Congress Crisis : राजस्थान में सुलझ गया कांग्रेस का संकट! बिना सीएम फेस के चुनावी मैदान में उतरेगी पार्टी
Congress Crisis in Rajasthan : बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी विवाद को कांग्रेस ने सुलझा लिया है. जानें बैठक की खास बातें
इस साल नवंबर-दिसंबर में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इसको लेकर कांग्रेस ने गुरुवार को दिल्ली में राजस्थान के नेताओं के साथ बैठक की. बैठक के बाद कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि राजस्थान के नेताओं ने विधानसभा चुनाव से पहले एकजुट होने को लेकर सहमति जतायी है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की परंपरा के अनुसार किसी भी नेता को मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में पेश नहीं किया जाएगा.
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने नेताओं को अपनी शिकायतें या विचार पार्टी मंच तक ही सीमित रखने की सलाह दी है. साथ ही चेतावनी दी है कि यदि किसी सदस्य ने पार्टी अनुशासन का उल्लंघन किया, तो उसे सख्त कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा. आपको बता दें कि अकबर रोड मुख्यालय में मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के नेतृत्व में राज्य नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व के बीच चार घंटे की चर्चा हुई जिसके बाद ये बातें सामने आयी.
खबरों की मानें तो बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच जारी विवाद को कांग्रेस ने सुलझा लिया है. बैठक के बाद कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी ने फैसला किया है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव एकजुट होकर लड़ा जायेगा. कांग्रेस उम्मीदवारों की घोषणा सितंबर के पहले सप्ताह में की जायेगी. मुख्यमंत्री समेत 29 नेता बैठक में शामिल हुए. सबकी राय एकजुट रहने की है.
सात जुलाई से विधानसभा चुनाव की कैंपेनिंग
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा कि मंत्री, विधायक और नेता घर-घर जाकर सरकार की उपलब्धियों के बारे में लोगों को जानकारी देंगे. उम्मीदवार का चयन जीत की संभावना के आधार पर किया जाएगा. जो प्रत्याशी जीत सकेगा, टिकट उसी को कांग्रेस देने पर विचार करेगी. राजस्थान में सात जुलाई से चुनाव कैंपेनिंग शुरू कर दी जायेगी.
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क्या बोले सचिन पायलट
कांग्रेस नेता और राजस्थान के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने कहा कि राजस्थान में पार्टी के सभी विधायक और पदाधिकारी विधानसभा चुनाव में जीत सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे. बैठक में इस बारे में चर्चा की गयी कि राज्य में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा को कैसे बदला जाये. उनकी ओर से उठाये गये मुद्दों पर कांग्रेस नेतृत्व ने संज्ञान लिया और कई दिशा-निर्देश दिये गये.