23.9 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Explainer: अशोक गहलोत को सीएम पद से हटाना कितना मुश्किल ? सचिन पायलट के हठ के बाद भी बने रहे पद पर

यदि आपको याद हो तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट में हमेशा से सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान मचती रही है. साल 2020 की बात करें तो इस साल सचिन पायलट ने पार्टी से बगावत कर दी थी. पढ़ें कांग्रेस की राजनीति विस्तार से

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक ऐसा बयान दिया है जो चर्चा का विषय बन चुका है. जी हां…हल्के-फुल्के अंदाज में प्रदेश के सीएम गहलोत ने कहा कि वह कई बार मुख्यमंत्री पद छोड़ने की सोचते हैं लेकिन यह पद उन्हें नहीं छोड़ रहा. साथ ही गहलोत ने आगामी विधानसभा चुनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि ‘अब आगे देखते हैं क्या होता है…’ उनके इस बयान के बाद कई तरह के कयास लगाये जा रहे हैं. आपको बता दें कि इस साल के अंत तक प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं जिसको लेकर कांग्रेस ने पूरी तरह से कमर कस ली है. पिछले दिनों पार्टी ने अंदरुनी कलह से पार पा लिया और सीएम गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के रिश्तों में खटास खत्म कर दिया.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री पद जो है ना, मैं कई बार सोचता हूं छोड़ना… पर मुख्यमंत्री पद मुझे नहीं छोड़ रहा है. गहलोत ने गुरुवार को राज्य के विभिन्न चिकित्सा संस्थानों के शिलान्यास एवं उद्घाटन के वर्चुअल कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अंगदान के लाभार्थियों से बातचीत कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने उक्त बातें कही. मुख्यमंत्री आवास में मंच पर इस कार्यक्रम से ऑनलाइन जुड़े लोगों के ठहाकों व तालियों के बीच लाभार्थी महिला ने दुबारा कहा कि मैं तो यही चाहती हूं कि मुख्यमंत्री आप ही रहें. इस पर गहलोत ने कहा कि आप तो कह रही हो यह लगातार … लेकिन मैं तो खुद कह रहा हूं कि मुख्यमंत्री पद मुझे छोड़ नहीं रहा है. अब आगे क्या होता है देखते हैं…

कौन होगा राजस्थान का सीएम

पिछले दिनों मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर सचिन पायलट ने एक इंटरव्यू में बात की थी. उन्होंने कहा था कि दशकों से ऐसा देखा गया है कि कभी भी कांग्रेस पार्टी किसी सीएम फेस के साथ चुनावी मैदान में नहीं उतरती है. साल 2018 में मैं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद पर काबिज था और हमसब ने मिलकर चुनाव लड़ा. चुनाव में जीत के बाद जो भी निर्णय लिया गया वो सभी के सामने है. भविष्य में क्या होगा ये बड़ा स्पष्ट है कि मिलकर चुनाव लड़ेंगे और चुनाव जीतने के बाद हम मिलकर तय करेंगे कि प्रदेश की कमान किसके हाथ में दी जाए. उन्होंने कहा था कि महत्वपूर्ण ये है कि हम चुनाव जीतें कैसे ? क्योंकि लोकसभा चुनाव भी नजदीक है. ऐसे में राजस्थान का विधानसभा चुनाव जीतना हमारे लिए ज्यादा जरूरी हो गया है. इसे जीतने के लिए हम लोग पूरी ताकत लगाएंगे.

सचिन पायलट ने की थी बगावत

यदि आपको याद हो तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट में हमेशा से सीएम की कुर्सी को लेकर खींचतान मचती रही है. साल 2020 की बात करें तो इस साल सचिन पायलट ने पार्टी से बगावत कर दी थी. कांग्रेस पार्टी से बगावत पर उतरे पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट गुट का दावा था कि उनके साथ 30 विधायक हैं. लेकिन, बाद में समीकरण कुछ बदलते नजर आये. पायलट समर्थक विधायकों की संख्या घटकर अब 25 रह गयी थी. यह संख्या बाद में घटकर 22 हो गयी. इस वक्त कांग्रेस ने स्थित को नियंत्रण में किया और गहलोत सरकार ने अपने पांच साल पूरे किये.

