आरती श्रीवास्तव
एसवीबी के दिवालिया होने के बाद दुनियाभर के स्टार्टअप पर इसके बुरे प्रभाव की आशंका जतायी जा रही है. एक अनुमान के अनुसार, इस बैंक के बंद होने से जहां हजारों स्टार्टअप पर इसका सीधा असर हो सकता है, वहीं एक लाख से ज्यादा लोगों की नौकरियों के खत्म होने की आशंका है. नेशनल वेंचर कैपिटल एसोसिएशन (एनवीसीए) के आंकड़ों पर भरोसा करें, तो एसवीबी में 37 हजार से अधिक खातेदार छोटे बिजनेस हैं. जिनमें से प्रत्येक खाते में ढाई लाख डॉलर से ज्यादा की राशि जमा है. बैंक के दिवालिया होने के बाद यह तय हो गया है कि अब इन खातेदारों को अपनी इस राशि को पाने के लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा करनी होगी.
अब जब ये व्यवसाय अपने पैसे नहीं निकाल पायेंगे, तो इनके सामने अपने कर्मचारियों को वेतन देने का संकट खड़ा हो सकता है. इस कारण 10 हजार से अधिक छोटे कारोबार और स्टार्टअप सीधे तौर पर प्रभावित होंगे. वहीं अमेरिकी वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा है कि सरकार सिलिकॉन वैली बैंक को कोई राहत नहीं देगी. पर अमेरिकी सरकार ने यह जरूर कहा है कि वह ग्राहकों की जमा राशि बचाने की कोशिश कर रही है. अब जबकि स्पष्ट है कि फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ढाई लाख डॉलर तक की जमा राशि का ही बीमा करता है, पर कई कंपनियों और धनी लोगों ने इस बैंक खाते में इससे अधिक की राशि जमा की है. ऐसे में इस आशंका को बल मिलता है कि कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को उनका वेतन देने में असमर्थ होंगी.
एसवीबी के दिवालिया होने से भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम पर काफी असर पड़ा है. भारत के कई अर्ली और मिड स्टेज स्टार्टअप कैलिफोर्निया के सिलिकॉन वैली बैंक के साथ काम कर रहे थे. पर बैंक पर आये संकट के कारण उन्हें अपने रोजमर्रा के खर्च के लिए भी नकदी के संकट से जूझना पड़ रहा है. अनुमान है कि भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में कम से कम 40 ऐसे हैं, जिनके सिलिकॉन वैली बैंक में ढाई लाख से दस लाख डॉलर तक की रकम जमा है. वहीं 20 से अधिक स्टार्टअप ने एसवीबी में दस लाख डॉलर से अधिक की राशि जमा की हुई है. पर इस बैंक पर ताला लगने के बाद अब उनके लिए पैसों की व्यवस्था करना मुश्किल साबित हो रहा है. स्टार्टअप सेक्टर पहले से ही काफी मुश्किलों से घिरा हुआ है. वर्ष 2022 में भारत सहित दुनियाभर के स्टार्टअप में छंटनी का सिलसिला तेज था. साथ ही, इसे मिलने वाली फंडिंग में भी काफी कमी आयी थी. ऐसे में यह नया संकट भारत में तेजी से उभरते इस क्षेत्र के लिए एक नयी मुसीबत बन सकता है.
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सिलिकॉन वैली बैंक और सिग्नेचर बैंक के बाद फर्स्ट रिपब्लिक बैंक पर भी तालाबंदी का खतरा मंडरा रहा है.
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61.83 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है फर्स्ट रिपब्लिक बैंक के स्टॉक में, ब्लूमबर्ग के अनुसार.
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74.25 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है बीते एक सप्ताह के दौरान इस बैंक के स्टॉक में.
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वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने जिन छह अमेरिकी बैंकों को समीक्षा के अधीन रखा है, उनमें पहले स्थान पर फर्स्ट रिपब्लिक बैंक ही है. इसके अतिरिक्त, इस रेटिंग एजेंसी ने जिओन्स बैनकॉरपोरेशन, वेस्टर्न एलिएंस बैनकॉप, कॉमेरिका इंक, यूएमबी फाइनेंशियल कॉर्प और इंट्रस्ट फाइनेंशियल कॉरपोरेशन की रेटिंग भी कम करते हुए उसे समीक्षा के लिए डाल दिया है. पहले मूडीज ने सिग्नेचर बैंक को सबऑर्डिनेट डेट ‘सी’ रेट दिया था. पर बाद में उसने सिग्नेचर बैंक की डेट रेटिंग को घटाकर उसे जंक टेरिटरी में डाल दिया था. एजेंसी द्वारा इस तरह रेटिंग को घटाना अमेरिकी बैंकिंग सेक्टर के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
एसवीबी के बंद हो जाने के बाद जब दुनियाभर की स्टार्टअप कंपनियों के बीच डर फैल गया, तब जो बाइडेन प्रशासन ने बैंक के ग्राहकों को भरोसा दिलाया कि 13 मार्च से वे अपनी जमा राशि की निकासी कर सकेंगे. इससे जमाकर्ताओं को राहत मिली. इस बीच भारतीय स्टार्टअप कंपनियों की चिंता को दूर करने के लिए केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री, राजीव चंद्रशेखर ने स्टार्टअप्स को आश्वासन दिया कि सरकार उनके साथ मजबूती से खड़ी है और इन चुनौतियों से निपटने में मदद करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है.