Atal Bihari Vajpayee : अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर पढ़ें, प्रेरित करती उनकी कविताएं

Atal ji ki kavitayen : भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और दिग्गज राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी ( atal bihari vajpayee birthday) एक कवि हृदय व्यक्ति थे. एक राजनेता होने के बावजूद होने अपने हृदय में कविता जैसी कोमल अभिव्यक्ति के लिए जगह बनायी यह उनकी विशेषता थी. आज जबकि पूरा विश्व कोरोना जैसी बीमारी से पीड़ित है और उससे छुटकारा पाना चाहता है, उनकी कविताएं हिम्मत देती प्रतीत होती हैं. तो आज वाजपेयी जी के जन्मदिवस पर पढ़ें उनकी कुछ खास कविताएं, जो ओज से परिपूर्ण हैं-

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2020 11:40 AM
an image

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और दिग्गज राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी एक कवि हृदय व्यक्ति थे. एक राजनेता होने के बावजूद होने अपने हृदय में कविता जैसी कोमल अभिव्यक्ति के लिए जगह बनायी यह उनकी विशेषता थी. आज जबकि पूरा विश्व कोरोना जैसी बीमारी से पीड़ित है और उससे छुटकारा पाना चाहता है, उनकी कविताएं हिम्मत देती प्रतीत होती हैं. तो आज वाजपेयी जी के जन्मदिवस पर पढ़ें उनकी कुछ खास कविताएं, जो ओज से परिपूर्ण हैं-

प्यार इतना परायों से मुझको मिला,

न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।

हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,

आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।

आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,

नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।

पार पाने का क़ायम मगर हौसला,

देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।

मौत से ठन गई।

आओ फिर से दिया जलाएँ

भरी दुपहरी में अँधियारा

सूरज परछाई से हारा

अंतरतम का नेह निचोड़ें-

बुझी हुई बाती सुलगाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ

हम पड़ाव को समझे मंज़िल

लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल

वर्त्तमान के मोहजाल में-

आने वाला कल न भुलाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ।

आहुति बाकी यज्ञ अधूरा

अपनों के विघ्नों ने घेरा

अंतिम जय का वज़्र बनाने-

नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ।

आओ फिर से दिया जलाएँ

कदम मिलाकर चलना होगा

बाधाएं आती हैं आएं

घिरें प्रलय की घोर घटाएं,

पावों के नीचे अंगारे,

सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,

निज हाथों में हंसते-हंसते,

आग लगाकर जलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

Also Read: Atal Bihari Vajpayee : जब संसद में अटल जी ने कहा था- हम संख्याबल के सामने सिर झुकाते हैं, देखें उनका यह यादगार भाषण…

हास्य-रूदन में, तूफानों में,

अगर असंख्यक बलिदानों में,

उद्यानों में, वीरानों में,

अपमानों में, सम्मानों में,

उन्नत मस्तक, उभरा सीना,

पीड़ाओं में पलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

उजियारे में, अंधकार में,

कल कहार में, बीच धार में,

घोर घृणा में, पूत प्यार में,

क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,

जीवन के शत-शत आकर्षक,

अरमानों को ढलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,

प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,

सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,

असफल, सफल समान मनोरथ,

सब कुछ देकर कुछ न मांगते,

पावस बनकर ढलना होगा।

कदम मिलाकर चलना होगा।

कुछ कांटों से सज्जित जीवन,

प्रखर प्यार से वंचित यौवन,

नीरवता से मुखरित मधुबन,

परहित अर्पित अपना तन-मन,

जीवन को शत-शत आहुति में,

जलना होगा, गलना होगा।

क़दम मिलाकर चलना होगा।

Posted By : Rajneesh Anand

Exit mobile version