2020 से जारी है गहलोत और पायलट के बीच विवाद

राजस्थान में साल 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया था. इसके बाद से ही गहलोत और पायलट के बीच सत्ता के लिए संघर्ष जारी है. 2020 में सचिन पायलट ने गहलोत सरकार के खिलाफ विद्रोह भी किया, जिसके बाद से उन्हें राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष और डिप्टी सीएम के पद से हटाने का काम पार्टी ने किया. साल 2023 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में कांग्रेस ने पायलट और गहलोत के बीच सियासी टकराव खत्म करने को लेकर कुछ दिन पहले अहम बैठक की थी. इसी में तय किया गया था कि कांग्रेस यह चुनाव बिना मुख्यमंत्री के चेहरे पर लड़ेगी.

कांग्रेस की चेतावनी को सचिन पायलट ने किया था नजर अंदाज

पिछले साल, जब सीएम अशोक गहलोत के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की संभावना जतायी जा रही थी तो राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को प्रभावित करने का आलाकमान का प्रयास फेल होता नजर आया था. दरअसल, इस वक्त सीएम गहलोत के वफादारों ने अपनी एड़ी-चोटी लगा दी और विधायक दल की बैठक नहीं होने दी थी. राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बीते महीने पार्टी की चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया था और वसुंधरा राजे सरकार के दौरान भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर गहलोत पर निशाना साधा था. यही नहीं वे एक दिन के उपवास पर भी बैठ गये थे.

Also Read: लाल डायरी पर क्यों ‘लाल’ हो रहा राजस्थान, राजेंद्र गुढ़ा ने किया दावा- गहलोत सरकार हो जाएगी बेनकाब

गांधी परिवार के भरोसेमंद हैं अशोक गहलोत

अशोक गहलोत की बात करें तो उन्हें राजनीति का जादूगर कहा जा सकता है. उनके पिता का नाम लक्ष्मण सिंह गहलोत था जो राजस्थान के मशहूर जादूगर थे. अशोक गहलोत भी पिता के साथ कई शो में नजर आते थे. कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बचपन में वह उनके जादूगर अंकल हुआ करते थे, आज वे गांधी परिवार के चाणक्य माने जाते हैं. अशोक गहलोत कुशल रणनीतिकार माने जाते हैं जिसका लोहा वे कई चुनाव में दिखा चुके हैं. 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को कांटे की टक्कर दी. यह गहलोत की वजह से ही हुआ था. यही वजह है कि सचिन पायलट की खुली बगावत के बाद भी मुख्यमंत्री की उनकी कुर्सी पर कोई आंच नहीं आयी. महज 34 साल की उम्र में राजस्थान के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनने के साथ ही उनके नाम एि रिकॉर्ड बना. वे कांग्रेस के इतिहास में सबसे कम उम्र के प्रदेश अध्यक्ष बने और कांग्रेस को आगे लेकर बढ़ते चले गये.

Also Read: अशोक गहलोत बोले- इस्तीफा देना चाहता हूं, लेकिन मुख्यमंत्री पद मुझे नहीं छोड़ रहा

यहां चर्चा कर दें कि अशोक गहलोत तीन पीढ़ियों से गांधी परिवार के भरोसेमंद रहे हैं. यही वजह है कि उन्हें डिगा पाना मुश्किल नजर आ रहा है. उन्हें इंदिरा गांधी ने चुना जबकि संजय गांधी ने उन्हें तराशा था. यही नहीं राजीव गांधी ने गहलोत को आगे बढ़ाया जबकि सोनिया गांधी ने उन्हें चमकाया.

सोनिया गांधी के भी करीबी

साल 1998 के राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जबरदस्त जीत मिली और पार्टी ने प्रदेश की कमान को लेकर बड़ा फैसला किया. इस साल विधानसभा की 200 सीटों में से 153 पर पार्टी ने जीत का परचम लहराया. राजेश पायलट, नटवर सिंह, बूटा सिंह, बलराम जाखड़, परसराम मदेरणा जैसे दिग्गजों के बजाय सोनिया गांधी ने अशोक गहलोत पर अपना दांव खेला और वेह पहली बार मुख्यमंत्री के पद पर काबिज हुए.

