अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि आज, PM मोदी और राष्ट्रपति ने दी श्रद्धांजलि, पूरा देश कर रहा शत-शत नमन

अटल जी जन नायक थे, वो कवि के साथ साथ बेहद संवेदनशील व्यक्ति भी थे, लेकिन उनके व्यक्तित्व में चट्टान सी कठोरता का भी समागम था. उनकी इस कठोरता पोखरण-2 और कारगिल युद्ध में दिखी थी. वे ना सिर्फ एक स्वप्नद्रष्टा थे बल्कि वे एक राष्ट्रनिर्माता भी थे, जिनके पास राष्ट्र निर्माण के लिए विजन था.

By Pritish Sahay | August 16, 2023 7:47 AM
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Atal Bihari Vajpayee Death anniversary: विराट व्यक्तित्व… महान कवि… बहुमुखी प्रतिभा के धनी होने के साथ-साथ ऐसे जननायक जिसे पक्ष के साथ साथ विपक्ष भी उतना ही तवज्जो देता है. अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी पांचवी पुण्यतिथि पर पूरे देश शत् शत् नमन कर रहा है. वहीं, पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया और श्रद्धांजलि अर्पित की. पीएम मोदी ने लिखा, अटल जी को उनकी पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने में भारत के 140 करोड़ लोगों के साथ मैं शामिल हूं. उनके नेतृत्व से भारत को बहुत फायदा हुआ. उन्होंने हमारे देश की प्रगति को बढ़ावा देने और इसे व्यापक रूप से 21वीं सदी में ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. वहीं, आज पीएम मोदी सदैव अटल भी जाएंगे, जहां वो भारत के पूर्व पीएम को श्रद्धांजलि देंगे.

जादुई वाणी के धनी व्यक्ति
देश के महान नेता अटल जी की वाक्पटुता और भाषण की अद्‌भुत शैली और चुंबक की तरह उनका व्यक्तित्व लोगों को सम्मोहित कर देती थी. उनकी जादुई वाणी के आकर्षण में लोग स्वतः ही बंध कर खिंचे चले आते थे. जब वे संसद या जनसभाओं में बोलते थे तो लोग मंत्रमुग्ध हो उनकी वाणी सुनते थे. कभी-कभी तो यह समझना मुश्किल हो जाता था कि वे कविता में राजनीति कह रहे या राजनीति में कविता. अटल जी के राजनीतिक विरोधी भी उनकी वाक्पटुता और भाषण शैली के की प्रशंसा किये बिना नहीं रह सकते थे. अटल जी जब भाषण देते थे तो उनका बॉडी लैंग्वेज भी अद्‌भुत होता था, वे ना सिर्फ अपने शब्दों से विपक्ष पर वार करते थे बल्कि उनकी भाव भंगिमा भी अनोखी होती थी. अटल जी के लिए यह कहा जाता था कि उनके जिह्वा पर सरस्वती का वास है.

अटल जी जन नायक थे, वो कवि के साथ साथ बेहद संवेदनशील व्यक्ति भी थे, लेकिन उनके व्यक्तित्व में चट्टान सी कठोरता का भी समागम था. उनकी इस कठोरता पोखरण-2 और कारगिल युद्ध में दिखी थी. वे ना सिर्फ एक स्वप्नद्रष्टा थे बल्कि वे एक राष्ट्रनिर्माता भी थे, जिनके पास राष्ट्र निर्माण के लिए विजन था.उन्होंने लगभग दो दर्जन दलों को साथ लेकर पूरे पांच साल तक सफल गठबंधन-सरकार का नेतृत्व किया और भारत को विश्वशक्ति बनाने की राह पर अग्रसर किया था. खुद पीएम मोदी भी अटल बिहारी वाजपेयी को अपना को ही अपनी प्रेरणा मानते हैं.

देश के इस महान सपूत की पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है. उनकी समाधि सदैव अटल पर पक्ष और विपक्ष के नेता अपनी श्रद्धांजलि में अर्पित कर रहे हैं. बता दें, अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ था. अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन बार देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभाली थी. इसके अलावा उन्होंने बहुत ही खूबसूरत कविताओं की भी रचना की थी. उनकी कविताएं और रचनाएं जीवन के कठिन राह पर बिना रुके, बिना डरे चलने की सीख देती हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के के अनमोल वचन आज भी सभी के लिए प्रेरणा बने हुए हैं.

  • जो राजनीति में रुचि लेता है, वह साहित्य के लिए समय नहीं निकाल पाता और साहित्यकार राजनीति के लिए समय नहीं दे पाता, लेकिन कुछ ऐसे लोग हैं, जो दोनों के लिए समय देते हैं. वे अभिनंदनीय हैं.

  • अमावस के अभेद्य अंधकार का अंतःकरण पूर्णिमा की उज्ज्वलता का स्मरण कर थर्रा उठता है.

  • शिक्षा के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है, व्यक्तित्व के उत्तम विकास के लिए शिक्षा का स्वरूप आदर्शों से युक्त होना चाहिए. हमारी माटी में दर्शकों की कमी नहीं है. शिक्षा द्वारा ही हम नवयुवकों में राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत कर सकते हैं.

  • सेवा-कार्यों की उम्मीद सरकार से नहीं की जा सकती. उसके लिए समाज-सेवी संस्थाओं को ही आगे उगना पड़ेगा.

  • मुझे स्वदेश-प्रेम, जीवन-दर्शन, प्रकृति तथा मधुर भाव की कविताएँ बाल्यावस्था से ही आकर्षित करती रही हैं.

  • जीवन को टुकड़ों में नहीं बांटा जा सकता, उसका ‘पूर्णता’ में ही विचार किया जाना चाहिए.

  • जीवन रूपी फूल को पूर्ण ताकत के साथ दिखाएं.

  • हम अहिंसा में विश्वास रखे हैं. और यह चाहते हैं कि विश्व के संघर्षों का समाधान शांति और समझौते के मार्ग से हो.

  • छोटे मन से कोई बड़ा नहीं हो सकता, टूटे मन से कोई खड़ा नहीं हो सकता.

  • आदमी की पहचान उसके धन या पद से नहीं होती, उसके मन से होती है. मन की फकीरी पर तो कुबेर की संपदा भी रोती है.

  • मैं अपनी सीमाओं से परिचित हूं. मुझे अपनी कमियों का अहसास भी है.

विराट छवि के धनी अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्रभाषा हिंदी से उन्हें बहुत गहरा लगाव था. उन्होंने राजनीति करते हुए भी अपने हृदय में कवि को हमेशा जीवित रखा, और एक से बढ़कर एक कालजयी रचना की. उन्होंने अनगिनत कविताएं लिखी हैं. राजनीति में सक्रियता से पूर्व वे एक पत्रकार थे. उन्होंने पाञ्चजन्य,राष्ट्रधर्म,स्वदेशी और वीर अर्जुन जैसी उल्लेखनीय पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से राष्ट्रभाषा हिंदी की सेवा की. साल 1977 में बनी मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता सरकार में वे विदेश मंत्री थे और उन्होंने संयुक्त राष्ट्रसंघ में हिंदी में अपना भाषण दिया था. उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें पूरा देश शत्-शत् नमन कर रहा है.

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