Coronavirus Pandemic: पिछले साल वुहान में पाये जाने से अबतक कोरोना वायरस कम-से-कम 25 बार अपना रूप बदल चुका है. यानी हर महीने में दो बार से अधिक. विज्ञानियों का मानना है कि वायरस नया रूप बदलता रहता है. इसमें नया कुछ भी नहीं है. दुनिया भर में पहले ही यह वायरस कई बार म्यूटेट हो चुका है. लंदन की क्वीन मैरी यूनिवर्सिटी की महामारी विशेषज्ञ डॉ दीप्ति गुरदासानी के मुताबिक, बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के बाद म्यूटेशन के मामले और बढ़ सकते हैं.
क्योंकि लाखों लोगों के वैक्सीनेशन के बाद यह वायरस लोगों के इम्यून सिस्टम से लड़कर नये म्यूटेशन में बदल सकता है. इसपर भारतीय मूल के अमेरिकी डॉक्टर और अमेरिका के नये सर्जन जनरल विवेक मूर्ति का कहना है कि फिलहाल ऐसा कोई साक्ष्य मौजूद नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि ब्रिटेन में कोरोना का जो नया रूप पाया गया है, वो अधिक घातक है. डब्ल्यूएचओ ने भी लोगों से भयभीत नहीं होने की अपील की है.
दुनिया में अभी कोरोना के छह मुख्य स्ट्रेन
ऑरिजनल स्ट्रेन L टाइप (पहली बार चीन में मिला)
इसने म्यूटेशन करके बनाया एक S टाइप स्ट्रेन
फिर इनके म्यूटेशन से आये V और G टाइप स्ट्रेन्स
फिर दो और किस्में आयीं – GR और GH स्ट्रेन्स
कोई म्यूटेशन एंटीबॉडीज को पूरी तरह नाकाम नहीं करता
दावा- वैक्सीन को फेल करने में वायरस को लगेंगे बरसों : ब्रिटेन समेत दुनिया के कई देशों में कोरोना के नये रूप से लोगों के मन में आशंका है कि कहीं यह नया रूप वैक्सीन को लेकर अबतक की गयी सारी कोशिशों को नाकाम तो नहीं कर देगा. इसपर, सिएटल के फ्रेड हचिंसन कैंसर रिसर्च सेंटर के बायोलाजिस्ट डॉ ब्लूम का कहना है कि वायरस द्वारा वैक्सीन को नाकाम करने के आसार बहुत कम हैं. किसी वैक्सीन को नाकाम बनाने में वायरस को अभी बरसों लग जायेंगे. वायरस का ऐसा कोई भी म्यूटेशन नहीं हो सकता है जो इम्यूनिटी और एंटीबॉडीज को पूरी तरह नाकाम कर सके.
दक्षिण अफ्रीका के विज्ञानियों का मानना है कि मानव व्यवहार संक्रमण फैलाने के लिए ज्यादा जिम्मेदार है. म्यूटेशन की इसमें कितनी भूमिका है इसका आकलन होना बाकी है. विशेषज्ञ कोरोना के म्यूटेशन से चिंतित जरूर हैं लेकिन हैरान नहीं. डॉ ब्लूम ने कहा कि निश्चित रूप से इस म्यूटेशन का फैलाव होगा. विज्ञानियों को इन म्यूटेशन पर नजर रखनी होगी और इसका पता करना होगा कि कौन कितना प्रभावकारी है.
4000 से अधिक ट्रक इंग्लैंड की सीमा में खड़े, हो सकती है खाद्य पदार्थों की कमी : दुनिया के 40 देशों द्वारा हवाई प्रतिबंध लगाये जाने से ब्रिटेन अलग-थलग पड़ गया है. सबसे ज्यादा असर फ्रांस द्वारा लगाये गये प्रतिबंध से पड़ा है. फ्रांस जाने के लिए 4000 से अधिक ट्रक इंग्लैंड की सीमा में खड़े हैं. अगर प्रतिबंधों में ढील नहीं दी जाती है, तो ब्रिटेन को खाद्य पदार्थों की कमी का सामना करना पड़ सकता है.
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कोरोना से अधिक घातक वायु प्रदूषण पिछले साल 17 लाख की ली जान
दुनिया भर के लिए वायु प्रदूषण कोरोना से भी ज्यादा खतरनाक साबित हो रहा है. भारत में 2019 में करीब 17 लाख लोगों की मौत प्रदूषित हवा में सांस लेने के कारण हो गयी. जबकि 1.46 लाख लोग कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं. वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव पर लैंसेट प्लेनेटरी हेल्थ में इसका खुलासा किया गया है.
115.3% बढ़ी 1990 से 2019 के बीच भारत में प्रदूषण से होने वाली मौतें
17.11 लाख लोगों की कोरोना से हो चुकी है मौत दुनिया में अबतक
1.46 लाख लोग कोरोना की वजह से मारे गये हैं अबतक भारत में
10 गुना से अधिक है यह आंकड़ा भारत में कोरोना से मौतों के मुकाबले
हाई ब्लड प्रेशर से 14 लाख से अधिक मरे
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Posted by: Pritish Sahay