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Ayodhya Ram Mandir: राम हमारे पूज्य… उनको सिंहासन पर बैठाने के लिए इस युग में न्यायपालिका को लगे कितने साल, क्या क्या आईं अड़चनें

Ayodhya Ram Mandir, ayodhya ram mandir bhumi pujan ,Ayodhya case timeline of events: आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका इतंजार कई वर्षों से किया जा रहा था. अयोध्या में आज इतिहास रचा गया है. वर्षों तक अदालत में मामला चलने के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर की नींव पड़ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया है. पीएम मोदी ने अयोध्या पहुंच हनुमानगढ़ी में पूजा की, जिसके बाद उन्होंने रामलला के दर्शन किए. भूमि पूजन के दौरान मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ समेत अन्य कुछ मेहमान शामिल रहे.

Ayodhya Ram Mandir, ayodhya ram mandir bhumi pujan ,Ayodhya case timeline of events: आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका इतंजार कई वर्षों से किया जा रहा था. अयोध्या में आज इतिहास रचा गया है. वर्षों तक अदालत में मामला चलने के बाद आज अयोध्या में राम मंदिर की नींव पड़ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया है. पीएम मोदी ने अयोध्या पहुंच हनुमानगढ़ी में पूजा की, जिसके बाद उन्होंने रामलला के दर्शन किए. भूमि पूजन के दौरान मोहन भागवत, योगी आदित्यनाथ समेत अन्य कुछ मेहमान शामिल रहे. 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसके बाद अब निर्माण कार्य का प्रारंभ हो रहा है.

बता दें कि माना जाता है कि बाबर के दौर में अयोध्या में राम मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण कराया. पिछले पांच सदी से यह विवाद था, जिसने देश की राजनीतिक दशा और दिशा को बदल दिया. आजादी के बाद से अबतक इस विवाद ने देश की राजनीति को प्रभावित किया है. अयोध्या को लेकर देश भर में आंदोलन किए गए, कानूनी लड़ाई भी लड़ी गई और सुप्रीम कोर्ट के जरिए राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हुआ.

तारीखों की नजर से जानिए कब क्या-क्या हुआ?

1528-29: मंदिर तोड़कर क्या मस्जिद बनवाई?

माना जाता है कि मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने यहां मस्जिद बनवाई थी, जिसे बाबरी मस्जिद के नाम से जाना जाता था. बाबर 1526 में भारत आया. 1528 तक उसका साम्राज्य अवध (वर्तमान अयोध्या) तक पहुंच गया. इसके बाद करीब तीन सदियों तक के इतिहास की जानकरी किसी भी ओपन सोर्स पर मौजूद नहीं है.

1853: निर्मोही अखाड़े ने ढांचे पर किया दावा

अयोध्या में इस मुद्दे को लेकर हिंदू-मुस्लिम हिंसा की पहली घटना 1853 में हुई थी. जब निर्मोही अखाड़े ने ढांचे पर दावा करते हुए कहा कि जिस स्थल पर मस्जिद खड़ी है. वहां एक मंदिर हुआ करता था. जिसे बाबर के शासनकाल में नष्ट किया गया. अगले दो वर्षों तक इस मुद्दे को लेकर अवध में हिंसा भड़कती रही. फैजाबाद जिला गजट 1905 के अनुसार 1855 तक, हिंदू और मुसलमान दोनों एक ही इमारत में पूजा या इबादत करते रहे.

1859: ब्रिटिश शासकों ने परिसर को बांटा

1857 में आजादी के पहले आंदोलन के चलते माहौल थोड़ा ठंडा पड़ गया. लेकिन विवाद को देखते हुए 1859 में ब्रिटिश शासकों ने मस्जिद के सामने एक दीवार बना दी. परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की अनुमति दी गई.

