‘कोरोना मरीजों को नहीं लेंगे, जो करना है कर लो’ दिल्ली के अस्पतालों की दादागिरी पर भड़के केजरीवाल
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली (coronavirus in delhi) में यदि प्राइवेट अस्पतालों ने मनमानी की तो केजरीवाल सरकार उनपर गाज गिराएगी. डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस (arvind kejriwal digital press confrence) के माध्यम से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को प्राइवेट अस्पतालों को चेतवानी दी और कहा कि कुछ अस्पताल कोविड (covid 19) मरीजों को भर्ती करने से मना कर रहे हैं.
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यदि प्राइवेट अस्पतालों ने मनमानी की तो केजरीवाल सरकार उनपर गाज गिराएगी. डिजिटल प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को प्राइवेट अस्पतालों को चेतवानी दी और कहा कि कुछ अस्पताल कोविड मरीजों को भर्ती करने से मना कर रहे हैं. बेड आवंटित करने के लिए पैसे मांग रहे हैं. उनहें बख्शा नहीं जाएगा.
आगे केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार कोविड मरीजों के लिए उपलब्ध बैडों पर नजर रखने के लिए हरेक निजी अस्पताल में मेडिकल पेशेवर तैनात करेगी. उन्होंने कहा कि दिल्ली में कोविड-19 की जांच नहीं रुकी है, 36 सरकारी और निजी प्रयोगशालाएं जांच कर रही है.
केजरीवाल की दो टूक: केजरीवाल ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि दिल्ली के कुछ अस्पताल इतने शक्तिशाली हो चुके हैं कि सभी पार्टियों के अंदर उनकी पहुंच बन गयी हैं. इन अस्पतालों ने धमकी दी है कि हम कोरोना के मरीज़ नहीं लेंगे जो करना है कर लो. मैं उनको कहना चाहता हूं कोरोना के मरीज़ तो तुमको लेने पड़ेंगे. आगे दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा कि जो दो-चार अस्पताल इस गुमान में हैं कि वो अपनी दूसरी पार्टी के आकाओं के जरिए कुछ करवा लेंगे, वो अपनी ब्लैक मार्केटिंग करेंगे. तो उनको मैं आज चेतावनी देना चाहता हूं, उनको बख्शा नहीं जाएगा.
अस्पताल के बेड पर केजरीवाल की नजर: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार का एक मेडिकल प्रोफेशनल हर निजी अस्पताल के रिसेप्शन पर बैठेगा. वो हमें ये जानकारी देगा कि कितने बेड खाली हैं और कितने भर गए हैं. कोई जाएगा तो वो ये सुनिश्चित करेगा कि उसको भर्ती करें. उन्होंने कहा कि यदि कोई मरीज़ गंभीर है लेकिन उसका टेस्ट नहीं हुआ तो ऐसे मरीज़ को सारे अस्पताल लेने से मना कर देते हैं. आज हम ये ऑर्डर निकाल रहे हैं कि किसी भी संदिग्ध मरीज़ को कोई भी अस्पताल देखने से मना नहीं करेगा और अस्पताल उसका टेस्ट कराएगा.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का दिशानिर्देश : इधर, दिल्ली स्वास्थ्य विभाग ने जानकारी दी कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के मुताबिक एसिप्टोमैटिक और हल्के लक्षण वाले मामलों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है. अस्पताल को किसी भी हल्के या एसिप्टोमैटिक मरीज़ को अस्पताल में भर्ती करने के 24 घंटे के अंदर डिस्चार्ज करना होगा.