कोई आचार्य या संन्यासी क्यों नहीं रिसर्च कर सकता? ये आयुर्वेद के लिए घृणा है, कोरोनिल पर सफाई देते हुए बोले बाबा रामदेव

Baba Ramdev clarification on coronil we will not stop working on Ayurveda medicine : पंतजलि द्वारा बनायी गयी दवा ‘कोरोनिल’ को बिक्री और प्रचार की अनुमति नहीं मिलने के बाद आज बाबा रामदेव ने प्रेस कॉंन्फ्रेंस करके अपने ऊपर लगाये गये आरोपों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय ने यह कह दिया है कि पंतजलि ने कोरोना के खिलाफ कोरोनिल के रूप में एक अच्छी पहल की है. इसलिए मैं यह कहना चाहता हूं कि हम रूकेंगे नहीं इस दवा पर और काम होगा और अनुसंधान आगे तक जायेगा.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 1, 2020 4:23 PM
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नयी दिल्ली : पंतजलि द्वारा बनायी गयी दवा ‘कोरोनिल’ को बिक्री और प्रचार की अनुमति नहीं मिलने के बाद आज बाबा रामदेव ने प्रेस कॉंन्फ्रेंस करके अपने ऊपर लगाये गये आरोपों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि आयुष मंत्रालय ने यह कह दिया है कि पंतजलि ने कोरोना के खिलाफ कोरोनिल के रूप में एक अच्छी पहल की है. इसलिए मैं यह कहना चाहता हूं कि हम रूकेंगे नहीं इस दवा पर और काम होगा और अनुसंधान आगे तक जायेगा.

बाबा रामदेव ने कहा कि हमने आयुष मंत्रालय को रिसर्च की पूरी जानकारी दी है. उन्होंने कहा कि मुझपर गलत तरीके से आरोप लगाये जा रहे हैं और ऐसा व्यवहार किया जा रहा है जैसे देश में आयुर्वेद का काम करना अपराध है. हमारे ऊपर प्राथमिकी भी दर्ज करायी गयी है. उन्होंने कहा कि हमारे खिलाफ गंदा वातावरण बनाये जाने की कोशिश की जा रही है. कहा जा रहा है बाबा रामदेव जेल जायेंगे. यह आयुर्वेद के खिलाफ घृणा है.

उन्होंने कहा कि पिछले 35 सालों से मैं लोगों की सेवा कर रहा हूं. योग और आयुर्वेदिक दवाओं के जरिये लोगों को स्वस्थ और सुंदर जीवन उपलब्ध करा रहा हूं उन्हें इसके लिए प्रेरित कर रहा हूं. बाबा रामदेव ने कहा कि मुझपर गलत आरोप लगाने वालों को आज उस वक्त जवाब मिल गया है जब आयुष मंत्रालय ने कहा कि पंतजलि ने कोरोना के खिलाफ एक अच्छी पहल की है. बाबा रामदेव ने कहा कि एक कोरोना वायरस जब आपके शरीर में जाता है, तो अपनी संख्या तेजी से बढ़ाता है. वह इंसान के श्वसन प्रणाली में प्रवेश करके उसे परेशान करता है.

हमने आयुर्वेद की जो दवा कोरोनिल के नाम पर उपलब्ध करायी है. वह इंसान को लाभ पहुंचाती है और उसकी श्वसन प्रणाली सही तरीके से काम करने लगती है, ऐसा रिसर्च में पाया गया है. आयुष मंत्रालय ने हमसे जो जानकारी मांगी हमने दी. कोरोना पर क्लिनिकल कंट्रोल का ट्रायल हो चुका है और इसकी प्रक्रिया हमने नहीं बनायी है.

कुछ लोगों को इस बात पर आपत्ति है कि एक धोती-लंगोटी पहनने वाला रिसर्च कैसे कर सकता है? दरअसल यह सामंतवादी और साम्राज्यवादी सोच का परिणाम है. हमने देश में करोड़ो रुपये लगाकर रिसर्च सेंटर बनाकर रखा है. अब हम इस दवा पर आगे और काम करेंगे. हमने लाइसेंस लेकर दवा बनायी है. हमने दवा में सही मात्रा में गिलोय, अश्वगंधा और तुलसी मिलाया है और उसे टेस्ट कराया है. हमने कोरोनिल और श्वासारि का लाइसेंस लिया है और इसका एक साथ सेवन ही लाभदायक है.

गौरतलब है कि पंतजलि की ओर से 23 जून को कोरोना की दवा कोरोनिल लॉन्च की गयी थी, जिसपर आयुष मंत्रालय ने सवाल खड़ा कर दिया था और बिक्री एवं प्रचार पर रोक लगा दी थी. आयुष मंत्रालय ने कहा था कि आप रिसर्च की पूरी जानकारी दें. उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की जानकारी दी है. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है- ड्रग माफिया व MNC माफिया सब होंगे बेनकाब और आयुर्वेद होगा प्रतिष्ठापित.

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