Assam News: असम में काजी नहीं सरकार करेगी निकाह का रजिस्ट्रेशन, विधानसभा में विधेयक पेश

Assam News: असम में अब मुस्लिमों को निकाह के लिए काजी नहीं, बल्कि सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसको लेकर सरकार कानून बनाने वाली है. गुरुवार को विधानसभा में इसको लेकर विधेयक भी पेश किया गया.

By ArbindKumar Mishra | August 22, 2024 6:44 PM

Assam News: असम सरकार ने गुरुवार को मुसलमानों के निकाह और तलाक के पंजीकरण संबंधी कानून को निरस्त करने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पेश किया. इसमें कहा गया कि मौजूदा अधिनियम में समुदाय के नाबालिगों के विवाह की अनुमति देने की गुंजाइश है.

मंत्री जोगेन मोहन ने विधेयक पेश किया

राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री जोगेन मोहन ने असम मुस्लिम निकाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम, 1935 और असम निरसन अध्यादेश 2024 को समाप्त करने के लिए असम निरसन विधेयक, 2024 विधानसभा में पेश किया. उन्होंने निरसन विधेयक पेश करने के उद्देश्य और कारण पर प्रकाश डालते हुए कहा, (पुरुष के मामले में) 21 वर्ष से कम आयु वाले और (महिला के मामले में) 18 वर्ष से कम आयु वाले इच्छुक व्यक्तियों के निकाह को पंजीकृत करने की गुंजाइश होती है.

पूर्व कानून पर क्या बोले असम के मंत्री जोगेन मोहन

मोहन ने कहा कि पूर्व कानून में पूरे राज्य में अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए कोई प्रावधान नहीं था और इसके कारण अदालत में भारी संख्या में मुकदमेबाजी हुई. उन्होंने कहा, अधिकृत लाइसेंसधारियों (मुस्लिम निकाह रजिस्ट्रार) के साथ-साथ नागरिकों द्वारा भी कम उम्र/नाबालिगों के बच्चे-बच्चियों के निकाह कराने और पक्षों की सहमति के बिना जबरन निकाह कराने के लिए इसका दुरुपयोग करने की गुंजाइश है. मंत्री ने कहा कि इसके अलावा, निकाह और तलाक का पंजीकरण अनिवार्य नहीं किया गया है तथा पंजीकरण तंत्र अनौपचारिक है, जिससे मानदंडों के गैर-अनुपालन की काफी गुंजाइश बनी रहती है. उन्होंने कहा, यह स्वतंत्रता-पूर्व ब्रिटिश भारत सरकार द्वारा तत्कालीन असम प्रांत में मुस्लिम धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था के लिए बनाया गया अधिनियम है.

Also Read: दिल्ली पुलिस और एटीएस ने किया आतंकी मॉड्यूल का भंडाफोड़, अलकायदा से जुड़े 8 संदिग्धों को किया गिरफ्तार

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने विधेयक पेश करने की पहले ही कर दी थी घोषणा

सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने बुधवार को कहा था कि असम सरकार मुसलमानों के निकाह और तलाक के सरकार के समक्ष अनिवार्य पंजीकरण के लिए इसी सत्र में एक विधेयक पेश करेगी. शर्मा ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद कहा था कि सरकार आगामी सत्र के दौरान असम मुस्लिम निकाह अनिवार्य पंजीकरण और तलाक विधेयक, 2024 पेश करेगी.

राज्य मंत्रिमंडल ने पिछले महीने ही विधेयक को दी थी मंजूरी

राज्य मंत्रिमंडल ने पिछले महीने असम मुस्लिम निकाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम और 1935 के नियमों को निरस्त करने के लिए उस विधेयक को मंजूरी दी थी, जिसके तहत विशेष परिस्थितियों में कम उम्र में निकाह की अनुमति मिलती थी. मंत्रिमंडल ने राज्य में बाल विवाह की सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए 23 फरवरी को इस अधिनियम को निरस्त करने के निर्णय को मंजूरी दी थी.

विपक्ष ने किया विरोध

विपक्षी दलों ने इस निर्णय की निंदा करते हुए इसे चुनावी वर्ष में मतदाताओं का ध्रुवीकरण करने के लिए लाया गया और ‘मुसलमानों के प्रति भेदभावपूर्ण’ करार दिया था.

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की थी, देखें वीडियो

Next Article

Exit mobile version