बीबीसी डॉक्यूमेंट्री: ‘फिल्म को जिस प्रकार से रोका गया है ये सही नहीं’, जानें क्या बोले अशोक गहलोत

बीबीसी ने ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक से दो भाग में एक नयी सीरीज तैयार की है. बीबीसी का दावा है कि यह सीरीज गुजरात में 2002 में हुए दंगों के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करती है. बीबीसी के इस डॉक्यूमेंट्री पर बयानबाजी का दौर जारी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 26, 2023 3:03 PM
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बीबीसी डॉक्यूमेंट्री को लेकर पूरे देश में बयानबाजी का दौर जारी है. ताजा बयान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सामने आया है. उन्होंने कहा कि BBC की फिल्म को जिस प्रकार से रोका गया है ये सही नहीं है. ये चौथे स्तंभ के लिए सही नहीं है. उन सबसे निकल कर निष्पक्षता के तरफ आना चाहिए. इससे पहले मामले पर गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन पिल्लै ने अपने विचार रखे और कहा कि प्रधानमंत्री पर बना बीबीसी का डॉक्यूमेंट्री भारत के खिलाफ षड्यंत्र है.

गोवा के राज्यपाल पी एस श्रीधरन पिल्लै ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और 2002 के गुजरात दंगों पर बना बीबीसी का विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री भारत के खिलाफ ‘षड्यंत्र’ है. राज्यपाल ने पणजी के पास गणतंत्र दिवस की एक परेड का निरीक्षण करने के बाद अपने संबोधन में कहा कि ‘प्रधानमंत्री का चरित्र हनन’ देश के खिलाफ हमले, उनके अपमान और दुर्भावनापूर्ण कृत्य के समान है.

जामिया में डॉक्यूमेंट्री को लेकर बवाल

इधर वाम समर्थित ‘स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एसएफआई) ने गुरुवार को दावा किया कि 2002 के गोधरा दंगों पर आधारित बीबीसी के विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री की जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बुधवार को स्क्रीनिंग आयोजित करने के लिए हिरासत में लिए गए 13 छात्रों को पुलिस ने अभी तक रिहा नहीं किया है. दिल्ली पुलिस ने एसएफआई के इस दावे पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

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क्या है डॉक्यूमेंट्री में

दरअसल, बीबीसी ने ‘इंडिया : द मोदी क्वेश्चन’ शीर्षक से दो भाग में एक नयी सीरीज तैयार की है. बीबीसी का दावा है कि यह सीरीज गुजरात में 2002 में हुए दंगों के विभिन्न पहलुओं की पड़ताल करती है. आपको बता दें कि गुजरात दंगे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे. भारतीय विदेश मंत्रालय ने दो भागों वाले इस वृत्तचित्र को ‘‘दुष्प्रचार का एक हिस्सा’’ करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि इसमें पूर्वाग्रह, निष्पक्षता की कमी और औपनिवेशिक मानसिकता स्पष्ट रूप से झलकती है.

भाषा इनपुट के साथ

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