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अरुणाचल प्रदेशः नदी का पानी अचानक काला होने से हजारों मछलियों की मौत, स्थानीय लोगों ने बताया चीन की साजिश

Arunachal Pradesh के पूर्वी कामेंग जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. यहां कामेंग नदी का पानी एकाएक काला दिखाई देने लगा और देखते ही देखते हजारों की संख्या में मछलियों की मौत हो गई. हजारों की संख्या में मृत मछलियां पाए जाने की खबर मिलते ही प्रशासन की तरफ से अलर्ट जारी किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2021 10:50 PM
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Arunachal Pradesh News अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है. यहां कामेंग नदी का पानी एकाएक काला दिखाई देने लगा और देखते ही देखते हजारों की संख्या में मछलियों की मौत हो गई. नदी के किनारे में हजारों की संख्या में मृत मछलियां पाए जाने की खबर मिलते ही प्रशासन की तरफ से अलर्ट जारी किया गया है. लोगों से फिलहाल इस नदी की मछलियां नहीं खाने की अपील की गई है.

मीडिया रिपोर्ट में जिला मत्स्य विकास अधिकारी के हवाले से बताया गया है कुल घुलित पदार्थों यानि टीडीएस की उच्च सामग्री के कारण नदी का पानी काला हो गया है. जिसके बाद नदी में हजारों मछलियां मृत पाई गईं. शुरुआती जांच में यह बात सामने आ रही है कि मौतों का कारण टीडीएस की बड़ी उपस्थिति देखी गई है. जिसकी वजह से पानी में जलीय प्रजातियों के लिए दृश्यता कम हो जाती और सांस लेने में समस्या होने लगती है. बताया जा रहा है कि नदी के पानी में हाई टीडीएस देखने को मिला, जिसके चलते मछलियां ऑक्सीजन नहीं ले सकीं.

रिपोर्ट के हवाले से अधिकारी ने बताया कि नदी में टीडीएस 6,800 मिलीग्राम प्रति लीटर था, जो सामान्य सीमा 300-1200 मिलीग्राम प्रति लीटर से काफी अधिक था. लोगों से मछली का सेवन नहीं करने की अपील की गई है, क्योंकि इससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. पूर्वी कामेंग जिला प्रशासन ने एक एडवाइजरी जारी कर लोगों से मछली पकड़ने के लिए कामेंग नदी के पास उद्यम करने से बचने और अगले आदेश तक मरी हुई मछलियों को खाने व बेचने से बचने को कहा है. वहीं, सेप्पा पूर्व के विधायक टपुक ताकू ने राज्य सरकार से कामेंग नदी के पानी के रंग में अचानक बदलाव और बड़ी मात्रा में मछलियों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए तुरंत विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने की अपील की.

बताया जा रहा है कि पानी के रंग में अचानक बदलाव के कारण इस बेल्ट के ऊपरी जिलों में भारी भूस्खलन भी हो सकता है. राज्य सरकार को स्थिति का जल्द से जल्द अध्ययन करने के लिए तुरंत एक फेक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन करना चाहिए. बता दें कि इससे पहले पूर्वी सियांग जिले के पासीघाट में सियांग नदी नवंबर 2017 में काली हो गई थी, जिसके बाद अरुणाचल पूर्व के तत्कालीन कांग्रेस सांसद निनॉन्ग एरिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उसके हस्तक्षेप करने की मांग की थी. उन्होंने दावा किया था कि यह चीन में 10 हजार किलोमीटर लंबी सुरंग के निर्माण का परिणाम है, जिसने सियांग से पानी को तकलामाकन रेगिस्तान में झिंजियांग प्रांत की ओर मोड़ दिया. हालांकि, चीन ने इस आरोप का खंडन किया था.

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