Rajasthan Chunav 2023 : राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं जिसके लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. इस बीच मुस्लिम वोटों पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की नजर है. उन्होंने मुसलमानों से न्याय हासिल करने के लिए राजनीति में शामिल होने की अपील की है. आपको बता दें कि ओवैसी एक दिन के लिए जोधपुर में थे. वह राजस्थान में अपनी पार्टी के लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं, जहां साल के अंत में चुनाव होने हैं.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने राजस्थान में कहा कि मुसलमान केवल वोट देते हैं और कई अन्य समुदायों जैसे जाट, राजपूत, गुर्जर आदि की तरह वोट नहीं लेते हैं. इन समुदायों ने न केवल वोट दिये हैं बल्कि वोट लिये भी हैं और मुसलमानों के विपरीत अपनी कई समस्याओं को हल किया है. उन्होंने कहा कि मुसलमानों को इन समुदायों से सीखने और अपना नेतृत्व बनाने की जरूरत है. लोकतंत्र केवल अपना वोट डालने के बारे में नहीं है. आपको इसमें भाग लेने की भी आवश्यकता है. तभी आप अपने लिए कुछ कर पाएंगे.
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हम राजस्थान को एक राजनीतिक विकल्प देना चाहते हैं, जहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता में आती रही हैं. ओवैसी ने कहा कि राज्य में कांग्रेस सरकार ने मुसलमानों को बुरी तरह निराश किया है और हरियाणा में गो रक्षकों द्वारा जुनैद और नसीर की हत्या का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत और राजस्थान के अन्य मुस्लिम विधायक पीड़ितों के परिवारों से क्यों नहीं मिले, जबकि वे यह तुरंत कर सकते थे. गहलोत को उनसे मिलने में काफी समय लग गया और वह भी तब किया जब हमने उनकी आलोचना की.
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ओवैसी ने जुनैद और नसीर हत्याकांड से निपटने को लेकर भाजपा नीत हरियाणा सरकार की भी आलोचना की और मामले के मुख्य आरोपियों में से एक मोनू मानेसर को ‘आरएसएस का प्रिय’ कहा. उन्होंने आरोप लगाया कि मोनू और अन्य सभी आरोपी आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) समर्थित हैं. मोनू आरएसएस का प्रिय है, इसलिए उसके खिलाफ कार्रवाई का कोई सवाल ही नहीं है. हरियाणा की भाजपा सरकार उसके खिलाफ कैसे कार्रवाई कर सकती है.
इस बार मैदान में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) भी ताल ठोंकने को तैयार है. पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा की है जिसके बाद समीकरण बदलने के आसार जताये जाने लगे हैं. प्रदेश में 400 सीट है जिसमें ओवैसी की पार्टी 40 सीट पर उम्मीदवार उतारेगी. जानकारों की मानें कि ओवैसी के इस फैसले से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है.