Bangladesh Violence: बांग्लादेश में हो रही हिंसा पर बोले अखिलेश, कहा ‘भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाना चाहिए मामला’

बांग्लादेश में अल्पसंख्यक समुदाय पर हो रहे हमलों पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि भारत सरकार द्वारा इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख़्ती से उठाया जाना चाहिए.

By Kushal Singh | August 12, 2024 3:01 PM

Bangladesh Violence: बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा के बाद अशांति का माहौल व्याप्त है. हालांकि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतिम सरकार का गठन हो चुका है फिर भी अल्पसंख्य समुदाय के खिलाफ हिंसात्मक गतिविधियां हो रही हैं. इसपर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है. अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि,” कोई भी समुदाय चाहे वह बांग्लादेश का अलग नज़रियेवाला बहुसंख्यक हो या हिंदू, सिख, बौद्ध या कोई अन्य धर्म-पंथ-मान्यता माननेवाला अल्पसंख्यक, कोई भी हिंसा का शिकार नहीं होना चाहिए. भारत सरकार द्वारा इस मामले को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार की रक्षा के रूप में सख़्ती से उठाया जाना चाहिए. ये हमारी प्रतिरक्षा और आंतरिक सुरक्षा का भी अति संवेदनशील विषय है.”

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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा इतिहास में होती रही है इस तरह की घठनाएं

अखिलेश यादव ने विश्व इतिहास की बात करते हुए एक्स में लिखा कि,”विश्व इतिहास गवाह है कि विभिन्न देशों में सत्ता के ख़िलाफ़, उस समय की कसौटी पर, सही-गलत कारणों से हिंसक जन क्रांतियाँ, सैन्य तख़्तापलट, सत्ता-विरोधी आंदोलन विभिन्न कारणों से होते रहे हैं. ऐसे में उस देश का ही पुनरुत्थान हुआ है, जिसके समाज ने अपने सत्ता-शून्यता के उस उथल-पुथल भरे समय में भी अपने देशवासियों की जान-माल व मान की रक्षा करने में जन्म, धर्म, विचारधारा, संख्या की बहुलता-अल्पता या किसी अन्य राजनीतिक विद्वेष या नकारात्मक, संकीर्ण सोच के आधार पर भेदभाव न करके सकारात्मक-बड़ी सोच के साथ सबको एक-समान समझा और संरक्षित किया है.”

अखिलेश बोले पड़ोसी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है

अखिलेश यादव ने आगे कहा, ‘देश और देशवासियों की रक्षा करना हर देश का कर्तव्य होता है. सकारात्मक मानवीय सोच के आधार पर, एक व्यक्ति के रूप में हर निवासी-पड़ोसी की रक्षा करना भी हर सभ्य समाज का मानवीय-दायित्व होता है, फिर वह चाहे किसी काल-स्थान-परिस्थिति में कहीं पर भी हो.

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