Loading election data...

अध्यादेश मामले पर अरविंद केजरीवाल को नहीं मिलेगा कांग्रेस का साथ? जानें कहां फंसा पेच

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों से आग्रह किया था कि वे केंद्र के अध्यादेश से संबंधित विधेयक का संसद में विरोध करें. जानें इसपर कांग्रेस नेताओं की क्या है राय

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 29, 2023 3:51 PM
an image

कांग्रेस की दिल्ली और पंजाब इकाई के नेताओं ने सोमवार को पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की. इसके बाद जो खबर निकलकर सामने आ रही है उसके अनुसार, इनमें से ज्यादातर नेताओं ने दिल्ली में केंद्र के अध्यादेश के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल एवं आम आदमी पार्टी के साथ नहीं खड़े होने की पैरवी की है. सूत्रों के हवाले से यह खबर सामने आयी है.

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से अलग-अलग मुलाकात की. बैठक के बाद अरविंद केजरीवाल से गठबंधन संबंधी सवाल पर पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि जहां वैचारिक मतभेद हों, वहां गठबंधन नहीं हो सकता है. इस बात को लेकर बहुत साफ हूं कि मेरी लड़ाई सत्य के पक्ष की है. मैं नैतिक मूल्यों को लेकर समझौता नहीं करता. आज नैतिक मूल्य निचले स्तर पर चले गए हैं क्योंकि लोकतांत्रिक मूल्यों का पतन हो गया है.

केजरीवाल ने किया था आग्रह

आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों से आग्रह किया था कि वे केंद्र के अध्यादेश से संबंधित विधेयक का संसद में विरोध करें. इसके बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और कांग्रेस के कुछ अन्य नेताओं ने केंद्र सरकार के इस अध्यादेश के विषय पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अपने आलाकमान से आग्रह किया था कि वह इस मामले में आम आदमी पार्टी एवं केजरीवाल का समर्थन न करें.

Also Read: अरविंद केजरीवाल ने अस्पताल में सत्येंद्र जैन को लगाया गले, ऐसी हो गयी है पूर्व स्वास्थ्य मंत्री की हालत
क्या है मामला

उल्लेखनीय है कि केंद्र ने आईएएस और दानिक्स कैडर के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए हाल ही में अध्यादेश जारी किया था. यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली में निर्वाचित सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि से संबंधित सेवाओं को छोड़कर अन्य सेवाओं का नियंत्रण सौंपने के बाद आया.

भाषा इनपुट के साथ

Exit mobile version