1885: पहली बार जिला अदालत में पहुंचा मामला

मंदिर-मस्जिद विवाद कुछ वर्षों में इतना गंभीर और भयावह हो गया कि मामला पहली बार अदालत में गया. हिंदू साधु महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में बाबरी मस्जिद परिसर में राम मंदिर बनवाने की इजाजत मांगी, हालांकि अदालत ने ये अपील ठुकरा दी. इसके बाद से मामला गहराता गया और सिलसिलेवार तारीखों का जिक्र मिलता है.

1934: दंगों में क्षतिग्रस्त हुई थी मस्जिद की दीवार और गुंबद

इस साल फिर सांप्रदायिक दंगे हुए. इन दंगों में मस्जिद के चारों तरफ की दीवार और गुंबदों को नुकसान पहुंचा. ब्रिटिश सरकार ने इसका पुनर्निर्माण कराया.

1949: सरकार ने लगवाया ताला

भगवान राम की मूर्ति मस्जिद में पाई गई. कहा जाता है कि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति हिंदुओं ने रखवाई. मुसलमानों ने इस पर विरोध व्यक्त किया और मस्जिद में नमाज पढ़ना बंद कर दिया. फिर दोनों पक्षों ने लोगों ने अदालत में मुकदमा दायर कर दिया. इसके बाद सरकार ने इस स्थल को विवादित घोषित कर ताला लगवा दिया.

1950: भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी गई

गोपाल सिंह विशारद ने फैजाबाद अदालत में अपील दायर कर भगवान राम की पूजा की इजाजत मांगी. महंत रामचंद्र दास ने मस्जिद में हिंदुओं द्वारा पूजा जारी रखने के लिए याचिका लगाई. इसी दौरान मस्जिद को ‘ढांचे’ के रूप में संबोधित किया गया.

1959-61: दोनों पक्षों ने विवादित स्थल के हक के लिए मुकदमा किया

1959 में निर्मोही अखाड़े ने विवादित स्थल के हस्तांतरण के लिए मुकदमा किया. वहीं, मुसलमानों की तरफ से उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने भी बाबरी मस्जिद पर मालिकाना हक के लिए मुकदमा कर दिया.

1984: रामजन्मभूमि मुक्ति समिति का गठन किया गया

विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने भगवान राम के जन्मस्थल को मुक्त करने और वहां राम मंदिर बनाने के लिए एक समिति का गठन किया. उसी समय गोरखनाथ धाम के महंत अवैद्यनाथ ने राम जन्मभूमि मुक्ति यज्ञ समिति बनाई. अवैद्यनाथ ने अपने शिष्यों और लोगों से कहा था कि उसी पार्टी को वोट देना जो हिंदुओं के पवित्र स्थानों को मुक्त कराए. बाद में इस अभियान का नेतृत्व भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने संभाल लिया.

फरवरी 1986: ताला खोलने का आदेश, बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनी

फैजाबाद जिला मजिस्ट्रेट ने हिंदुओं को प्रार्थना करने के लिए विवादित स्थल के दरवाजे से ताला खोलने का आदेश दिया. मुसलमानों ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति/बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई.

जून 1989: विश्व हिंदू परिषद ने राम मंदिर का शिलान्यास किया

भारतीय जनता पार्टी ने इस मामले में विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन दिया. वीएचपी नेता देवकीनंदन अग्रवाल ने रामलला की तरफ से मंदिर के दावे का मुकदमा किया. नवंबर में मस्जिद से थोड़ी दूर पर राम मंदिर का शिलान्यास किया गया.

25 सितंबर 1990: आडवाणी की रथ यात्रा, बिहार में गिरफ्तार हुए

भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष लाल कृष्ण आडवाणी ने जनजागरण के लिए गुजरात के सोमनाथ से उत्तर प्रदेश के अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली. हजारों कार सेवक अयोध्या में जमा हुए. इसके नतीजे में गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश में दंगे भड़क गए. ढेरों इलाके कर्फ्यू की चपेट में आ गए. 23 अक्टूबर को बिहार में तत्कालीन सीएम लालू प्रसाद यादव ने आडवाणी की रथ यात्रा रुकवा कर उन्हें गिरफ्तार करवा लिया. लेकिन मंदिर निर्माण के लिए देशभर से लाखों ईंटें अयोध्या भेजी गईं. इसके बाद भाजपा ने तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह की सरकार से समर्थन वापस ले लिया.

