असम के CM हिमंत बिस्वा ने कांग्रेस पर जमकर बोला हमला, कहा- ‘तनाव की स्थिति कांग्रेस की वजह से’
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर में कांग्रेस के हाथ खून से सने हुए हैं और पिछले 75 वर्षों में उसके किसी भी प्रधानमंत्री ने क्षेत्र के जख्मों पर मरहम नहीं लगाया.
Himanta Biswa Sarma On Congress : असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मंगलवार को आरोप लगाया कि पूर्वोत्तर में कांग्रेस के हाथ खून से सने हुए हैं और पिछले 75 वर्षों में उसके किसी भी प्रधानमंत्री ने क्षेत्र के जख्मों पर मरहम नहीं लगाया. संसद में पेश अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब देते हुए हिमंत बिस्वा सरमा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूर्वोत्तर में तनाव की स्थिति कांग्रेस की गलत नीतियों की वजह से पैदा हुई है.
सरमा ने कहा, ‘कांग्रेस की गलत नीतियों की वजह से मणिपुर जल रहा’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘जहां तक पूर्वोत्तर का सवाल है, कांग्रेस के हाथ खून से सने हुए हैं.’ हिमंत बिस्वा सरमा ने दावा किया, ‘कांग्रेस के किसी भी प्रधानमंत्री ने पिछले 75 वर्षों में क्षेत्र के जख्मों पर मरहम नहीं लगाया.’ हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘कांग्रेस को चिंतन करना चाहिए कि कैसे उसकी गलत नीतियों की वजह से मणिपुर जल रहा है. उन्होंने पूर्वोत्तर में एक दुखद स्थिति पैदा की.’ मणिपुर में पिछले तीन महीने से जातीय हिंसा हो रही है, जिसमें करीब 160 लोगों की जान जा चुकी है.
‘कांग्रेस ने पूरे पूर्वोत्तर में दुखद स्थिति उत्पन्न की’
हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, ‘कांग्रेस ने पूरे पूर्वोत्तर में दुखद स्थिति उत्पन्न की. समुदायों के बीच रातोंरात लड़ाई शुरू नहीं हुई है.’ उन्होंने बताया कि मणिपुर में जातीय आधार पर झड़पें पहली बार नहीं हो रही हैं, और “इससे पहले के संघर्षों में हजारों लोग मारे गए थे.” उन्होंने दावा किया, ”मणिपुर में झड़पें 1990 के दशक से जारी हैं…मणिपुर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर लौट रहा है और मई की तुलना में अब स्थिति कहीं बेहतर है.”
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‘मणिपुर संघर्ष को सेना और असम राइफल्स की मदद से हल नहीं किया जा सकता’
हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी कहा कि मणिपुर संघर्ष को सेना और असम राइफल्स की मदद से हल नहीं किया जा सकता है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए लोगों तक पहुंचने की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा, “मैं कांग्रेस से अपील करता हूं कि वह दुनिया को गुमराह न करें. पूर्वोत्तर में जो हो रहा है उसके लिए उन्हें माफी मांगनी चाहिए.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता गौरव गोगोई को कोकराझार में हिंसा के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के असम दौरे के संबंध में संसद के अंदर तथ्यों को “ठीक से” बताना चाहिए.
‘कभी-कभी चुप्पी अधिक शक्तिशाली होती है’
मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेताओं के महीनों तक चुप रहने पर हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि कभी-कभी चुप्पी अधिक शक्तिशाली होती है. उन्होंने कहा, ‘हम चुप रहे क्योंकि शब्दों से मणिपुर में हंगामा हो सकता था. मैं चुप रहने के लिए केंद्र सरकार का आभारी हूं.’ हिमंत बिस्वा सरमा ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के बारे में बात करते हुए दावा किया कि पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद इस डर से तेजपुर से भाग गए थे कि असम के शहर पर चीनियों का कब्जा हो जाएगा. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आजादी के बाद से कांग्रेस सरकारों द्वारा अपनाई गई नीतियों के कारण बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों ने असम और पूर्वोत्तर में प्रवेश किया.