केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने बालासोर रेल दुर्घटना (balasore train accident ) मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच अपने हाथ में ले ली है. अधिकारियों को प्रारंभिक जांच में इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के साथ छेड़छाड़ के संकेत मिलने और दुर्घटना के पीछे तोड़फोड़ की आशंका जताए जाने के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी गई. गौरतलब है कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के जरिए ट्रेन की मौजूदगी का पता लगता है.
सीबीआई जायेगी मामले की तह तक
अधिकारियों ने कहा कि एजेंसी को मामले की तह तक जाने के लिए रेल सुरक्षा और फॉरेंसिक विशेषज्ञों की मदद की आवश्यकता हो सकती है, क्योंकि रेलवे के कामकाज के संबंध में उसके पास बहुत कम विशेषज्ञता है.
3 जून को रेल हादसे को लेकर मामला दर्ज किया गया था
केंद्रीय एजेंसी ने तीन जून को बालासोर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 337, 338, 304ए (लापरवाही से मौत) और 34 (समान मंशा), और रेलवे अधिनियम की धारा 153 (रेलवे यात्रियों के जीवन को खतरे में डालने वाला कृत्य), 154 और 175 (जीवन को खतरे में डालना) के तहत दर्ज प्राथमिकी को अपने हाथ में ले लिया. प्रक्रिया के अनुसार, सीबीआई स्थानीय पुलिस के मामले को अपनी प्राथमिकी के रूप में फिर से दर्ज करती है और जांच शुरू करती है. केंद्रीय एजेंसी अपनी जांच के बाद दाखिल आरोपपत्र में प्राथमिकी से आरोप जोड़ या हटा सकती है.
कैसे हुआ बालासोर हादसा
गौरतलब है कि ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस शुक्रवार शाम करीब सात बजे ‘लूप लाइन’ पर खड़ी एक मालगाड़ी से टकरा गई, जिससे कोरोमंडल एक्सप्रेस के अधिकतर डिब्बे पटरी से उतर गए. उसी समय वहां से गुजर रही तेज रफ्तार बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे कोरोमंडल एक्सप्रेस से टकरा कर पटरी से उतर गए. इस हादसे में कम से कम 275 लोगों की जान चली गई और 1100 से अधिक लोग घायल हुए.