राजस्थान का ट्रेंड

राजस्थान के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो यहां हर बार जनता सरकार को बदलने का काम करती है. पिछले छह विधानसभा चुनाव में यही देखने को मिला है. कभी जनता कांग्रेस को मौका देती है तो कभी बीजेपी सत्ता पर काबिज होती है. इस बार कांग्रेस नेता दावा करते नजर आ रहे हैं कि राजस्थान में ट्रेंड टूटेगा और कांग्रेस फिर सत्ता पर काबिज होगी. इसके लिए कांग्रेस के दिग्गज पूरा जोर लगा रहे हैं. 2018 के विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो सत्तारुढ़ पार्टी बीजेपी चुनाव हारी और कांग्रेस सत्ता पर आसीन हुई. कांग्रेस 100 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. बीजेपी महज 73 सीटों पर सिमट गयी.

Also Read: कांग्रेस ने चुनावी राज्यों के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का किया गठन, गौरव गोगोई को राजस्थान की जिम्मेदारी

क्यों हारती है सत्तारूढ़ पार्टी

पिछले 20 साल में राजस्थान में हुए चार विधानसभा चुनाव की बात करें तो कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल नहीं हो सकी है. सत्ताधारी पार्टी के विधायक दोबारा चुनाव मैदान में उतरते हैं तो उनमें से ज्यादातर को हार का सामना करना पड़ता है. जनता का सबसे ज्यादा गुस्सा मंत्रियों पर निकलता नजर आता है, पिछली चार सरकारों में मंत्री रहे ज्यादातर नेता अगले चुनाव में हारते दिख चुके हैं. राजस्थान की राजनीति में जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों की मानें तो जब कोई पार्टी सत्ता में आती है तो प्रदेश की जनता की उम्मीदें उससे जुड़ जाती हैं. लेकिन जब पांच साल में उम्मीदें पूरी नहीं होती तो चुनाव आते-आते लोगों की नजर से वे उतर जाते हैं. यही वजह है कि सरकार के खिलाफ एंटीइन्कमबेंसी बढ़ जाती है और इसका असर चुनाव में नजर आता है.

Also Read: क्या कर्नाटक में गिर जाएगी कांग्रेस सरकार ? पीएम मोदी से मिलने पहुंचे सीएम सिद्धरमैया ने जानें क्या कहा

कांग्रेस चुनाव कमेटी

पिछले दिनों कांग्रेस ने चुनाव कमेटी बनायी जिसमें गोविंद सिंह डोटासरा को चेयरमैन नियुक्त किया गया. इस बाबत कांग्रेस की ओर से एक सूची जारी की गयी जिसमें प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट का नाम नजर आ रहा है. पार्टी की ओर से जो सूची जारी की गयी है उसमें 29 नाम दिख रहे हैं. कमेटी में राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, जितेंद्र सिंह, सचिन पायलट, रघुवीर मीणा, रामेश्वर डूडी, मोहन प्रकाश, रघु शर्मा, हरिश चौधरी, लालचंद कटारिया, महेंद्र जीत मालवीय समेत कुल 29 सदस्य बनाये गये हैं.

क्या है राजस्थान का ट्रेंड

पिछले छह विधानसभा चुनाव का इतिहास को उठाकर देख लें तो राजस्थान का ट्रेंड समझ में आ जाता है. जनता हर साल सरकार बदल देती है.

1. अशोक गेहलोत (कांग्रेस)-17 दिसंबर 2018 से अबक

2. वसुंधरा राजे सिंधिया(बीजेपी)-13 दिसंबर 2013 से 16 दिसंबर 2018

3. अशोक गेहलोत (कांग्रेस)-12 दिसंबर 2008 से 13 दिसंबर 2013

4. वसुंधरा राजे सिंधिया (बीजेपी)-08 दिसंबर 2003 से 11 दिसंबर 2008

5. अशोक गेहलोत(कांग्रेस)-01 दिसंबर 1998 से 08 दिसंबर 2003

6. भैरों सिंह शेखावत(बीजेपी)-04 दिसंबर 1993 से 29 नवंबर 1998

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें