प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने बैंक ऋण धोखाधड़ी से जुड़े एक मामले में एंटी मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत हैदराबाद की एक सड़क निर्माण कंपनी की 96 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की है.
हैदराबाद, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में कंपनी की 105 ठिकानों पर ईडी की बड़ी कार्रवाई
धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत एक अस्थायी आदेश में तेलंगाना (हैदराबाद), पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश (विशाखापत्तनम, प्रकाशम और कृष्णा जिलों) में स्थित 105 भूमि संपत्तियों और कंपनी मधुकॉन प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के प्रवर्तकों की हिस्सेदारी वाली 7.36 करोड़ रुपये की चल संपत्ति समेत कुल 96.21 करोड़ रुपये की संपत्ति को कुर्क करने का आदेश दिया गया.
Money laundering case: ED attaches 105 assets worth Rs 96.21 cr of Madhucon Group
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— ANI Digital (@ani_digital) July 2, 2022
एनएच-33 के रांची-रारगांव-जमेशदपुर खंड फोर-लेन निर्माण से जुड़ा है मामला
धनशोधन का मामला मार्च, 2019 में रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड (मधुकॉन समूह की कंपनी) और उसके निदेशकों के खिलाफ दर्ज सीबीआई की प्राथमिकी के बाद सामने आया. यह मामला तब शुरू हुआ, जब भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने एनएच-33 के रांची-रारगांव-जमेशदपुर खंड पर 114 किमी से 277.50 किमी (लगभग 163.50 किमी) के फोर-लेन के लिए डिजाइन, निर्माण, वित्त, परिचालन एवं हस्तांतरण (डीबीएफओटी) पैटर्न के आधार पर मधुकॉन प्रोजेक्ट लिमिटेड को 18 मार्च 2011 को परियोजना सौंपी थी.
कोर्ट ने कंपनी के खिलाफ दिया था धोखाधड़ी जांच का आदेश
ईडी ने एक बयान में कहा, इस परियोजना को Execution करने के लिए मधुकॉन ग्रुप द्वारा रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड (आरईएल) नामक एक कंपनी बनाई गई थी. कम्मा श्रीनिवास राव, एस नामा सेतैया और नामा पृथ्वी तेजा उक्त कंपनी के संस्थापक निदेशक थे और मधुकॉन प्रोजेक्ट लिमिटेड परियोजना की इंजीनियरिंग प्रोक्योरमेंट कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) की ठेकेदार थी. ईडी ने आरोप लगाया है कि मधुकॉन समूह पूरी ऋण राशि का लाभ उठाने के बावजूद परियोजना को पूरा नहीं कर सका और बाद में उनका अनुबंध समाप्त कर दिया गया तथा उच्च न्यायालय के निर्देशों के आधार पर कंपनी के खिलाफ मुकदमा शुरू किया गया. अदालत ने मुकदमे का यह आदेश गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) तथा एनएचएआई की रिपोर्ट के आधार पर दिया था.
इस तरह से की गयी धोखाधड़ी
एजेंसी के अनुसार, जांच में पाया गया कि रांची एक्सप्रेसवे लिमिटेड के निदेशकों और प्रवर्तकों ने केनरा बैंक के नेतृत्व वाले बैंकों के एक संघ (कंसोर्टियम) से लगभग 1,030 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त किया. मधुकॉन समूह ने अपने घोषित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए पूरी ऋण राशि का इस्तेमाल नहीं किया और इसे अन्य कार्यों के लिए अपनी संबद्ध संस्थाओं में खर्च कर दिया.
भाषा इनपूट