Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: अपने विरोधियों के दिलों पर भी राज करते थे अटल बिहारी वाजपेयी

Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary - साल 2018 में एक लंबी बीमारी से जूझने के बाद अटल जी ने दिल्ली एम्स अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली थी. उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 16, 2021 2:18 PM

Atal bihari vajpayee death anniversary, speech, quotes, poems, Video : देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज तीसरी पुण्यतिथि है. इस अवसर पर दिल्ली में सदैव अटल स्मृति स्थल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रद्धांजलि दी. उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भी वाजपेयी की पुण्यतिथि पर उनके समाधि स्थल ‘सदैव अटल’ पर श्रद्धांजलि अर्पित की.

आपको बता दें कि साल 2018 में एक लंबी बीमारी से जूझने के बाद अटल जी ने दिल्ली एम्स अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली थी. उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में तीन बार देश का नेतृत्व किया. अटल बिहारी वाजपेयी की बात करें तो वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने भाषणों से सबको हिलाकर रख दिया. वो राजनेता होने के साथ शानदार वक्‍ता और कवि थे. कवि हृदय लेकिन इरादे ‘अटल’ थे. 1999 में पाकिस्तान के साथ युद्ध और परमाणु परीक्षण इसी का उदाहरण है.

अटलजी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति के धनी थे. भाजपा में एक उदार चेहरे के रूप में उनकी पहचान थी. वे पहली बार साल 1996 में 16 मई से 1 जून तक, 19 मार्च 1998 से 26 अप्रैल 1999 तक और फिर 13 अक्तूबर 1999 से 22 मई 2004 तक देश के प्रधानमंत्री पद पर काबिज नजर आये. अटल बिहारी वाजपेयी की छवि ऐसी थी कि वे आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं. वह लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा हैं. उनके विचार देश के युवाओं को आज भी प्रेरित करते हैं.

राजनीतिक जीवन पर एक नजर : देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अपने छात्र जीवन के दौरान पहली बार राजनीति में तब आए जब उन्होंने वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में हिस्सा लिया. वह राजनीति विज्ञान और विधि के छात्र थे और कॉलेज के दिनों में ही उनकी रुचि विदेशी मामलों के प्रति बढ़ी. 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ने का निर्णय लिया.

वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे. वह लोकसभा में नौ बार और राज्यसभा में दो बार चुने गए. वाजपेयी 1980 में गठित भाजपा के संस्थापक अध्यक्ष भी रहे. वे 1996 में पहली बार प्रधानमंत्री बने. 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया. वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे. इसके अलावा विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजादी के बाद भारत की घरेलू और विदेश नीति को आकार देने में एक सक्रिय भूमिका निभाई.

विपक्ष भी जताता था भरोसा : जब देश में भाजपा की सरकार थी और वाजपेयी जी प्रधानमंत्री तो विपक्ष भी उनका कायल था. विरोधी भी उनकी वाकपटुता और तर्कों के कायल हो जाते थे. 1994 में केंद्र की कांग्रेस सरकार ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में भारत का पक्ष रखने वाले प्रतिनिधिमंडल की नुमाइंदगी अटल जी को सौंपी थी. किसी सरकार का विपक्षी नेता पर इस हद तक भरोसे को पूरी दुनिया में आश्चर्य से देखा गया था.

Posted By : Amitabh Kumar

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