अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने परोक्ष तौर पर चीन को संदेश देते हुए कहा कि आज का भारत वह नहीं है जो 1962 में था, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व वाला भारत है. शाह की मौजूदगी में खांडू ने यह भी कहा कि शायद यह पहली बार है कि कोई केंद्रीय गृहमंत्री चीन की सीमा के इतने करीब स्थित स्थान पर आया है. अमित शाह कल उत्तरी सीमा से सटे गांवों का चहुंमुखी विकास सुनिश्चित करने के लिए मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी जीवंत गांव कार्यक्रम (वीवीपी) की शुरुआत करने के लिए यहां आए थे. चीन ने कल शाह के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर आपत्ति जतायी थी.
पेमा खांडू ने कहा- यह 1962 का भारत नहीं है. आज, यह नरेंद्र मोदी का भारत है, यह अमित शाह का भारत है. खांडू ने यह बात सभा में मौजूद लोगों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कही जिसमें से अधिकतर वे लोग थे जो चीन-भारत सीमा के पास रहते हैं. भारत ने 1962 में चीन की ओर से आक्रमण का सामना किया था और किबिथू और पड़ोसी वालेंग में भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के बीच भीषण लड़ाई हुई थी. खांडू की टिप्पणी इसलिए भी मायने रखती है क्योंकि कुछ दिन पहले ही चीन ने अरुणाचल प्रदेश में 11 स्थानों के लिए चीनी नामों की घोषणा की थी. चीन अरुणाचल प्रदेश के तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा होने का दावा करता है.
Also Read: वायनाड में राहुल गांधी ने किया रोड शो, सांसदी जाने के बाद पहला दौरा, प्रियंका गांधी भी साथ
मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा कि मोदी सरकार पूर्वोत्तर खासकर अरुणाचल प्रदेश के सर्वांगीण विकास का पूरे दिल से समर्थन कर रही है. जीवंत गांव कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक उत्तरी सीमा से लगे गांवों के विकास के लिए 4,800 करोड़ रुपये प्रदान करेगी. शाह ने कहा था कि कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों के पलायन को रोकना, गांवों को पर्यटकों के आकर्षण के रूप में विकसित करना, रोजगार सृजित करना और सर्वांगीण विकास के युग में प्रवेश करना है.
वीवीपी एक केंद्र प्रायोजित योजना है जिसके तहत व्यापक विकास के लिए अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में उत्तरी सीमा से सटे 19 जिलों के 46 ब्लॉक में 2,967 गांवों की पहचान की गई है. पहले चरण में, अरुणाचल प्रदेश के 455 गांवों सहित 662 गांवों की पहचान की गई है. अधिकारियों ने कहा कि वीवीपी चिह्नित गांवों में निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करेगा और लोगों को अपने मूल स्थानों पर रहने के लिए प्रोत्साहित करेगा, जिससे इन गांवों से पलायन को रोका जा सके और सीमा की सुरक्षा बढ़ायी जा सकेगी.
Also Read: बीजेपी नेता के बयान पर उद्धव ठाकरे का पलटवार, कहा- जब बाबरी मस्जिद गिराई गई तब कहां थे ये लोग
जिला प्रशासन, ब्लॉक और पंचायत स्तर पर उपयुक्त तंत्र की मदद से, केंद्र और राज्य की योजनाओं की 100 प्रतिशत संतृप्ति सुनिश्चित करने के लिए चिन्हित गांवों के लिए कार्ययोजना तैयार करेगा. गांवों के विकास के लिए जिन क्षेत्रों की पहचान की गई है, उनमें सड़क संपर्क, पेयजल, सौर एवं पवन ऊर्जा सहित बिजली, मोबाइल और इंटरनेट संपर्क, पर्यटन केंद्र, बहुउद्देश्यीय केंद्र और स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना एवं कल्याण केंद्र शामिल हैं. समारोह में, शाह ने अरुणाचल प्रदेश सरकार की नौ सूक्ष्म पनबिजली परियोजनाओं का भी शुभारंभ किया, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वालों के लाभ के लिए स्वर्ण जयंती सीमा रोशनी कार्यक्रम के तहत बनाई जा रही हैं. स्थानीय लोगों के अलावा, इन मिनी पनबिजली परियोजनाओं से उत्पन्न होने वाली बिजली सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के प्रतिष्ठानों को भी दी जाएगी.