Bangladesh Protests: हिंसा के बाद अब बांग्लादेश में कैसे हैं हालात? 6700 भारतीय छात्र स्वदेश लौटे
Bangladesh Protests: बांग्लादेश में पिछले दिनों हुई हिंसा के बाद पड़ोसी देश की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रही है. हिंसा भड़के के बाद वहां से भारतीय छात्रों को भारत लाया जा रहा है.
Bangladesh Protests: बांग्लादेश में हिंसक झड़पों के मद्देनजर लगभग 6700 भारतीय छात्र वहां से भारत वापस लौट आए हैं. इसकी जानकारी खुद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दी है. उन्होंने कहा, अब तक 6700 भारतीय छात्र बांग्लादेश से वापस आ चुके हैं. बांग्लादेश का करीबी पड़ोसी और मित्र होने के नाते हमें उस देश में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है.
बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा?
ढाका और अन्य शहरों में विश्वविद्यालय के छात्रों ने 1971 में बांग्लादेश के ‘मुक्ति संग्राम’ के लिए लड़ने वाले युद्ध नायकों के रिश्तेदारों के लिए सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों को आरक्षित करने की प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन किया था, जिसने हिंसक रूप ले लिया था और इसमें लगभग 200 लोगों की मौत हो गई थी. सरकारी नौकरियों में आरक्षण में सुधार की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. जिसके बाद देश में इंटरनेट बंद कर दी गई थी.
बांग्लादेश में धीरे-धीरे सामान्य हो रहे हालात
बांग्लादेश में एक सप्ताह से अधिक समय तक हिंसा के दौर के बाद अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. वहीं, देश में इंटरनेट उपयोग और कार्यालयों के समय को सीमित कर दिया गया. देश के अधिकांश हिस्सों में इंटरनेट शुरू नहीं किया गया. कर्फ्यू में सात घंटे की ढील दी गई, जिसके बाद सड़कों पर हजारों गाड़ियां नजर आईं. बांग्लादेश में बुधवार को कार्यालय और बैंक कुछ घंटों के लिए खोले गए, जबकि अधिकारियों ने ढाका और दूसरे सबसे बड़े शहर चटगांव के कुछ इलाकों में ब्रॉडबैंड इंटरनेट बहाल कर दिया.
बांग्लादेश की सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को किया खत्म
बांग्लादेश में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प के बाद वहां की सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया. जिसमें विवादास्पद आरक्षण व्यवस्था को खत्म कर दिया और फैसला सुनाया. जिसके अनुसार अब 93 प्रतिशत नौकरियां योग्यता आधारित होंगी जबकि शेष दो प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और दिव्यांग लोगों के लिए आरक्षित होंगी. इससे पहले 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियां 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वालों के रिश्तेदारों के लिए आरक्षित थीं.