामी ने अपनी नयी याचिका में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया है कि दो मई को दर्ज प्राथमिकी के संबंध में आगे किसी भी तरह की जांच से प्राधिकारियों को रोका जाए. अर्णब के रवैये के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका के एक दिन बाद रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक ने शीर्ष अदालत में यह याचिका दायर की है. पालघर में दो साधुओं सहित तीन व्यक्तियों की पीट-पीट कर हत्या के मामले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर मानहानिकारक टिप्पणियों की वजह से आपराधिक मामले में जांच का सामना कर रहे अर्णब पर महाराष्ट्र सरकार का आरोप है कि वह पुलिस के मन में भय पैदा कर रहे हैं.

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मुंबई पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, मुंबई में दो मई को अर्णब और दो अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि उपनगर बांद्रा स्थित एक मस्जिद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करके उन्होंने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. इस अधिकारी ने प्राथमिकी का जिक्र करते हुए बताया कि गोस्वामी ने 14 अप्रैल को अपने कार्यक्रम में मस्जिद की तस्वीर दिखाते हुए इसके बाहर बड़ी संख्या में लोगों के एकत्र होने पर सवाल उठाया था.

कोविड-19 महामारी के मद्देनजर देश में लागू लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने की प्रधानमंत्री की घोषणा के चंद घंटों बाद 14 अप्रैल को बड़ी संख्या में कामगार अपने पैतृक घरों को लौटने की मांग करने के दौरान बांद्रा में एकत्र हुए थे. यह प्राथमिकी दो मई को पायधोनी थाने में रजा एजुकेशन वेलफेयर सोसायटी के सचिव इरफान अबूबकर शेख ने दर्ज करायी है. इससे पहले, 24 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने अर्णब गोस्वामी की याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई कर अपने अंतरिम आदेश में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक को उनके खिलाफ विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकी और शिकायतों के संबंध में तीन सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया था. ये प्राथमिकी और शिकायतें पालघर घटना के संबंध में कथित मानहानिकारक बयानों को लेकर दायर हुई हैं.

पीठ ने नागपुर सदर थाना में दर्ज एक मामला मुंबई के एनएम जोशी मार्ग, थाना में स्थानांतरित कर दिया था और अर्णब को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया था. बाकी अन्य ऐसे मामलों में आगे आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी. पीठ ने युवक कांग्रेस के कुछ कार्यकर्ताओं के खिलाफ गोस्वामी की प्राथमिकी की जांच करने का भी मुंबई पुलिस को आदेश दिया था. महाराष्ट्र सरकार ने अपने इस आवेदन में अर्णब गोस्वामी को अपने अंतरिम संरक्षण का दुरुपयोग नहीं करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है.

इस आवेदन में पुलिस द्वारा अभी तक इन प्राथमिकी के सिलसिले में की गयी जांच का सिलसिलेवार विवरण देने के साथ ही इस मीडिया हाउस के हिन्दी चैनल के समाचार कार्यक्रम का भी हवाला दिया है. पुलिस ने कहा है कि रिपब्लिक भारत चैनल पर उनकी बहस के बयान जांच अधिकारी को धमकाने और आतंकित करने वाले हैं.

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