जब वाजपेयी ने दहेज में मांग लिया था पूरा पाकिस्तान
Atal Bihari Vajpayee 100th birth anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आज पूरा देश 100वीं जयंती मना रहा है. अटल बिहारी को एक तेज तर्रार नेता के रूप जाना जाता था. साथ ही उनकी हाजिर जवाबी के सभी कायल थे.
Atal Bihari Vajpayee 100th Birth Anniversary: पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी घटनाओं का हमेशा जिक्र किया जाता है. उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में कई ऐतिहासिक फैसले लिए, जिसे आज भी याद किया जाता है. वाजपेयी अपनी हाजिर जवाबी के लिए भी जाने जाते थे. एक बार की घटना है, जब वाजपेयी जी से शादी की चर्चा की गई थी, तो उन्होंने दहेज में पूरा पाकिस्तान मांग लिया था. दरअसल उस घटना का जिक्र देश के मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान किया था. उन्होंने पूरी घटना को विस्तार से बताया.
पाकिस्तानी महिला पत्रकार को वाजपेयी ने दिया था करारा जवाब
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी उस घटना का जिक्र करते हुए बताया, जब वाजपेयी पाकिस्तान दौरे पर गए थे, तो एक महिला पत्रकार ने जब उनसे कहा कि मैं आपसे शादी करना चाहती हूं, बशर्ते आप मुझे मुंह दिखाई में कश्मीर दें, तो अटल जी ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ‘मैं तैयार हूं, अगर आप दहेज में पूरा पाकिस्तान दें.’’ राजनाथ सिंह ने कहा, ”इस जवाब ने उनकी चतुराई और सहजता को पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत किया.”
वाजपेयी ने बीजेपी को लेकर कर दी थी बड़ी भविष्यवाणी
वाजपेयी ने 30 दिसंबर 1984 में ही बीजेपी को लेकर बड़ी भविष्यवाणी कर दी थी, जिसमें कहा था, ‘‘ अंधेरा छंटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा.’’ उन्होंने करीब चार दशक पहले जो कहा था वह सच साबित हुई है क्योंकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में लौटी है और कमल पूरी तरह खिल चुका है.
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यहां पढ़ें उनके फेमस भाषण के अंश
देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भाषण को आज भी लोग खुब देखना पसंद करते हैं, वैसे में उनकी जयंती के मौके पर हम आपको उनके फेमस भाषण के कुझ अंश को यहां बता रहे हैं.
- आप दोस्त बदल सकते हैं, लेकिन पड़ोसी नहीं। (मई 2003-संसद में)
- इस तथ्य को नकारा नहीं जा सकता कि अच्छे पड़ोसियों को एक-दूसरे के साथ वास्तव में भाईचारा बनाने से पहले, उन्हें पहले अपने बीच के मतभेदों को दूर करना होगा. (जून 2003 – पेकिंग विश्वविद्यालय में)
- पोखरण-2 परमाणु परीक्षण न तो आत्म-प्रशंसा के लिए किया गया था, न ही किसी ताकत के प्रदर्शन के लिए, लेकिन यह हमारी नीति रही है, और मुझे लगता है कि यह देश की भी नीति है, कि न्यूनतम प्रतिरोध क्षमता होनी चाहिए, जो विश्वसनीय भी होनी चाहिए. इसीलिए हमने परीक्षण करने का फैसला लिया. (1998 के परमाणु परीक्षणों के बाद संसद में)
- यदि मैं सत्ता में आने के लिए पार्टी तोड़कर नए गठबंधन बनाऊं, तो मैं उस सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा. (मई 1996 में लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव का जवाब देते हुए)
- गरीबी बहुआयामी है. यह आय से आगे बढ़कर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कौशल वृद्धि, स्थानीय से लेकर वैश्विक स्तर तक सभी स्तरों पर राजनीतिक भागीदारी, प्राकृतिक संसाधनों, स्वच्छ जल और वायु तक पहुंच और अपनी संस्कृति और सामाजिक संगठन की उन्नति तक फैली हुई है. (सितंबर 2003 – संयुक्त राष्ट्र महासभा के 58वें सत्र में)
- बंदूक किसी भी समस्या का समाधान नहीं कर सकती, भाईचारा ही कर सकता है. अगर हम तीन सिद्धांतों इंसानियत, जम्हूरियत और कश्मीरियत के मार्गदर्शन में आगे बढ़ें तो समस्याओं का समाधान हो सकता है. (अप्रैल 2003 – संसद में जम्मू-कश्मीर पर)