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NIA के रडार पर दहशतगर्दी की ट्रेनिंग वाला अल-कायदा का आदमी, असमी युवकों को पाकिस्तान भेजने का आरोप

असम के कछार जिले के थेल्टिकर गांव का निवासी और फिलहाल बेंगलुरु के तिलकनगर इलाके में रहने वाला अख्तर हुसैन लश्कर सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को आतंकी बनाने, भारत के खिलाफ देशद्रोह में लिप्त होने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने में शामिल होने से संबंधित गतिविधियों में लिप्त पाया गया.

By KumarVishwat Sen | September 17, 2022 7:11 PM

नई दिल्ली : असम में युवकों को दहशतगर्दी का प्रशिक्षण देने वाला अल-कायदा से जुड़ा हुआ अख्तर हुसैन लश्कर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के रडार पर है. समाचार एजेंसी एएनआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, असम के निवासी अख्तर हुसैन लश्कर पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अल-कायदा के साथ संबंध होने की जांच चल रही है. उस पर युवकों को कट्टरपंथी बनाने के साथ-साथ उन्हें कश्मीर और अफगानिस्तान खुरासान प्रांत में भेजने की साजिश रचने का आरोप है. इन युवकों को अफगानिस्तान में आतंकवाद का प्रशिक्षण दिया जाता है. एएनआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) में इस बात का खुलासा किया गया है कि अख्तर हुसैन लश्कर ने युवाओं को धर्म के नाम पर युद्ध छेड़ने के लिए भी उकसाया था.

सोशल मीडिया के जरिए युवकों को भड़काता है अख्तर

रिपोर्ट के अनुसार, असम के कछार जिले के थेल्टिकर गांव का निवासी और फिलहाल बेंगलुरु के तिलकनगर इलाके में रहने वाला अख्तर हुसैन लश्कर सोशल मीडिया के माध्यम से युवाओं को आतंकी बनाने, भारत के खिलाफ देशद्रोह में लिप्त होने और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने में शामिल होने से संबंधित गतिविधियों में लिप्त पाया गया. वह सोशल मीडिया के जरिए युवकों को भड़काता है कि भारतीय सेना कश्मीर में मुसलमानों पर अत्याचार कर रही है.

अख्तर हुसैन लश्कर अल-कायदा से संबंध

एनआईए की ओर से दर्ज प्राथमिकी में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि इन अख्तर हुसैन लश्कर ने कट्टरपंथी युवकों को कश्मीर और अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में आतंकवादी प्रशिक्षण और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए भेजने की साजिश रची थी. आरोप यह भी है कि लश्कर के पूरे भारत भर में आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों को अंजाम देने के लिए अल-कायदा और अन्य संस्थाओं और विदेशों से आकाओं के साथ संबंध थे.

30 अगस्त को एनआईए ने दर्ज कराई प्राथमिकी

रिपोर्ट में कहा गया है कि एनआईए की ओर से 30 अगस्त को अख्तर हुसैन लश्कर और अब्दुल अलीम मंडल उर्फ एमडी जुबा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, जो कुलतली, गोदाबार, तंगराबीची, दक्षिण 24 परगना, पश्चिम बंगाल के मूल निवासी हैं. फिलहाल अब्दुल अलीम तमिलनाडु में रहता है. इन दोनों पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और गैर-कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की धारा 10, 13, 15, 16, 18 और 20 के तहत मामला दर्ज किया गया था. प्राथमिकी 24 जुलाई को बेंगलुरु पुलिस द्वारा पहले दर्ज किए गए एक मामले पर आधारित है.

बेंगलुरु पुलिस को 24 जुलाई को मिली अख्तर के खिलाफ सूचना

रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु पुलिस को 24 जुलाई को अख्तर हुसैन लश्कर के खिलाफ सूचना मिली थी कि उसने ‘द ईगल ऑफ कोहरासन’ और ‘हिंडर-ईगल’ नाम से टेलीग्राम समूह बनाए हैं और युवाओं को कट्टरपंथी बनाया है. बाद में जांचकर्ताओं ने पाया कि आरोपियों ने युवाओं को कट्टरपंथी युवकों के आतंकवादी प्रशिक्षण से गुजरने के लिए कश्मीर और अफगानिस्तान के खुरासान प्रांत में भेजने की साजिश रची और उन्हें धर्म के नाम पर युद्ध छेड़ने के लिए उकसाया.

सऊदी और अफगानिस्तान के आतंकी संस्थानों से जुड़े हैं तार

एफआईआर में इस बात का जिक्र किया गया है कि जांचकर्ता ने यह भी पाया कि अख्तर हुसैन लश्कर ने भारत में विघटनकारी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश की थी. आतंकवादी गतिविधियों के लिए सऊदी अरब और अफगानिस्तान की संस्थाओं और संचालकों के साथ उसके संबंध हैं. लश्कर युवाओं युवाओं को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए यह कहकर उकसाता था कि भारतीय सेना कश्मीर में मुसलमानों पर अत्याचार कर रही है. इस तरह उन्होंने युवाओं को भारत के खिलाफ देशद्रोह में लिप्त होने और भारत की संप्रभुता को प्रभावित करने के लिए उकसाया और भारत में सांप्रदायिक हिंसा पैदा करने की साजिश रची.

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कश्मीर जाने की योजना बना रहा था अख्तर

एनआईए द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार, अख्तर हुसैन लश्कर बेंगलुरु से कश्मीर जाने की योजना बना रहा था और उसका संबंध प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अल-कायदा से था. एनआईए ने गृह मंत्रालय से जारी एक आदेश के बाद मामला फिर से दर्ज किया और आतंकवाद विरोधी एजेंसी की बेंगलुरु शाखा द्वारा जांच की जा रही है.

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