Loading election data...

Assam-Meghalaya Border Dispute: 30 दिन में अंतरराज्यीय सीमा विवाद सुलझायेंगे असम और मेघालय, बनेंगी दो समितियां

Assam-Meghalaya Border Dispute: असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा और मेघालय के सीएम कोनराड के संगमा ने कहा कि शुरुआत में सीमा विवाद में 12 विवादित स्थलों में 6 का चरणबद्ध तरीके से समाधान करेंगे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 6, 2021 9:54 PM

गुवाहाटी: पूर्वोत्तर के दो राज्यों असम (Assam) और मेघालय (Meghalaya) के मुख्यमंत्रियों ने कहा है कि जटिल सीमा विवाद (Assam-Meghalaya Border Dispute) का समाधान करने के लिए दो स्थानीय समितियां गठित की जायेगी. दोनों राज्यों के कैबिनेट मंत्री अपने-अपने राज्य की समिति की अध्यक्षता करेंगे.

दोनों राज्य सरकारों के बीच यहां वार्ता होने के बाद असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Assam CM Himanta Biswa Sarma) और उनके मेघालय के समकक्ष कोनराड के संगमा (Meghalaya CM Conrad K Sangama) ने शुक्रवार को यहां संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि शुरुआत में समितियों का लक्ष्य सीमा विवाद में 12 विवादित स्थलों में छह का चरणबद्ध तरीके से समाधान करने का होगा.

इससे पहले, शिलांग में 23 जुलाई को दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच बैठक हुई थी. दरअसल, कुछ इलाके कम जटिल हैं, जबकि कुछ थोड़े अधिक जटिल हैं और कुछ बहुत जटिल हैं. इसे ध्यान में रखते हुए ही चरणबद्ध तरीके से समाधान करने की रणनीति अपनायी गयी है.

Also Read: खत्म होगा असम का अरुणाचल, मिजोरम और नगालैंड के साथ सीमा विवाद, सीमा पर संयुक्त रूप से करेगा निगरानी

उन्होंने कहा कि दोनों राज्यों के कैबिनेट मंत्रियों की अध्यक्षता वाली दो समितियां गठित की जायेगी. सरमा ने कहा कि प्रत्येक समिति में उस राज्य के नौकरशाहों के अलावा एक कैबिनेट मंत्री सहित पांच सदस्य होंगे. उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रतिनिधि समिति का हिस्सा हो सकते हैं.

दोनों समितियों के सदस्य विवादित स्थलों का दौरा करेंगे, नागरिक समाज संस्थाओं के सदस्यों से मिलेंगे और 30 दिनों के अंदर बातचीत पूरी करेंगे. मेघालय ने मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों राज्य सरकारें इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं कि वे समस्या का समाधान चाहते हैं, क्योंकि यह बहुत समय से लंबित है तथा इन इलाके में लोगों को इसके चलते काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है.

संगमा ने कहा, ‘इन क्षेत्रों में मतभेद दूर करने के लिए मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति है और दोनों सरकारों ने एक दूसरे का सम्मान करते हुए ऐसा करने का फैसला किया है.’ संगमा ने कहा कि विवादों के समाधान के लिए पांच पहलुओं पर विचार किया जाना है, जिनमें ऐतिहासिक साक्ष्य, वहां के लोगों की साझा संस्कृति, प्रशासनिक सुविधा, संबद्ध लोगों के मनोभाव और भावनाएं तथा भूमि की निकटता शामिल हैं.

Also Read: अंतरराज्यीय सीमा विवाद पर असम और मिजोरम की सरकारों का संयुक्त बयान, कहा- बातचीत से निकालेंगे स्थायी समाधान

उन्होंने कहा, ‘सैद्धांतिक तौर पर, हम इन पांच पहलुओं के दायरे में एक समाधान तलाशने की कोशिश करेंगे.’ पहले चरण में लिये जाने वाले छह विवादित स्थलों में ताराबारी, गिजांग, फालिया, बाकलापारा, पिलिंगकाटा और खानपारा शामिल हैं. ये असम के कछार, कामरूप शहर और कामरूप ग्रामीण जिलों तथा मेघालय में पश्चिमी खासी पहाड़ियों, री भोई और पूर्वी जयंतिया पहाड़ियों में आते हैं.

फिर से निर्धारित होंगी राज्य की सीमाएं

यह पूछे जाने पर कि क्या सीमाएं फिर से निर्धारित किये जाने की संभावना है, श्री सरमा ने कहा, ‘इसकी संभावना नहीं है.’ उल्लेखनीय है कि 1972 में असम को विभाजित करके मेघालय एक अलग राज्य बनाया गया था और इसने असम पुनर्गठन अधिनियम,1971 को चुनौती दी थी, जिस वजह से विभिन्न हिस्सों में 12 क्षेत्रों में विवाद पैदा हुआ. असम के पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों के साथ सीमा विवाद के बारे में पूछे जाने पर हिमंता विस्वा सरमा ने कहा कि मुद्दों का हल करने के लिए कोई सामान्य फार्मूला नहीं है.

Posted By: Mithilesh Jha

Next Article

Exit mobile version