30 अक्टूबर 1990: अयोध्या में पहली बार कारसेवा हुई और गोलीकांड भी

अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए पहली बार कारसेवा हुई थी. कारसेवकों ने मस्जिद पर चढ़कर झंडा फहराया था. इसके बाद पुलिस की गोलीबारी में पांच कारसेवकों की मौत हो गई थी. गोली चलाने का आदेश मुलायम सिंह यादव की सरकार ने दिया था. तत्कालीन प्रधानमंत्री ने विवाद सुलझाने का प्रयास भी किया लेकिन सफलता नहीं मिली.

6 दिसंबर 1992: बाबरी मस्जिद ढहा दी गई, देश में दंगे शुरू

30-31 अक्टूबर 1992 को धर्मसंसद में कारसेवा की घोषणा की गई. नवंबर में यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने अदालत में मस्जिद की हिफाजत करने का हलफनामा दिया. इसे विवाद में ऐतिहासिक दिन के तौर पर याद रखा जाता है, इस रोज हजारों की संख्या में कारसेवकों ने अयोध्या पहुंचकर बाबरी मस्जिद ढहा दी. अस्थाई राम मंदिर बना दिया गया. इसके बाद ही पूरे देश में चारों ओर सांप्रदायिक दंगे होने लगे. इसमें करीब 2000 लोग मारे गए.

16 दिसंबर 1992: बाबरी मस्जिद को ढहाने के मामले को लेकर लिब्रहान आयोग बनाया गया. जज एमएस लिब्रहान के नेतृत्व में जांच शुरू की गई.

1994: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में बाबरी मस्जिद विध्वंस से संबंधित केस चलना शुरू हुआ.

सितंबर 1997: बाबरी मस्जिद ढहाए जाने की सुनवाई कर रही विशेष अदालत ने इस मामले में 49 लोगों को दोषी करार दिया. इसमें भारतीय जनता पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं के नाम भी थे.

2001: बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर तनाव बढ़ गया. विश्व हिंदू परिषद ने कहा कि मार्च 2002 को अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कराया जाएगा.

जनवरी-फरवरी 2002: गोधरा कांड हुआ

अयोध्या विवाद सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अयोध्या समिति का गठन किया. वरिष्ठ अधिकारी शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुसलमान नेताओं के साथ बातचीत के लिए नियुक्त किया गया. विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरू करने की घोषणा कर दी. सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए. फरवरी अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए.

13 मार्च 2002: सुप्रीम कोर्ट ने कहा अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखें

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी. किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहित जमीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी. केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत के फैसले का पालन किया जाएगा.

15 मार्च 2002: सरकार को सौंपी गई शिलाएं

विश्व हिंदू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात पर समझौता हुआ कि विहिप के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे. रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत परमहंस रामचंद्र दास और विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में लगभग 800 कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारी को अखाड़े में शिलाएं सौंपीं.

अप्रैल 2002: हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर सुनवाई आरंभ की.

मार्च-अगस्त 2003: पुरातत्व विभाग ने विवादित स्थल के नीचे खुदाई की

हाई कोर्ट के निर्देश पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की. पुरातत्वविदों ने कहा कि मस्जिद के नीचे मंदिर से मिलते-जुलते अवशेष के प्रमाण मिले हैं. हालांकि इसे लेकर भी अलग-अलग मत थे. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया, जिसे ठुकरा दिया गया.

मई 2003: सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाखिल किए.

जून 2003: कांची पीठ के शंकराचार्य ने जयेंद्र सरस्वती ने मामला सुलझाने के लिए मध्यस्थता की. उन्होंने उम्मीद जताई थी कि एक महीने में इस मामले का हल निकाल लिया जाएगा. लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं पाया.

