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India China Border: मालाबार युद्धाभ्यास को खतरा क्यों मानता है चीन, ये देश होते हैं शामिल

साल 2020 का मालाबार संयुक्त सैन्याभ्यास बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आयोजित किया जाएगा.

नयी दिल्ली: साल 2020 का मालाबार संयुक्त सैन्याभ्यास बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आयोजित किया जाएगा. मालाबार सैन्याभ्यास दरअसल एक नौसेनिक सैन्याभ्यास है. इस साल ये युद्धाभ्यास खास होने वाला है क्योंकि क्वाड समूह के सभी देश, भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इसमें भाग लेंगे. ऑस्ट्रेलिया को इस युद्धाभ्यास में शामिल करने का एलान भारत के रक्षा मंत्रालय ने सोमवार 19 अक्टूबर को किया.

युद्धाभ्यास में पहले केवल भारत-अमेरिका

पहले मालाबार नौसेनिक युद्धाभ्यास में केवल भारत और अमेरिका के सैनिक भाग लेते थे. साल 2015 में इसमें जापान को शामिल किया गया. साल 2017 में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल करने पर चर्चा की गई थी, लेकिन इसे अमली-जामा नहीं पहनाया जा सका. अब ऑस्ट्रेलिया को इसमें शामिल किया गया है. ये चीन को हिंद-प्रशांत क्षेत्र महासागर और दक्षिण-चीन सागर में रोकने की दिशा में की गई कवायद है.

पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के बीच तनाव

इस वक्त भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव की स्थिति बनी हुई है. दोनों ओर के सैनिकों के बीच कई झड़पें हुई हैं. एक झड़प तो काफी हिंसक थी जिसमें भारत को अपने 20 जवान गंवाने पड़े. दक्षिण-चीन सागर और हिंद-प्रशांत क्षेत्र महासागर में चीन की विस्तारवादी नीतियां किसी से छिपी नहीं है. चीन की भौगोलिक विस्तारवादी नीतियां जहां जहां भारत और जापान के लिए अच्छी नहीं हैं.

वहीं ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका का सिरदर्द चीन की आक्रामक आर्थिक नीतियां हैं. यही वजह है कि इन चारों देशों ने मिलकर क्वाड रणनीतिक समूह का गठन किया है.

मालाबार युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया भी शामिल

इस युद्धाभ्यास में ऑस्ट्रेलिया के शामिल होने पर भारत के रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी करके कहा कि इस साल मालाबार युद्धाभ्यास बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आयोजित होने की उम्मीद है. भारत समुद्री सुरक्षा के साथ-साथ रक्षा सहयोग में भी ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंधों को मजबूत करने की दिशा में काम करने का प्रयास कर रहा है.

युद्धाभ्यास पर ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री का बयान

ऑस्ट्रेलिया के रक्षा मंत्री लिंडा रेनॉल्ड्स ने कहा कि मालाबार जैसी उच्च सैन्य अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया के शामिल होने से इसकी समुद्री क्षमता में वृद्धि होगी. करीबी सहयोगियों के साथ पारस्पिक सामरिक, कूटनीतिक और रणनीतिक संबंध मजबूत होंगे. जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और भारत जैसे 4 प्रमुख इंडो-पैसिफिक लोकतांत्रिक देशों के बीच गहरा विश्वास और साझा इच्छाशक्ति का विकास होगा.

Posted By-Suraj Thakur

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