नयी दिल्ली : नये कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन के एक माह से ज्यादा हो गये हैं. आज आंदोलन का 37वां दिन है. किसान अब भी अपनी मांगों को लेकर दिल्ली-हरियाणा सीमा पर डटे हैं. आज दिल्ली-हरियाणा सीमा के सिंघु बॉर्डर पर 80 किसान संगठन दो बजे बैठक करेंगे. बैठक में आगे की रणनीति पर मंथन होगा. मालूम हो कि सातवें दौर की बातचीन में सभी मांगों का हल नहीं निकला. हालांकि, दो मुद्दों पर सहमति बन गयी है. अब चार जनवरी को आठवें दौर की बातचीत होनी है.
पिछली बैठक में सरकार ने एमएसपी खरीद प्रणाली के क्रियान्वयन को लेकर समिति गठित करने की पेशकश की. साथ ही विद्युत शुल्क पर प्रस्तावित कानूनों और पराली जलाने से संबंधित प्रावधानों को स्थगित रखने पर सहमति जतायी.
किसान संगठनों के नेता तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त किये जाने की अपनी मुख्य मांग पर अड़े रहे. किसान नेताओं ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी और नये कृषि कानूनों को रद्द करने का कोई विकल्प नहीं है.
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक, चार मुद्दों में से दो मुद्दों पर सहमति के बाद 50 फीसदी समाधान हो गया है. शेष दो मुद्दों पर चार जनवरी को चर्चा होगी. उन्होंने कहा, ”तीन कृषि कानूनों और एमएसपी पर चर्चा जारी है. चार जनवरी को अगले दौर की वार्ता में यह जारी रहेगी.”
इससे पहले ‘संयुक्त किसान मोर्चा’ ने तीनों विवादित कानूनों को निरस्त करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देने के विषय को शामिल किये जाने की बात कही थी. मालूम हो कि प्रदर्शनकारी किसानों में ज्यादातर किसान पंजाब और हरियाणा के हैं.