अगस्त 2003: भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने विहिप के इस अनुरोध को ठुकराया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए.

अप्रैल-जुलाई 2004: आडवाणी ने अयोध्या में अस्थाई राम मंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण जरूर किया जाएगा. जुलाई में शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने सुझाव दिया कि विवादित स्थल पर मंगल पांडे के नाम पर कोई राष्ट्रीय स्मारक बना दिया जाए.

जनवरी-जुलाई 2005: आडवाणी अदालत में तलब, अयोध्या में आतंकी हमला

लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी कथित भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया. इसी साल जुलाई में अयोध्या के राम जन्मभूमि परिसर में आतंकी हमले हुए, जिसमें पांचों आतंकियों सहित छह लोग मारे गए. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के दौरान भड़काऊ भाषण देने के मामने में आडवाणी को तलब किया. इससे पहले उन्हें बरी कर दिया गया था.

4 अगस्त 2005: फैजाबाद की अदालत ने अयोध्या के विवादित परिसर के पास हुए हमले में कथित रूप से शामिल चार लोगों को न्यायिक हिरासत में भेजा.

20 अप्रैल 2006: सरकार ने लिब्रहान आयोग से कहा- यह मिलीभगत थी

कांग्रेस के नेतृत्ववाली यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था. इसमें भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल और शिवसेना की मिलीभगत थी.

जुलाई 2006: बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाने का प्रस्ताव खारिज

सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ कांच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया. इस प्रस्ताव का मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया और कहा कि यह अदालत के उस आदेश के ख़िलाफ़ है जिसमें यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश दिए गए थे.

30 जून-नवंबर 2009: लिब्रहान आयोग ने रिपोर्ट पीएम मनमोहन सिंह को सौंपी

बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जांच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी. इसी साल, 7 जुलाई को उत्तर प्रदेश सरकार ने एक हलफनामे में स्वीकार किया कि अयोध्या विवाद से जुड़ी 23 जरूरी फाइलें सचिवालय से गायब हो गई हैं. 24 नवंबर को लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश. आयोग ने अटल बिहारी वाजपेयी और मीडिया को दोषी ठहराया. नरसिंहराव को क्लीन चिट दी.

20 मई 2010: हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका खारिज हो गई

बाबरी विध्वंस के मामले में लालकृष्ण आडवाणी और अन्य नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाने को लेकर दायर पुनरीक्षण याचिका हाईकोर्ट में खारिज हो गई.

26 जुलाई 2010: अयोध्या विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी हुई.

सितंबर 2010: 8 सितंबर को हाईकोर्ट ने अयोध्या विवाद पर 24 सितंबर को फैसला सुनाने की घोषणा की. 28 सितंबर को हाईकोर्ट ने फैसला टालने की अर्जी खारिज की.

30 सितंबर 2010: कोर्ट का फैसला- तीन हिस्सों में बांट दिया गया विवादित स्थल

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इसके तहत विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा दिया गया. इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला.

9 मई 2011: सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई. हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 14 अपील दाखिल हुई.

मार्च-अप्रैल 2017: 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही. सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया.

फरवरी-जुलाई 2018: नियमित सुनवाई की अपील खारिज

8 फरवरी को सुन्नी वक्फ बोर्ड की तरफ से पक्ष रखते हुए वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से मामले पर नियमित सुनवाई करने की अपील की. लेकिन पीठ ने उनकी अपील खारिज कर दी. राजीव धवन ने कोर्ट से मांग की कि साल 1994 के इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के फैसले को पुर्नविचार के लिए बड़ी बेंच के पास भेजा जाए. सुप्रीम कोर्ट ने राजीव धवन की अपील पर फैसला सुरक्षित रखा.

