Dussehra 2024 : छत्तीसगढ़ में एक जगह है बस्तर जहां का दशहरा काफी प्रसिद्ध है. दरअसल, यहां 75 दिनों तक चलने वाला विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा (Bastar Dussehra) पर्व इन दिनों मनाया जा रहा है. इस पर्व की पहचान दुनिया के सबसे लंबे त्योहार के रूप में होती है. यह परंपरा 800 सालों से चली आ रही है. इस अवसर पर श्रद्धालु लकड़ी के विशाल रथ को खींचते नजर आते हैं.
बस्तर दशहरा पर्व का हर रस्म पूरे विधी विधान से पूरा किया जाता है जिसके लिए मां काछन देवी से अनुमति लेने की परंपरा है. करीब 800 सालों से भी अधिक समय से चली आ रही परंपरा के अनुसार, बस्तर महाराजा मां काछन देवी से अनुमती लेने काछन गुड़ी जाते हैं. वो माता से आशीर्वाद मांगते है और बस्तर सहित प्रदेश में खुशहाली की कामना करते हैं. वे आशीर्वाद मांगते हैं कि दशहरा पर्व बिना किसी विघ्नन के पूरी हो.
क्यों खास है बस्तर दशहरा जानें यहां?
माता से अनुमति मिलने के बाद बस्तर दशहरा की शुरुआत की जाती है. छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा दो खास वजहों से काफी खास है. पहला यहां का दशहरा एक दिन का नहीं बल्कि 75 दिनों का होता है. दूसरा इसमें रावण का दहन नहीं किया जाता. यहां रथ की परिक्रमा करने की परंपरा है.\
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बस्तर का दशहरा महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा से जुड़ा है
बस्तर के दशहरे का संबंध रावण वध से नहीं, बल्कि महिषासुर मर्दिनी मां दुर्गा से जुड़ा हुआ है. यहां दशहरे के पर्व में मां दंतेश्वरी का रथ खींचने की परंपरा है. बड़े पैमानै पर आदिवासी इस आयोजन में शामिल होने के लिए पहुंचते हैं. प्रत्येक वर्ष हरियाली अमावस को इस पर्व की पहली रस्म के तौर पर पाट जात्रा का विधान पूरा किया जाता है. पाट जात्रा अनुष्ठान के अंतर्गत स्थानीय निवासियों द्वारा जंगल से लकड़ियां जमा की जाती है. इसका उपयोग विशालकाय रथ बनाने में होता है.
देवी देवताओं को दशहरा में शामिल होने के लिए भेजा जाता है आमंत्रण
बस्तर के तहसीलदार द्वारा समस्त ग्रामों के देवी देवताओं को दशहरा में शामिल होने के लिए आमंत्रण भेजा जाता है. इसमें 6166 ग्रामीण प्रतिनिधि बस्तर दशहरे की पूजा विधान को संपन्न कराने के लिए विशेष तौर पर शामिल होते हैं.