‘बंदा जेल से बाहर ना आ जाये, कानून नहीं तानाशाही है’, केजरीवाल की गिरफ्तारी पर भड़कीं पत्नी सुनीता
Arvind Kejriwal: सीबीआई द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किये जाने के बाद उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल की तीखी प्रतिक्रिया आई है.
Arvind Kejriwal: सुनीता केजरीवाल ने आरोप लगाया कि पूरा तंत्र यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि उनके पति जेल से बाहर न आ सकें. उन्होंने कहा कि यह सब तानाशाही और आपातकाल के समान है. सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में सुनीता ने कहा, 20जून अरविंद केजरीवाल को बेल मिली. तुरंत ED ने रोक लगवा लिया. अगले ही दिन CBI ने आरोपी बना दिया. और आज गिरफ्तार कर लिया. पूरा तंत्र इस कोशिश में है कि बंदा जेल से बाहर ना आ जाये. ये कानून नहीं है. ये तानाशाही है, इमरजेंसी है.
आम आदमी पार्टी ने बीजेपी पर लगाया गंभीर आरोप
आम आदमी पार्टी (आप) ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर केजरीवाल को सीबीआई द्वारा फर्जी मामले में गिरफ्तार कराए जाने का आरोप लगाया. आम आदमी पार्टी ने कहा, तानाशाह ने जुल्म की सारी हदें पार कर दी है. आज जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिलने की पूरी संभावना थी तो बौखलाहट में भाजपा ने फर्जी मामले में सीबीआई से केजरीवाल को गिरफ्तार करवा दिया. आप के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि इससे बड़ा कोई आपातकाल नहीं हो सकता. सिंह ने कहा, केजरीवाल न तो आतंकवादी हैं और न ही अपराधी. सीबीआई ने चार आरोपपत्र दाखिल किए, लेकिन केजरीवाल का कोई जिक्र नहीं था. उन्हें केजरीवाल की याद तब आती है, जब वह रिहा होने वाले होते हैं. पूरा देश जानता है कि क्या हो रहा है. उन्होंने कहा, मैं प्रधानमंत्री और भाजपा से कहना चाहता हूं कि आपने आपातकाल लगा दिया है. आप हमें सरेआम गोली मार सकते हैं, पूरा देश आपका गंदा खेल देख रहा है.
1 अप्रैल से तिहाड़ जेल में बंद हैं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली की आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले के सिलसिले में एक अप्रैल से जेल में हैं. इस मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है. ईडी ने 21 मार्च को अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार करने के वास्ते केजरीवाल को 21 दिन की अंतरिम जमानत दी थी. वह दो जून को जेल लौटे थे. दिल्ली के उपराज्यपाल ने आबकारी नीति 2021-22 में कथित अनियमितताओं और भ्रष्टाचार को लेकर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से इसकी जांच कराने का आदेश दिया था जिसके बाद इस नीति को जुलाई 2022 में रद्द कर दिया गया था.