27 सितंबर 2018: ‘मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं’ मामला बड़ी बेंच को भेजने से इनकार

कोर्ट ने इस्माइल फारूकी बनाम भारतीय संघ के 1994 का फैसला, जिसमें कहा गया था कि ‘मस्जिद इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं’ को बड़ी बेंच को भेजने से इनकार करते हुए कहा था कि अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में दीवानी वाद का निर्णय साक्ष्यों के आधार पर होगा और पूर्व का फैसला सिर्फ भूमि आधिग्रहण के केस में ही लागू होगा.

29 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जल्द सुनाई पर इनकार करते हुए केस जनवरी 2019 तक के लिए टाल दिया.

24 नवंबर 2018: अयोध्या में शिवसेना ने कार्यक्रम किया. इस सभा के दौरान उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण में बीजेपी को जमकर खरी-खोटी सुनाई. उन्होंने मोदी सरकार की तुलना कुंभकरण से करते हुए कहा कि मैं यहां कोई लड़ाई लड़ने नहीं आया हूं.

25 नवंबर 2018: अयोध्या में विश्व हिंदू परिषद की अगुवाई में धर्म सभा हुई. धर्म सभा में हिंदू संत रामभद्राचार्य ने कहा कि बहुत जल्द ही भव्य राम मंदिर का निर्माण करना होगा. बीजेपी पर आरोप लगाया कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव की वजह से तारीख का ऐलान नहीं किया जा रहा है.

1 जनवरी 2019: पीएम मोदी ने कहा- फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद

पीएम नरेंद्र मोदी ने 2019 के अपने पहले इंटरव्यू में कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश पर फैसला कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लिया जा सकता है. राम मंदिर पर अध्यादेश लाने के बारे पीएम ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है, और संभवत: अपने अंतिम चरण में है. उन्होंने कहा कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने दीजिए, इसके बाद जो भी सरकार की जिम्मेदारी होगी उसे पूरा किया जाएगा.

8 मार्च 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा. पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा.

अगस्त 2019: मध्यस्थता पैनल समाधान निकालने में विफल रहा. 1 अगस्त को मध्यस्थता पैनल ने रिपोर्ट प्रस्तुत की. 2 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा. 6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई.

09 नवंबर 2019 अयोध्या पर आया सुप्रीम फैसला

09 नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर अपना फैसला सुनाया. इसके तहत कोर्ट ने 2.77 एकड़ विवादित जमीन को राम लला विराजमान को देने का आदेश दिया. साथ ही मस्जिद के लिए अलग से पांच एकड़ जमीन सुन्नी वक्फ बोर्ड को देने का फैसला सुनाया. कोर्ट ने सरकार को मंदिर निर्माण के लिए तीन माह के भीतर एक ट्रस्ट बनाने का आदेश भी दिया था.

राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का ऐलान

05 फरवरी 2020: राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम मोदी ने संसद में 15 सदस्यीय श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान किया. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैसला दिया था और तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने की मियाद तय की थी. मोदी सरकार ने ट्रस्ट को कैबिनेट की मंजूरी दिलाने के बाद बिल संसद में पेश किया.

19 फरवरी 2020: राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक हुई. महंत नृत्यगोपाल दास को ट्रस्ट का अध्यक्ष चुना गया, जबकि विहिप नेता चंपत राय को महामंत्री बनाया गया. वहीं, पीएम मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा भवन निर्माण समिति के चेयरमैन नियुक्त किए गए. ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद गिरी बने.

राम मंदिर के भूमि पूजन की तारीख तय

19 जुलाई 2020: राम मंदिर ट्रस्ट की बैठक हुई, जिसमें पीएमओ को मंदिर के भूमि पूजन के लिए दो तारीखें भेजी गईं. पीएमओ के भेजे प्रस्ताव में 3 और 5 अगस्त में से किसी एक दिन पीएम मोदी को अयोध्या में भूमि पूजन के लिए आने का न्योता दिया गया. साथ ही मंदिर के डिजाइन को लेकर भी इस बैठक में अहम फैसले लिए गए.

Posted BY: Utpal kant

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