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समझें, आयुर्वेद के डॉक्टरों को आपरेशन की इजाजत मिलने पर क्यों हो रहा विरोध, पढ़ें क्या है तर्क

देश में आयुर्वेद बेहद पुराना है, आज भी आयुर्वेद का बेहद महत्व है. आयुर्वेद को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने अहम फैसला लिया. आज देश में आयुर्वेद से ज्यादा एलोपैथ सफल है. अब सरकार ने आयुर्वेद को भी ऑपरेशन की इजाजत दी है.

देश में आयुर्वेद बेहद पुराना है, आज भी आयुर्वेद का बेहद महत्व है. आयुर्वेद को आगे बढ़ाने के लिए सरकार ने अहम फैसला लिया. आज देश में आयुर्वेद से ज्यादा एलोपैथ सफल है. अब सरकार ने आयुर्वेद को भी ऑपरेशन की इजाजत दी है. अब आय़ुर्वेद के डॉक्टर जनरल ऑपरेशन भी कर सकते हैं, जिनमें आंख, कान, नाक और गले की सर्जरी कर सकेंगे. सरकार के इस फैसले के बाद हंगामा हो गया. एलोपैथ डॉक्टर ने इस फैसले का विरोध किया.

अब एलोपैथ के डॉक्टरों को अबतक 39 बीमारियों के ऑपरेशन की इजाजत है. इनमें हर्निया, गांठ, अपेंडिक्स जैसे 19 ऑपरेशन पहले से हैं जिसे आयुर्वेद में ऑपरेशन की इजाजत है. 19 के बाद अब कुल 58 तरह की सर्जरी की इजाजत मिल गयी है. जो भी डॉक्टर यह ऑपरेशन करेंगे वह MS शल्य तंत्र स्तर के डॉक्टर कर सकेंगी. आप समझ लें कि आयुर्वेद में 5 साल की शल्य क्रिया की स्नातक डिग्री मिलती है.

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क्या कह रहा है आयुष मंत्रालय

आयुष मंत्रालय ने इस संबंध में कहा कि नोटिफिकेशन सभी ऑपरेशन की इजाजत नहीं देता है. कुछ बीमारियों में ऑपरेशन की इजाजत दी गयी है. पीजी करने वाले डॉक्टर्स को ऑपरेशन की इजाजत नहीं मिली. ऑपरेशन सिर्फ वही कर सकते हैं जो सिर्फ शल्य तंत्र में PG हैं. डॉक्टर कई सालों से ऑपरेशन कर रहे हैं आज उन्हें कानूनी अधिकार दिये गये हैं.

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क्यों हो रहा है विरोध

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ( IMA) इस फैसले को गलत बता रहा है. इनका कहना है कि इन्हें ऑपरेशन की इजाजत देना लोगों की सेहत के साथ खेलना है. यह नियमों का उल्लंघन है जो चिकित्सा केंद्रीय परिषद के आधार पर इन्हें रोकता है. इस तरह के फैसले से नुकसान होगा औऱ NEET परीक्षा के महत्व को भी खत्म करे देगा।

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