बीबीसी डॉक्यूमेंट्री मामले में NSUI नेता लोकेश चुघ को दिल्ली हाईकोर्ट से राहत, DU का आदेश खारिज
पीएम मोदी पर प्रतिबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग में कथित रूप से भाग लेने के आरोप में दिल्ली विश्वविद्यालय ने एनएसयूआई नेता लोकेश चुघ पर एक साल के लिए परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दिया था, लेकिन अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद परिसर में चुघ के प्रवेश पर रोक हट गयी है.
पीएम मोदी पर प्रतिबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग मामले में एनएसयूआई नेता लोकेश चुघ को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने चुघ के खिलाफ दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जारी प्रतिबंध के आदेश को रद्द कर दिया है.
लोकेश चुघ के विश्वविद्यालय परिसर में प्रवेश पर लगी रोक हटी
पीएम मोदी पर प्रतिबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग में कथित रूप से भाग लेने के आरोप में दिल्ली विश्वविद्यालय ने एनएसयूआई नेता लोकेश चुघ पर एक साल के लिए परिसर में प्रवेश पर रोक लगा दिया था, लेकिन अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद परिसर में चुघ के प्रवेश पर रोक हट गयी है.
लोकेश चुघ ने परिसर में रोक के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी
गौरतलब है कि पीएचडी शोधार्थी और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) के राष्ट्रीय सचिव लोकेश चुघ ने दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. जिसमें चुघ ने दावा किया था कि वह स्क्रीनिंग में शामिल नहीं थे और उनकी जानकारी में डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन पर कोई पाबंदी नहीं थी.
Delhi High Court sets aside the order of debarment issued by Delhi University against the NSUI National Secretary Lokesh Chugh. His admission has been restored. He was debarred for one year for allegedly participating in the screening of the banned BBC documentary on PM Modi on…
— ANI (@ANI) April 27, 2023
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने लोकेश चुघ की याचिका का किया था विरोध
दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने 2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी के एक विवादास्पद डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग में कथित संलिप्तता पर एक वर्ष के लिए प्रतिबंधित किए जाने के विरूद्ध कांग्रेस की छात्र इकाई के नेता चुघ की याचिका का दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया था. विश्वविद्यालय ने कहा कि छात्र ने घोर अनुशासनहीनता की थी जिससे इस प्रतिष्ठित शिक्षण संस्थान की छवि खराब हुई. डीयू ने कहा कि अपने शोधकार्य पर ध्यान देने के बजाय याचिकाकर्ता अन्य छात्रों को भड़काने और संकीर्ण राजनीति करने में शामिल रहा है जिससे शैक्षणिक कामकाज में अवरोध उत्पन्न हो रहा है.