Azaan Controversy: उत्तर प्रदेश के बाद अब झारखंड उच्च न्यायालय में मस्जिदों से अजान के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिकाकर्ता, बीजेपी नेता अनुरंजन अशोक ने दावा किया है कि ध्वनि प्रदूषण के लिए दिन में पांच बार लाउडस्पीकरों का उपयोग किया जाता है. उन्होंने दावा किया कि उनकी याचिका का “धर्म से कोई लेना-देना नहीं है” और यह ध्वनि प्रदूषण की आम समस्या से निपटने के लिए थी.
बीजेपी नेता ने कहा, “नियमों के अनुसार, लाउडस्पीकर की आवाज 10 डेसिबल से अधिक नहीं होनी चाहिए, लेकिन मस्जिदों द्वारा इसका उल्लंघन किया जा रहा है.” उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले साल नवंबर में इस मुद्दे पर झारखंड सरकार को लिखा था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद, वह अब अदालत का रुख कर रहे थे. अशोक ने अपनी याचिका में सड़कों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करने पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए दावा किया है कि इससे यातायात भीड़ और अन्य मुद्दों का सामना करना पड़ता है.
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बता दें कि अनुरंजन अशोक ने इससे पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद के खिलाफ भी जेल मैनुअल उल्लंघन मामले में जनहित याचिका दायर की थी. इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुलपति संगीता श्रीवास्तव द्वारा इसी तरह की शिकायत किए जाने के कुछ दिनों बाद भाजपा नेता द्वारा लाउडस्पीकर की आपत्ति पर आपत्ति जताई गई. श्रीवास्तव ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी कि लाउडस्पीकर पर अज़ान के कारण उनके नींद में खलल पड़ती है, जिससे पूरे दिन सिरदर्द होता है.
वहीं मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला ने बलिया के जिला मजिस्ट्रेट को पत्र लिखकर कहा कि मस्जिदों में लाउडस्पीकर की मात्रा के लिए अदालत के आदेशों के अनुसार फैसला किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि वह ध्वनि प्रदूषण के कारण अपने कर्तव्यों के निर्वहन में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं. बलिया के जिलाधिकारी अदिति सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला के पत्र पर “उचित कार्रवाई” की जाएगी.
Posted by : Rajat Kumar