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‘अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न अंग’, अमेरिकी सीनेट समिति ने प्रस्ताव पारित किया

अमेरिकी सीनेट समिति ने प्रस्ताव पारित कर अरुणाचल प्रदेश को भारत का अभिन्न अंग माना है. अमेरिका मैकमोहन रेखा को चीन और भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मान्यता देता है . इसने अरुणाचल प्रदेश के बड़े हिस्से पर चीन के दावे को खारिज कर दिया.

By Abhishek Anand | July 14, 2023 10:59 AM
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संयुक्त राज्य कांग्रेस की सीनेटरियल कमेटी ने गुरुवार को अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न अंग के रूप में मान्यता देने वाला एक प्रस्ताव पारित किया. यह प्रस्ताव ओरेगॉन के सीनेटर जेफ मर्कले , टेनेसी के सीनेटर बिल हेगर्टी और टेक्सास के सीनेटर जॉन कॉर्निन द्वारा पारित किया गया था . इस प्रस्ताव को सीनेटर टिम काइन (डी-वीए) और क्रिस वान होलेन (डी-एमडी) द्वारा प्रायोजित किया गया था. कानून इस बात की पुष्टि करता है कि अमेरिका मैकमोहन रेखा को चीन और भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के बीच अंतरराष्ट्रीय सीमा के रूप में मान्यता देता है . इसने अरुणाचल प्रदेश के बड़े हिस्से पर चीन के दावे को खारिज कर दिया

‘अमेरिका भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को भारत गणराज्य के हिस्से के रूप में देखता है’

सीनेटरियल कमेटी में सह-अध्यक्ष के रूप में कार्य करने वाले सीनेटर मर्कले ने कहा, “स्वतंत्रता और नियम-आधारित व्यवस्था का समर्थन करने वाले अमेरिका के मूल्य दुनिया भर में हमारे सभी कार्यों और संबंधों के केंद्र में होने चाहिए – चीन पर कांग्रेस-कार्यकारी आयोग. “इस प्रस्ताव के पारित होने से समिति पुष्टि करती है कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश को भारत गणराज्य के हिस्से के रूप में देखता है – पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना नहीं – और अमेरिका समान विचारधारा वाले लोगों के साथ इस क्षेत्र में समर्थन और सहायता को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.

भारत के साथ खड़ा हुआ अमेरिका 

इस बीच, सीनेटर हेगर्टी ने कहा कि ऐसे समय में जब चीन स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए गंभीर और खतरे पैदा कर रहा है, संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह क्षेत्र में अपने रणनीतिक साझेदारों-विशेषकर भारत और के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहे. एक आधिकारिक बयान के अनुसार, अन्य क्वाड देश- और क्षेत्रीय विस्तार की सीसीपी की व्यापक रणनीति के खिलाफ पीछे हटेंगे जो उसने दक्षिण और पूर्वी चीन सागर, हिमालय और दक्षिणी प्रशांत क्षेत्र में अपनाई है.

प्रस्ताव में अरुणाचल को भारतीय गणराज्य का हिस्सा माना गया 

सीनेटर कॉर्निन ने कहा, “जैसा कि भारत और चीन के बीच उनकी साझा सीमा को लेकर तनाव बढ़ रहा है, संयुक्त राज्य अमेरिका को स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक का समर्थन करके लोकतंत्र की रक्षा में मजबूती से खड़ा होना चाहिए.” कॉर्निन ने आगे कहा कि यह प्रस्ताव इस बात की पुष्टि करेगा कि अमेरिका अरुणाचल प्रदेश को “भारत गणराज्य का हिस्सा” मानता है.

क्या है भारत-चीन सीमा विवाद ?

चीन के साथ सीमा विवाद को समझने से पहले थोड़ा भूगोल समझना जरूरी है. चीन के साथ भारत की 3,488 किमी लंबी सीमा लगती है. ये सीमा तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बंटी हुई है. ईस्टर्न सेक्टर में सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन से लगती है, जो 1346 किमी लंबी है. मिडिल सेक्टर में हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा है, जिसकी लंबाई 545 किमी है. वहीं, वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख आता है, जिसके साथ चीन की 1,597 किमी लंबी सीमा लगती है. चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किमी के हिस्से पर अपना दावा करता है. जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार वर्ग किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है.

अक्साई चिन विवाद

इसके अलावा 2 मार्च 1963 को हुए एक समझौते में पाकिस्तान ने पीओके की 5,180 वर्ग किमी जमीन चीन को दे दी थी. 1956-57 में चीन ने शिन्जियांग से लेकर तिब्बत तक एक हाईवे बनाया था. इस हाईवे की सड़क उसने अक्साई चिन से गुजार दी. उस समय अक्साई चिन भारत के पास ही था. सड़क गुजारने पर तब के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने चीनी राष्ट्रपति झोऊ इन लाई को पत्र लिखा. झोऊ ने जवाब देते हुए सीमा विवाद का मुद्दा उठाया और दावा किया कि उसके 13 हजार वर्ग किमी इलाके पर भारत का कब्जा है. झोऊ ने ये भी कहा कि उनका देश 1914 में तय हुई मैकमोहन लाइन को नहीं मानता.

क्या है ये मैकमोहन लाइन?

1914 में शिमला में एक सम्मेलन हुआ. इसमें तीन पार्टियां थीं- ब्रिटेन, चीन और तिब्बत. इस सम्मेलन में सीमा से जुड़े कुछ अहम फैसले हुए. उस समय ब्रिटिश इंडिया के विदेश सचिव हेनरी मैकमोहन थे. उन्होंने ब्रिटिश इंडिया और तिब्बत के बीच 890 किमी लंबी सीमा खींची. इसे ही मैकमोहन लाइन कहा गया. इस लाइन में अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा बताया गया था. आजादी के बाद भारत ने मैकमोहन लाइन को माना, लेकिन चीन ने इसे मानने से इनकार कर दिया. चीन ने दावा किया कि अरुणाचल दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा है और चूंकि तिब्बत पर उसका कब्जा है, इसलिए अरुणाचल भी उसका हुआ.

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