प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को असम की दो दिवसीय यात्रा पर गुवाहाटी पहुंचे. असम पहुंचने पर पीएम मोदी का भव्य स्वागत किया गया. उनके आगमन पर एक लाख दीप प्रज्वलित किए गए. पीएम मोदी इस दौरे में करीब 11600 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं की शुरुआत करेंगे. जिसमें सबसे खास होगा कामाख्या मंदिर गलियारा. पीएम मोदी इसकी आधारशिला रखेंगे.
498 करोड़ रुपये की लागत से तैयार होगा कामाख्या मंदिर गलियारा
मालूम हो मां कामाख्या मंदिर गलियारे को तैयार करने में करीब 498 करोड़ रुपये की लागत आएगी. गलियारे की रूपरेख बहुत पहले ही तैयार कर ली गई है. जिसकी पहली झलक असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ट्वीट कर दिखाई थी.
काशी और महाकाल के बाद तीसरा सबसे बड़ा कॉरिडोर
मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर देश का तीसरा सबसे बड़ा कॉरिडोर के रूप में विकसित होने वाला है. काशी विश्वनाथ, उज्जैन महाकाल के बाद मां कामाख्या गलियारे का स्थान होगा. 13 दिसंबर 2021 को पीएम मोदी ने काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया था. काशी कॉरिडोर के निर्माण में करीब 340 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. जबकि उज्जैन महाकाल कॉरिडोर का निर्माण 800 करोड़ रुपये के खर्च से किया गया.
মই নিশ্চিত যে মা কামাখ্যা কৰিডৰ এটা যুগান্তকাৰী পদক্ষেপ হিচাপে বিবেচিত হ'ব।
— Narendra Modi (@narendramodi) April 19, 2023
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कॉरिडोर में ये सारी सुविधाएं होंगीं उपलब्ध
बताया गया है कि मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर में मंदिर के विकास के साथ-साथ तीर्थयात्री सुविधा केंद्र, अतिथि गृह, सार्वजनिक सुविधाएं, चिकित्सा केंद्र, बैंक और फूड स्टॉल जैसी कई सुविधाएं उपलब्ध होंगीं. कॉरिडोर के निर्माण से स्थानीय लोगों को आजीविका मिलेगी और तीर्थयात्रियों को माता के दर्शन में सुविधा होगी.
ओपन स्पेस 3000 वर्ग फुट से बढ़कर लगभग 100,000 वर्ग फुट हो जाएगा
कॉरिडोर के निर्माण के बाद मंदिर के चारों ओर ओपन स्पेस वर्तमान में 3000 वर्ग फुट से बढ़कर लगभग 100,000 वर्ग फुट हो जाएगा. अधिकारी ने बताया कि एक्सेस कॉरिडोर की औसत चौड़ाई इसकी वर्तमान चौड़ाई 8-10 फीट से बढ़कर लगभग 27-30 फीट हो जाएगी.
इन मंदिरों को मिलाकर बनाया जाएगा कॉरिडोर
मां कामाख्या मंदिर कॉरिडोर में मुख्य मंदिर के अलावा नीलांचल पर्वत पर स्थित कई और मंदिरों का भी विकास होगा. जिसमें मातंगी, कमला, त्रिपुर सुंदरी, काली, तारा, भुवनेश्वरी, बगलामुखी, छिन्नमस्ता, भैरवी, धूमावती देवियों और दशमहाविद्या के मंदिर भी हैं. इनके अलावा पहाड़ी के चारों ओर भगवान शिव के पांच मंदिर कामेश्वर, सिद्धेश्वर, केदारेश्वर, अमरतोकेश्वर, अघोरा और कौटिलिंग मंदिर हैं. इन सभी मंदिरों को मिलाकर एक कॉरिडोर बनाया जाएगा.
51 शक्तिपीठों में सबसे पवित्र मानी जाती हैं मां कामाख्या
देश के कई हिस्सों में कुल 51 शक्तिपीठ हैं, जिसमें सबसे पवित्र मां कामाख्या को माना जाता है. नीलांचल पर्वत पर विराजी मां कामाख्या को कामेश्वरी या इच्छा की देवी कहा जाता है. इसे तांत्रिक शक्तिवाद पथ का केंद्र भी माना जाता है. कामाख्या मंदिर असम के गुवाहाटी से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित है. इस मंदिर की पहचान रजस्वला माता की वजह से है. जहां माता की पूजा योनी रूप में होती है. ऐसी मान्यता है कि मंदिर के करीब से बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी हर वर्ष आषाढ़ महीने में लाल हो जाती है. ऐसी मान्यता है कि माता के रजस्वला होने की वजह से नदी का पानी लाल हो जाता है.
प्रसिद्ध है अंबुवाची मेला
मां कामाख्या मंदिर में लगने वाला अंबुवाची मेला विश्व प्रसिद्ध है. यहां हर साल जून में तीन दिन के लिए यह मेला लगता है. इस दौरान मंदिर के दरवाजे तीन दिन के लिए बंद कर दिए जाते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान जल कुंड से पानी की जगह रक्त प्रवाहित होता है, क्योंकि माता रजस्वला होती हैं.