आसाराम पर आधारित किताब का क्या होगा ? दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स की उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें आसाराम बापू पर आधारित एक पुस्तक के प्रकाशन पर लगी अंतरिम रोक को हटाने का अनुरोध किया गया था.
नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को प्रकाशक हार्पर कॉलिन्स की उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें आसाराम बापू पर आधारित एक पुस्तक के प्रकाशन पर लगी अंतरिम रोक को हटाने का अनुरोध किया गया था.
”गनिंग फॉर द गॉडमैन : द ट्रू स्टोरी बिहाइंड आसराम बापू कन्विक्शन” नाम की किताब के प्रकाशन पर अदालत ने अंतरिम रोक लगायी हुई है. उच्च न्यायालय ने मंगलवार और बुधवार को इस मामले में प्रकाशक और वादी महिला के वकीलों की दलीलें सुनीं. आसाराम बलात्कार मामले में सह-दोषी वादी महिला की याचिका पर निचली अदालत ने किताब के वितरण रोक लगा दी थी.
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सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने सुझाव दिया कि दोनों पक्ष इस मामले में बीच का रास्ता तलाश करें जैसे कि किताब की शुरुआत में ही ‘घोषणा’ प्रकाशित की जाए. न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा कि किताब की 5,000 प्रति पहले ही प्रकाशित हो चुकी हैं और अब इसे बदला नहीं जा सकता.
हालांकि, महिला की वकील संचिता गुप्ता ने कहा कि उन्होंने अपनी मुवक्किल से निर्देश ले लिया है और अदालत इस मामले को गुण-दोष के आधार पर तय कर सकती है. प्रकाशक ने निचली अदालत द्वारा चार सितंबर को किताब के प्रकाशन पर लगायी गई अंतरिम रोक को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.
प्रकाश की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा, ” यह बेहद गंभीर है. सभी किताबें पहले ही वितरकों को पहुंचायी जा चुकी हैं. पिछले कुछ वर्षों में यह चलन बन गया है कि वे किताब के जारी होने की पूर्व संध्या पर अदालत जाते हैं और एक पक्षीय रोक हासिल कर लेते हैं.” सिब्बल ने दलील दी थी कि किताब मुकदमे के रिकॉर्ड पर आधारित थी.
वहीं महिला की वकील ने दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि यदि इसके प्रकाशन की अनुमति दी गई तो उनके मुवक्किल के लिए अपूरणीय क्षति साबित होगी. इस किताब के लेखक जयपुर के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अजय लांबा और संजीव माथुर हैं और इसको पांच सितंबर को जारी होना था
Posted By – Pankaj Kumar Pathak